हाइलाइट्स

इन विर्टो फर्टिलाइजेशन को शॉर्ट में आईवीएफ कहा जाता है.
आईवीएफ ट्रीटमेंट प्रमुख तौर पर तीन तरीकों से किया जाता है.

विश्व आईवीएफ दिवस 2023: हर दंपति का सपना होता है कि उनके घर भी किलकारी गूंजे. लेकिन माता-पिता बनने की चाह कई लोगों की पूरी नहीं हो पाती है और ऐसे में अपने सपने को पूरा करने के लिए वे आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF Treatment) का सहारा लेते हैं. ऐसे में निसंतान दंपतियों को आईवीएफ के बारे में पूरी जानकारी होना चाहिए. यहां आईवीएफ ट्रीटमेंट के बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं इंदौर के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की डॉ. सुनिता चौहान (कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एवं गायनेकोलॉजी).

क्यों होती है इनफर्टिलिटी की समस्या
देश में कई लोग इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं. दरअसल, अनियमित जीवनशैली और खानपान में लापरवाही के कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, वहीं देरी से शादी और शुक्राणुओं की कमी (Male Factor) व अन्य कई कारण से भी कई लोगों को आईवीएफ का सहारा लेना पड़ रहा है. कई बार कई तरह के इलाज करवाने के बावजूद कई दंपत्ति निराश हो जाते हैं, ऐसे में आईवीएफ ट्रीटमेंट ही उनके जीवन के लिए नई आशा का कार्य कर सकता है.

क्या है आईवीएफ ट्रीटमेंट(IVF Treatment)
आईवीएफ प्रोसेस का पूरा नाम है इन विर्टो फर्टिलाइजेशन, जिसकी मदद से संतान सुख से वंचित महिलाओं को मां बनने का सुख प्राप्त होता है. जिन महिलाओं को गर्भ धारण करने में किसी भी प्रकार की परेशानी आती है, उन्हें ही आमतौर आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी जाती है. आईवीएफ ट्रीटमेंट तीन तरीके से होता है, आइए जानते हैं इन तरीकों के बारे में-

नेचुरल आईवीएफ
नेचुरल आईवीएफ को नेचुरल साइकिल इन विट्रो फर्टिलाइजेशन भी कहा जाता है. इसमें स्टिमुलेशन का सहारा नहीं लिया जाता है. ऐसी महिलाएं जो ज्यादा खर्च नहीं कर सकती है, उनके लिए नेचुरल आईवीएफ एक शानदार विकल्प है. नेचुरल आईवीएफ में अंडाणु को एकत्रित करके पुरुष के स्पर्म के साथ मिलाया जाता है, जिससे भ्रूण का निर्माण होता है और इसे बाद में गर्भाशय में इंप्लांट किया जाता है. इसमें जिन महिलाओं को FSH स्तर अधिक होता है, उनके लिए नेचुरल आईवीएफ का यह तरीका कारगर हो सकता है. हालांकि एक ही भ्रूण के निर्माण होने के कारण इसमें कभी-कभी सफल होना मुश्किल होता है. इस प्रक्रिया में भ्रूण निर्माण के असफल होने का जोखिम ज्यादा होता है.

ये भी पढ़ें: वर्कआउट के बाद बॉडी में हो जाता है दर्द? बिलकुल ना हों परेशान, 5 आसान टिप्स करें फॉलो, झट से मिल जाएगी राहत

मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ
मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ में महिलाओं को दवा खिलाकर एक स्वस्थ अंडाणु तैयार किया जाता है. इस प्रक्रिया में महिलाओं का मासिक धर्म नहीं रोका जाता है और इससे अंडाशय में अधिक अंडे बनते हैं. आईवीएफ की इस प्रक्रिया में हालांकि ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम होने का भी खतरा रहता है.

ये भी पढ़ें: बिना अंडा-मीट के हड्डियों को बनाना है सख्त, खाने शुरू कर दें ये 7 शाकाहारी फूड्स, बोन्स रहेंगे हेल्दी-मजबूत

कन्वेंशनल आईवीएफ
कन्वेंशनल आईवीएफ में पारंपरिक तरीके से ट्रीटमेंट किया जाता है. इसमें अंडाणु और शुक्राणु को मिलाकर प्रजनन क्षमता बढ़ाई जाती है. आमतौर पर आईवीएफ का यही तरीका सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता है. कन्वेंशनल आईवीएफ में महिला के पीरियड्स को रोक कर अंडाशय को इंजेक्शन के द्वारा एग बनाने के लिए उत्तेजित किया जाता है. इस प्रक्रिया में 2-3 भ्रूणों को इंप्लांटेशन करने के लिए चुना जाता है. कन्वेंशनल आईवीएफ में कंसीव करने की उम्मीद अधिक होती है. आईवीएफ के पहले गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को देखने के लिए कभी-कभी डायग्नोग्स्टिक्स हिटेरोस्कोपी एवं लेप्रोस्कोपी की भी जरूरत होती है.

टैग: स्वास्थ्य, आईवीएफ, जीवन शैली

(टैग्सटूट्रांसलेट)विश्व आईवीएफ दिवस 2023(टी)विश्व आईवीएफ दिवस 2023 भारत(टी)विश्व आईवीएफ दिवस 2023 थीम(टी)विश्व आईवीएफ दिवस उद्धरण(टी)विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस(टी)आईवीएफ उपचार(टी)आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया(टी)कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल इंदौर

Source link

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *