माजिद आलम
नई दिल्ली.
भारत सरकार ने हाल ही में देश में अस्थिर खुदरा कीमतों में स्थिरता लाने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर ‘तत्काल प्रभाव से’ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इस कदम ने अफ्रीका, एशिया और यहां तक ​​​​कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में चिंता बढ़ा दी है और अब इससे दुनिया भर में खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है.

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 20 जुलाई को अपने एक बयान में कहा था कि, भारतीय बाज़ार में गैर बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने उक्त प्रकार के चावलों की निर्यात नीति में कुछ संशोधन किया और इसे ’20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी से मुक्त से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित’ कर दिया है.

इस प्रतिबंध से न केवल वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतें बढ़ने की आशंका है, बल्कि अमेरिका में खाद्य आपूर्ति पर भी दबाव पड़ेगा और वियतनाम तथा थाईलैंड जैसे चावल निर्यातक देशों पर बोझ बढ़ेगा.

अहमदाबाद में ब्रह्मा चोरायसी उत्सव के दौरान भारतीय रसोइये बासमती चावल तैयार करते हैं। (एएफपी)

देश में बढ़ती घरेलू कीमतों पर लगाम लगाने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था. सरकार ने कहा कि “चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं. खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5% और पिछले महीने में 3% की बढ़ोतरी हुई है. ”आगे सरकार ने कहा कि, निर्यात पर प्रतिबंध का मकसद था, “गैर-बासमती सफेद चावल की भारतीय बाज़ार में उपलब्धता सुनिश्चित करना और घरेलू बाजार में इसके दाम कम करना.”

सरकार बासमती चावल पर प्रतिबंध लगाने को क्यों हुई मजबूर
उत्तर भारत के चावल उत्पादक राज्यों में भारी मानसूनी बारिश और देश के अन्य हिस्सों में कम बारिश जैसे अप्रत्याशित मौसम परिवर्तनों की वजह से देश में चावल उत्पादन पर असर पड़ा है. पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में नई रोपी गई फसलों को नुकसान हुआ है और कई किसानों को दोबारा रोपाई करनी पड़ी है. रॉयटर्स के अनुसार, चावल उगाने वाले अन्य राज्यों में, किसानों ने धान की नर्सरी तैयार कर ली है, लेकिन कम बारिश के चलते रोपाई नहीं कर पा रहे हैं.

उत्तरी भारत के इलाहाबाद से करीब 25 किमी दूर घूरपुर गाँव के एक खेत में एक लड़की धान की फसल सुखाते हुए (रॉयटर्स/जितेंद्र प्रकाश)

देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में 25 फीसद हिस्सेदारी गैर-बासमती सफेद चावल की है और इस पर प्रतिबंध से देश में कीमतें कम होंगी.

किन देशों पर असर पड़ने की आशंका
डेटा एनालिटिक्स फर्म ग्रो इंटेलिजेंस ने एक रिपोर्ट में कहा कि सभी वैश्विक चावल शिपमेंट में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है, इसलिए फैसले से “चावल आयात पर अत्यधिक निर्भर देशों में खाद्य असुरक्षा को बढ़ाने का जोखिम बढ़ सकता है.

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