नई दिल्ली. बॉलीवुड में कई घराने ऐसे हैं, जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी बड़े पर्दे को अपने टैलेंट का तोहफा दिया. पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक और धर्मेंद्र से सनी देओल तक तमाम ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं. जब पीढ़ी दर पीढ़ी कलाकारों ने अपनी धाक जमाई रखी. ऐसा ही एक नाम है आर डी बर्मन यानी राहुल देव बर्मन का. कहा जाता है कि आरडी बर्मन बचपन में जब रोते थे तो उनके रोने में भी कई सुर निकलते थे, फिर कुछ ऐसा हुआ जब आरडी बर्मन को पंचम दा नाम मिल गया. उन्हें क्यों ये नया नाम मिला? और किसने उन्हें ये नाम दिया? कैसे पहली शादी के बाद हुए तलाक के बाद उन्होंने आशा भोसले को अपना हमसफल बनाया. चलिए आपको इस पूरे किस्से के बारे में बताते हैं.

आर डी बर्मन का जन्म कोलकाता में बॉलीवुड के प्रसिद्ध सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर सचिन देव बर्मन यानी एसडी बर्मन के घर में हुआ था. आर डी बर्मन की मां मीरा देव थीं. उन्हें पिता की तरह बचपन से ही गायन में खासी रुचि थी. वह पिता को छुप छुपकर देखते और उनसे गायन की बारीकियां सीखते.

जब पापा से कहा, मुझे पढ़ना अच्छा नहीं लगता
इस बीच जब वो नौवीं क्लास में थे, तब उनके नंबर काफी काम आए. पिता ने जब उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि उनकी रुचि सिंगिंग करने में है. पिता ने कहा कि क्या अभी तक कोई धुन बनाई है? तब उन्होंने उन्हें एक ऐसी धुन सुनाई, जिसे सुनकर पिता की बोलती बंद हो गई. पिता धुन सुनकर वहां से चलते बने बस यही बात थी जिसने आरडी बर्मन की जिंदगी ही बदल दी. आप को शायद पता नहीं होगा कि नौवीं क्लास में बनाई गई इस धुन का प्रयोग पिता सचिन देव बर्मन ने एक फिल्म में भी किया था.

  आरडी बर्मन कैसे बने पंचम दा, पहली पत्नी रीता पटेल से तलाक के बाद आशा भोसले से की शादी, शादी के बाद दूसरी पत्नी ने क्यों छोड़ा घर

बॉलीवुड के जाने-माने एक्टर और म्यूजिक डायरेक्टर एसडी बर्मन के बेटे आरडी बर्मन किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं.

कैसे मिला पंचम दा नाम?
आर डी बर्मन को पंचम दा नाम कैसे मिला? यह बात आरडी बर्मन के बचपन के दौरान की है. एक्टर अशोक कुमार एक बार एसडी बर्मन से मिलने उनके घर गए थे, वहां, उन्होंने देखा आर डी बर्मन रियाज में मग्न थे. अशोक कुमार ने उन्हें रियाज में प का बार-बार इस्तेमाल करते सुना तो उनका नाम पंचम रख दिया. जब आर.डी. बर्मन हिंदी सिनेमा में आए तो उन्हें पंचम दा नाम से ही पहचाना गया.

फैन को बनाया था हमसफर
पंचम दा एक ऐसे सिंगर थे, जो दूसरे सिंगर्स के साथ अपने फैंस के बीच भी बेहद पॉपुलर थे. सिर्फ पॉपुलर ही नहीं थे बल्कि वह अपने फैंस की बेहद कद्र करते थे. यही कारण है कि जब उनकी एक फैन ने उनकी तारीफ के कसीदे पढ़े और उनके साथ घूमने की बात कही तो वह तैयार हो गए. वह फैन कोई और नहीं बल्कि उनकी पहली पत्नी रीता पटेल थीं. रीता के साथ वह इतनी स्पेशल थी कि उन्हें उनसे प्यार हो गया और दोनों ने शादी कर ली.

शादी के 5 साल हुआ तलाक
उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था फिर अचानक शादी के 5 साल बाद दोनों के बीच कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग हुई और पंचम दा ने रीता के साथ म्यूच्यूअल डिवोर्स ले लिया. हालांकि, रीता से तलाक लेने के बाद पंचम दा बेहद दुखी थे. तलाक के बाद वह अपने घर न जाकर एक होटल में रुके, जहां उन्होंने गम के माहौल में ही एक गाना बना दिया, जो बाद में बेहद पॉपुलर हुआ. इस गाने के बोल हैं- ‘मुसाफिर हूं यारों ना घर है ना ठिकाना हमें चलते जाना है.’

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पंचम दा और आशा भोसले ने साथ में कई गाने गए हैं.

कैसे मिले आशा और पंचम दा के दिल?
तलाक के बाद उन्होंने नजदीकियां आशा भोसले से बढ़ने लगी. दरअसल, उस दौरान दोनों सिंगर जिंदगी की एक ही नाव पर सवार थे. आशा भोसले ने भी अपने पति से तलाक लिया था आशा भी तलाक के बाद बेहद दुखी थी. अपने तीनों बच्चों को वह अकेले पढ़ा-लिखा रही थीं. दोनों की पहली मुलाकात 1956 में फिल्म तीसरी मंजिल के गाने के लिए हुई थी.

इस शादी के लिए क्यों तैयार नहीं थीं आर डी बर्मन की मां
लगातार साथ काम करते हुए दोनों एक-दूसरे के बीच करीब बड़ी तो उन्होंने शादी का फैसला ले लिया. ये शादी भी आसान नहीं थी. क्योंकि इसके लिए आर डी बर्मन की मां बिलकुल तैयार नहीं थी. इसके दो कारण थे पहला कारण आशा का उम्र में बड़ा होना और दूसरा तीन बच्चे होना. हालांकि मां का हालत खराब हुई तो उन्होंने 1980 में आशा से शादी कर ली.

क्यों घर छोड़ चली गईं थीं आशा?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आर.डी. बर्मन को शराब और सिगरेट की लत थी और इससे आशा बहुत परेशान थीं, क्योंकि इसी लत की वजह से उन्हें काम भी नहीं मिल पा रहा था. कुछ समय के बाद दोनों के बीच में झगड़े होने लगे और आशा भोंसले उनसे अलग रहने लगीं. आखिरी समय में आर.डी. बर्मन की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. एक समय ऐसा भी रहा जब उन्हें काम मिलना बंद हो गया. सालों बाद विधु विनोद चोपड़ा ने आर.डी. बर्मन की मदद करते हुए उन्हें अपनी फिल्म 1942: ए लव स्टोरी में म्यूजिक कंपोज करने का मौका दिया. फिल्म के सभी गाने सुपरहिट रहे, लेकिन इसी का कामयाबी वो देख नहीं सके.

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