हाइलाइट्स

बसपा के लोकसभा में 9 और राज्‍यसभा में एक सांसद है
BJP के नेतृत्व वाले NDA के ल‍िए बसपा का यह कदम महत्वपूर्ण होगा
बीआरएस और बीजेडी को लेकर भी स्‍थ‍ित‍ि पूरी तरह से स्‍पष्‍ट नहीं

नई द‍िल्‍ली. संसद के मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दौरान शुक्रवार को विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) संशोधन विधेयक पर चर्चा होगी. चर्चा के बाद इस पर वोट‍िंग होगी. इस व‍िधेयक के ख‍िलाफ समर्थन जुटाने के ल‍िए द‍िल्‍ली की सत्‍तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी और सीएम अरव‍िंद केजरीवाल ने अन्‍य व‍िपक्षी दलों से मुलाकात की थी. लेक‍िन इस व‍िपक्षी समूह से दूर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस व‍िधेयक मामले से दूर रहने का फैसला क‍िया है. बसपा न तो चर्चा में भाग लेगी और न ही वह इस पर होने वाली वोट‍िंग का ह‍िस्‍सा बनेगी.

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इंड‍ियन एक्‍सप्रेस में प्रकाश‍ित र‍िपोर्ट के मुताब‍िक पार्टी सूत्र बताते हैं क‍ि BSP ने मॉनसून सत्र के दौरान पेश क‍िए जाने वाले विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) संशोधन विधेयक पर चर्चा के साथ-साथ मतदान से भी दूर रहने का फैसला किया. भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के ल‍िए बसपा का यह कदम महत्वपूर्ण होगा क्योंकि उसको राज्यसभा (Rajya Sabha) में संख्या जुटाने में कठिनाई हो रही है.

सूत्र बताते हैं क‍ि पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में विधेयक की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है. अगर ऐसा हुआ तो बसपा मतदान से भी दूर रहेगी. जहां लोकसभा में बसपा के 9 सदस्य हैं, वहीं उच्च सदन यानी राज्‍यसभा में उसका केवल 1 सांसद है.

इस बीच देखा जाए तो तेलंगाना स्थित भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) व‍िपक्ष के एकता मंच का ह‍िस्‍सा भी नहीं बनी थी. अब उसने गुरुवार को एक और आश्‍चर्यचक‍ित करने वाला कदम अख्‍त‍ियार करते हुए राज्‍य सभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीट‍िंग से अन्‍य व‍िपक्षी सांसदों के साथ वॉकआउट क‍िया था. जोक‍ि सदन के आधिकारिक कामकाज में विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश (Delhi ordinance) को बदलने के लिए एक विधेयक को शामिल करने के विरोध में किया गया था.

बताते चलें क‍ि विपक्षी गठबंधन इंडिया (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) और भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए पहले से ही दो खेमों में बंटा है. दो अन्य तथाकथित तटस्थ दल – वाईएसआरसीपी (YSRCP) जो आंध्र प्रदेश में सत्ता में है और बीजेडी जो ओडिशा पर शासन करती है – ने अभी भी इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट नहीं क‍िया है. विपक्ष के सूत्रों का दावा है क‍ि विधेयक को रोका जा सकता है अगर ये दोनों दल इसके खिलाफ मतदान करते हैं या फि‍र अनुपस्थित रहते हैं.

वहीं, व‍िपक्षी दल इसको लेकर भी पूरी तरह से सतर्क हैं क‍ि ज‍िन दलों को आम आदमी पार्टी ने लामबंद क‍िया था वो अनुपस्‍थ‍ित ना हो. व‍िपक्षी दलों को उम्‍मीद है क‍ि द‍िल्‍ली संशोधन व‍िधेयक 2023 सदन में पेश क‍िया जाएगा. आम आदमी पार्टी की ओर इस अध्यादेश को निर्वाचित सरकार को दरकिनार करने और सिविल सेवकों का नियंत्रण उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) को सौंपने को संघवाद (federalism) के सिद्धांत का उल्लंघन बताया था.

संसद के दोनों सदनों में भाजपा की मौजूदगी पर नजर डाली जाए तो लोकसभा (Lok Sabha) में 303 संसद सदस्‍यों के साथ उसके पास स्‍पष्‍ट बहुमत है. राज्‍यसभा में वर्तमान में कुल 238 सांसद हैं. अगर गैर भाजपा दलों के सांसद साथ आते हैं तो भाजपा के ल‍िए मुश्‍किल हो जाएगी. वहीं भाजपा और सहयोगी दलों के राज्‍यसभा सांसदों की संख्‍या 111 है ज‍िसमें मनोनीत सदस्‍य भी शामि‍ल हैं. वहीं, बीजेडी, वाईएसआरसीपी, बीएसपी, टीडीपी और जेडी (एस) को छोड़कर विपक्ष 106 सदस्यों के साथ थोड़ा ही पीछे है.

टैग: आम आदमी पार्टी, बसपा, विपक्षी दल, संसद सत्र

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