नई दिल्‍ली. मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्‍त्र घुमाने और उनके यौन उत्‍पीडन की घटना के सामने आने के बाद दिल्‍ली महिला आयोग की अध्‍यक्ष स्‍वाति मालीवाल मणिपुर पहुंचीं. यहां उन्‍होंने पीड़‍ित दोनों महिलाओं के परिजनों से मुलाकात की और घटना के बारे में जानकारी लेने के साथ ही केंद्र से मणिपुर के मुख्‍यमंत्री से इस्‍तीफे की मांग करने की बात की.

दिल्‍ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल 24 जुलाई को सदस्य वंदना सिंह के साथ गोलीबारी के बीच चुराचांदपुर, मणिपुर पहुंचीं और उन दो पीड़ितों की मां और पति से मिलीं जिन्हें नग्न कर घुमाया गया था, उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी और उनमें से एक के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस दौरान जिस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ उसकी मां ने स्‍वाति को बताया कि उसने अपने पति और बेटे को भी खो दिया है. ये दोनों उसकी बेटी को यौन उत्पीड़न से बचाने की कोशिश में मर गए.

स्‍वाति ने बताया कि महिला गमगीन और अत्यधिक सदमे में है. वहीं दूसरी महिला जिसे नग्न कर घुमाया गया और छेड़छाड़ की गई, उसके पति ने देश के लिए कारगिल युद्ध लड़ा है. उन्होंने बताया कि पीड़ित गहरे सदमे में हैं और लगातार भयावह पलों को याद कर रहे हैं. मालीवाल ने दोनों से विस्तार से बात करने के बाद आश्वासन दिया कि वे अकेले नहीं हैं और जरूरत की घड़ी में पूरा देश उनके साथ है.

परिजनों ने स्‍वाति को बताया कि आज तक न तो मुख्यमंत्री, न ही किसी कैबिनेट मंत्री और न ही राज्य के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने उनसे मिलने की जहमत उठाई है. मालीवाल उनसे मिलने वाली पहली (सरकारी) व्‍यक्ति थीं. इसके साथ ही उन्हें अब तक सरकार से कोई परामर्श, कानूनी सहायता या मुआवजा नहीं मिला है. वे इस बात से नाराज थे कि उनके मामले में किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

स्‍वाति ने कहा कि मणिपुर के चुराचांदपुर में लगातार हिंसा और भारी गोलीबारी हो रही है और दो दिन पहले भी वहां एक स्कूल में आग लगा दी गई थी. मणिपुर सरकार ने मालीवाल की भी वहां जाने या हिंसा से बचे लोगों से मिलने में कोई सहायता नहीं दी. हालांकि उन्‍होंने स्वयं अपनी मर्जी से, बिना किसी सुरक्षा के चुराचांदपुर जिले की यात्रा की और हिंसा से बचे लोगों से बातचीत की.

राहत शिविरों में भयभीत हैं लोग
स्‍वाति राहत शिविरों में भी गईं और अन्य हिंसा प्रभावित महिलाओं से मुलाकात की. चुराचांदपुर राहत शिविर में उनकी मुलाकात लैंगचिंक गांव की रहने वाली 70 वर्षीय महिला से हुई. उन्होंने बताया कि वे अपने घर में सो रहे थे और अचानक गोलीबारी शुरू हो गयी. जैसे ही उसका इकलौता बेटा बिस्तर से उठा, एक गोली उसके आर-पार हो गई और उसके सामने ही उसकी मौके पर ही मौत हो गई. अब, दुनिया में उसका अपना कहने वाला कोई नहीं है और इस आघात के कारण उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सुश्री मालीवाल ने इंफाल में एक 34 वर्षीय महिला से भी मुलाकात की जिसने हाल ही में एक बच्ची को जन्म दिया था जब भीड़ ने उसे घेर लिया था। उसके पति और बहनोई की हत्या कर दी गई और वह किसी तरह बच्चे के साथ भागने में सफल रही.

