कटक (ओडिशा). उड़ीसा उच्च न्यायालय की एक पीठ ने सोमवार को आपराधिक अपील मामलों में 75 फैसले सुनाए, जिनमें से ज्यादातर हत्या के मामलों से संबंधित थे. यह उपलब्धि अदालत की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने से दो दिन पहले हासिल की गई.

न्यायमूर्ति देबब्रत दास और न्यायमूर्ति संजीव कुमार पाणिग्रही की पीठ ने पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे से एक प्रत्यक्ष-ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से सुनवाई शुरू की, जिसमें पक्ष प्रत्यक्ष और डिजिटल दोनों तरीके से उपस्थित हुए. शाम तक सभी सूचीबद्ध 75 मामलों के फैसले सुना दिए गए और खचाखच भरे अदालत कक्ष में तालियां गूंज उठीं. अपील राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से दायर की गईं.

सुनवाई के दौरान दो मामलों में पेश हुए वकील बी के रागड़ ने कहा, ‘उड़ीसा उच्च न्यायालय में 32 वर्षों की अपनी वकालत में, मैंने एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में आपराधिक मामलों में फैसले सुनाए जाते कभी नहीं देखे. आज एक रिकॉर्ड बनाया गया और यह दुर्लभ उपलब्धि उच्च न्यायालय की 75वीं वर्षगांठ के जश्न को यादगार बनाएगी.’

सोमवार को जिन अपील का निपटारा किया गया, वे कई वर्षों से लंबित थीं. अधिकतर मामलों में, अदालत ने निचली अदालतों द्वारा दी गई सजा की पुष्टि की और कई अन्य मामलों में, मौत की सज़ा को बदल दिया गया.

उच्च न्यायालय की स्थापना 26 जुलाई 1948 को हुई थी, जिसमें मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीरा किशोर रे सहित केवल चार न्यायाधीश थे. भारत के संघीय न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एच जे कानिया ने इसका उद्घाटन किया था.

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