हाइलाइट्स

राजेन्द्र गुढ़ा बर्खास्तगी केस
राजस्थान में सत्ता का संग्राम
राजस्थान में सियासत गरमाई

जयपुर. राजेन्द्र गुढ़ा वर्तमान अशोक गहलोत सरकार के पहले ऐसे मंत्री नहीं है जिन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया है. इससे पहले भी गहलोत सरकार में तीन मंत्री बर्खास्त किए जा चुके हैं. इनमें गहलोत के धुर प्रतिद्वंदी डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके गुट के विश्वेन्द्र सिंह तथा रमेश मीणा इस फेहरिस्त में शामिल हैं. उस समय अलग तरह के सियासी समीकरण थे. राजेन्द्र गुढ़ा गहलोत मंत्रिमंडल के ऐसे चौथे मंत्री हैं जिनको बर्खास्त किया गया है. अब दूसरे तरह के सियासी समीकरण हैं.

राजस्थान में अशोक गहलोत ने वर्ष 2018 में बीजेपी से सत्ता छीन कर तीसरी बार मुख्यमंत्री का पद संभाला था. गहलोत के सामने उस समय मुख्यमंत्री के पद लेने में सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़े थे राजस्थान पीसीसी के तत्काली चीफ सचिन पायलट. पार्टी आलाकमान ने बाद गहलोत के साथ सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद के लिए मना लिया. उस समय पायलट डिप्टी सीएम तो बन गए लेकिन उनकी गहलोत के साथ दूरियां बढ़ती. आखिरकार यह गठजोड़ लंबा नहीं चल पाया और वर्ष 2020 में राजस्थान की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया.

पायलट, मीणा और सिंह को किया गया था बर्खास्त
उस भूचाल में हुई उठापटक के बाद तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत समर्थक कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था. उसके बाद सत्ता का यह संग्राम खुलकर सड़कों पर आ गया था. उस पूरे घटनाक्रम के बाद रह-रहकर सियासी समीकरण बदलते रहे. अंतत: जैसे तैसे करके पायलट को मनाया गया और विश्वेन्द्र सिंह तथा रमेश मीणा को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.

मंत्रियों की बर्खास्तगी के साथ जुलाई माह का संयोग जुड़ा हुआ है
गहलोत सरकार के चार मंत्रियों की बर्खास्तगी के साथ जुलाई माह का संयोग भी जुड़ा हुआ है. पूर्व में भी पायलट और दो अन्य मंत्रियों को भी जुलाई माह में ही बर्खास्त किया गया था. वह घटनाक्रम 14 जुलाई 2020 को हुआ था. इस बार घटनाक्रम 21 जुलाई को हुआ है. उस समय सीएम गहलोत खुद पायलट समेत विश्वेन्द्र सिंह और रमेश की बर्खास्तगी का प्रस्ताव लेकर राजभवन लेकर गए थे. उसके बाद तत्काल प्रभाव से तीनों को बर्खास्त किया गया था. अब राजेन्द्र गुढ़ा को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया गया है.

बर्खास्तगी के लिए राज्यपाल से लेनी होती है सहमति
मंत्रमंडल में कौन कौन विधायक मंत्री होंगे इसका फैसला करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होते हैं. लेकिन मंत्री पद की शपथ राज्यपाल से करवाई जाती है. सबसे बड़ी वजह यही है कि जब भी कोई मुख्यमंत्री अपने मंत्री को बर्खास्त करता है तो उसे राज्यपाल की सहमति लेनी होती है. इसके लिए सीएम राज्यपाल को अनुशंसा करते हैं.

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