इसके अलावा मोइरांग में दो राहत शिविरों में जीवित बचे लोगों से भी बातचीत की. वे दयनीय स्थिति में रह रहे हैं और उनके घर जला दिए गए हैं. वे किसी तरह बड़ी मुश्किल से भीड़ से बच निकलने में कामयाब रहे. उन्होंने कहा कि मणिपुर के राज्यपाल उनसे मिलने आए थे लेकिन वे इस बात से बहुत नाराज थे कि मुख्यमंत्री उनसे मिलने नहीं आए और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. राहत शिविर तंग थे क्योंकि वहां बड़ी संख्या में लोग रह रहे थे. अधिकतर स्थानीय स्वयंसेवक प्रत्येक शिविर का समर्थन कर रहे हैं जो जीवित बचे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी पहलुओं पर कम पड़ रहे हैं.

वहीं इंफाल में हिंसा से प्रभावित कई महिलाओं ने मालीवाल से संपर्क किया है और उनसे मिल रही हैं. तोरगुम बांग्ला गांव की रहने वाली एक 30 वर्षीय महिला मालीवाल से मिलने आई और अपनी भयावह आपबीती सुनाई. उसने बताया कि 3 मई को उसका घर जला दिया गया और वह अपने पति और दो बच्चों के साथ भीड़ से बच निकली. हालांकि 11 मई को, उनके पति ने दो अन्य लोगों के साथ राहत शिविर से गांव वापस जाकर अन्न भंडार से भोजन लेने का फैसला किया क्योंकि उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था. तब से वे लापता हैं. महिला ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
स्‍वाति मालीवाल ने कहा, ‘ये तीन दिन मेरे लिए बेहद कठिन रहे हैं. मुझे मणिपुर में प्रवेश करने के लिए सरकार द्वारा किसी भी सहायता से इनकार कर दिया गया फिर भी मैं बड़े व्यक्तिगत जोखिम पर यहां आई. वायरल वीडियो ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया और मैं हर कीमत पर बचे लोगों से मिलना चाहती थी. मुझे स्थानीय लोगों ने बताया कि बचे हुए लोगों के परिवारों से मिलने के लिए चुराचांदपुर की यात्रा करना बहुत कठिन है, फिर भी मैंने भारी गोलीबारी के बीच बिना किसी सुरक्षा के वहां जाने का फैसला किया. किसी तरह, मैं उनसे मिलने में कामयाब रही.वे कल्पना से भी बदतर नरक से गुजरे हैं और यह जानकर बहुत दुख हुआ कि न तो मुख्यमंत्री और न ही कोई सरकारी अधिकारी उनसे मिले. अब तक न ही सरकार की ओर से उन्हें कोई सहयोग दिया गया है. अगर मैं दिल्ली से पूरी यात्रा कर सकती हूं और बिना किसी सुरक्षा के उन तक पहुंच सकती हूं, तो निश्चित रूप से मणिपुर के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य बुलेट प्रूफ कार में जा सकते हैं और उनसे मिल सकते हैं. अब तक उन्हें परामर्श, कानूनी सहायता और मुआवज़ा क्यों नहीं दिया गया?

मणिपुर के हालात देखकर दिमाग हो रहा सुन्‍न
मणिपुर में हिंसा बेहद परेशान करने वाली है और जहां भी मैं जा रही हूं, वहां डरावनी कहानियां हैं जो दिमाग को सुन्न कर देती हैं. लोगों ने अपने घर और प्रियजनों को खो दिया है और सरकार उनकी रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रही है. मुझे लगता है कि केंद्र को तत्काल मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगना चाहिए.’ प्रधानमंत्री को गृह मंत्री और डब्ल्यूसीडी मंत्री के साथ तत्काल मणिपुर का दौरा करना चाहिए. मणिपुरी लोग बहुत अच्छे और दयालु होते हैं. यह एक खूबसूरत भूमि है. उनकी सुरक्षा के लिए केंद्र द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.

टैग: मणिपुर, स्वाति maliwal

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