नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए भारत द्वारा की गई सभी पहलों का जवाब भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद व हिंसा के कृत्यों से दिया गया और इसलिए पाकिस्तान इस क्षेत्र में भारत की ‘पड़ोसी पहले नीति’ का अपवाद बना हुआ है. पिछले तीन वर्षों में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा में पेश की गई.

सरकार ने 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले, उसी साल उरी आर्मी कैंप पर हमले और 2019 में पुलवामा हमले को पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकी कार्रवाई बताया है. सरकार ने समिति को बताया, ‘भारत ने बार-बार पाकिस्तान से मुंबई आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया है. हालांकि, पाकिस्तानी पक्ष के साथ सभी सबूत साझा किए जाने के बाद भी इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है.’

मोदी सरकार ने रिपोर्ट में ‘क्षेत्र में चिंताजनक स्थिति पेश करने’, ‘भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप’ और ‘द्विपक्षीय मुद्दों का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने’ के पाकिस्तान की कोशिशों को सफलतापूर्वक विफल करने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सक्रिय पहुंच’ का भी हवाला दिया है.

अपनी सिफारिशों में, समिति ने कहा है कि भारत को सक्रिय और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के साथ ही विभिन्न बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद और हिंसा के कृत्य को बेनकाब करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए एवं ‘कश्मीर के मुद्दे को उचित रूप से उठाने का मुकाबला करना चाहिए’.

हालांकि, समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि अगर वे आगे आएं और हमारे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक समानताओं और सभ्यतागत संबंधों को ध्यान में रखते हुए एवं दोनों देशों के नागरिकों के बीच दुश्मनी की कोई भावना न हो, तो पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध स्थापित करने पर विचार करें.

सरकार ने समिति को बताया, “पाकिस्तान को छोड़कर, ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ का केंद्रीय सिद्धांत हमारे राजनयिक प्रयासों में इन देशों पर सबसे अधिक ध्यान और जोर देना है.” सरकार ने कहा, ‘पाकिस्तान के साथ कोई भी सार्थक बातचीत केवल आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में ही हो सकती है. ऐसा अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान पर है.’

सरकार ने समिति को बताया कि पीएम मोदी ने मई 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निमंत्रण दिया था. भारत के विदेश मंत्री ने दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद का दौरा किया और एक व्यापक द्विपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव रखा.

सरकार ने कहा, “दुर्भाग्य से, इन सभी पहलों का जवाब भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद और हिंसा के कृत्यों से दिया गया है, जिसमें 2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर सीमा पार आतंकवादी हमला भी शामिल है; अगस्त 2016 में उरी में आर्मी कैंप पर हमला; और 14 फरवरी 2019 को पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) द्वारा पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किया गया आतंकवादी हमला.”

सरकार ने कहा कि ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत पाकिस्तान के साथ सीमा को मजबूत करने के लिए, एक महत्वपूर्ण कदम में, भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने 25 फरवरी, 2021 को एक संयुक्त बयान जारी कर नियंत्रण रेखा एलओसी और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम व सीमा पार घुसपैठ पर दोनों देशों के बीच सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा. सरकार ने समिति को बताया, ‘लेकिन पाकिस्तान ने जुलाई 2021 के बाद से सीमा पार घुसपैठ और संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले में फिर से वृद्धि कर दी है.’

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