भारत अपने वैदेशिक संबंधों में रोज नए मील के पत्थर जोड़ रहा है और इन प्रगाढ़ होते संबंधों में जो एक नई कड़ी जुड़ रही है वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके विभिन्न राष्ट्र के दौरों के दौरान मिलने वाले राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान हैं। हाल में हुए प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस दौरे में रिश्तों की एक नई बानगी उस समय देखने को मिली जब पेरिस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया। यह सैन्य या नागरिक आदेशों में फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान है और नरेंद्र मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।

फ्रांस का हालिया दौरे कई मायनों में विशिष्ट माना जा रहा था लेकिन चूँकि फ्रांस को विश्व की महाशक्ति माना जाता है इसलिए भारत के विदेश नीति के विशेषज्ञ ये मान कर चल रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस यात्रा में सैन्य विभाग में कुछ बड़े सौदे होते दिखेंगे और ऐसा हुआ भी। रक्षा क्षेत्र में परस्पर सहयोग को पुख्ता करते हुए भारत और फ्रांस के बीच बेहद जरुरी समझौते हुए।

दोनों देशों ने न केवल स्कॉर्पीन पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए बल्कि रक्षा औद्योगिक सहयोग पर एक रोडमैप अपनाने के उद्देश्य से भारत ने पेरिस स्थित अपने दूतावास में DRDO का एक तकनीकी कार्यालय स्थापित करने का भी निर्णय लिया। एक तरफ राफेल जेट के 26 नौसैनिक स्वरूप खरीदने और तीन फ्रांसीसी-डिजाइन वाली स्कॉर्पीन की पनडुब्बियों की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी मिली तो दूसरी तरफ दोनों देशों ने प्रक्षेपण यान के क्षेत्र में संयुक्त विकास की योजनाओं की घोषणा करते हुए ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ एवं ‘एरियनस्पेस’ द्वारा वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाओं पर सहयोग करने का समझौता किया।

इंडियन ऑयल और फ्रांस की टोटल कंपनी के बीच एलएनजी के आयात को लेकर दीर्घकालिक समझौता हुआ। ये भी तय हुआ कि भारत फ्रांस के दक्षिणी शहर मार्सिले में वाणिज्य दूतावास खोलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की गंभीरता को वैश्विक मंच प्रदान करते हुए पृथ्वी और महासागरों के तापमान पर नजर रखने और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने की लिए एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘तृष्णा’ के समझौते पर भी हस्ताक्षर करके अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत और फ्रांस के बीच एक बड़े सहयोग की घोषणा की।

प्रधानमंत्री मोदी का फ्रांस दौरा सिर्फ रक्षा क्षेत्र के समझौतों तक ही नहीं सिमटा बल्कि इस दौरान कई छोटे लेकिन जरूरी मुद्दों पर भी सार्थक चर्चा हुई, जैसे फ्रांस में मास्टर्स करने वाले भारतीय छात्रों को उस वक्त बड़ी राहत मिली जब दोनों सरकारों की चर्चा के बाद छात्रों की वीजा अवधि को 5 साल तक बढ़ाने की घोषणा हुई। फ्रांस में प्रधानमंत्री मोदी का सीनेट दौरा हो या पेरिस में प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बॉर्न के साथ हुई प्रतिनिधिमण्डल की बैठक, हर जगह आपसी सम्बन्ध यूपीआई की चर्चा के साथ मजबूत होते गए। असल में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मोदी द्वारा बोले गए ये वाक्य इस पूरी यात्रा का निचोड़ थे, ‘एक नई विश्व व्यवस्था उभर रही है.. एक ऐसी व्यवस्था जहां भारत किसी भी अवसर को जाने नहीं देगा।’

वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा ने रक्षा, अंतरिक्ष, बुनियादी ढांचे और संस्कृति समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारत-फ्रांस संबंधों को मजबूत करने का कार्य किया। बैस्टिल डे के लिए प्रधानमंत्री मोदी को मिले निमंत्रण ने भारत – फ्रांस के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अब भारत विश्व के सामने सीना तान कर खड़ा है।

(डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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