अमिता शिंदे, वर्धा. महाराष्ट्र में जंगली सब्जियों की कोई कमी नहीं है. मानसून शुरू होते ही कई जंगली सब्जियां मिलने लगती हैं. इस दुर्लभ सब्जी को खाना हर कोई पसंद करता है. ये सब्जियां खेतों, जंगलों, पहाड़ी इलाकों और खुले मैदानों में उगती हैं. इस इलाके की महिलाएं सब्जियों की सटीक पहचान करती हैं, उन्हें काटती हैं और घर ले आती हैं. उन्हीं सब्जियों में से एक है तरोटा. यह सब्जी वर्धा जिले में बहुत लोकप्रिय है.

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तरोटा एक जंगली सब्जी है, जिसे टकला, तरवटा,चक्रमर्द जैसे नामों से भी जाना जाता है. इस पौधे का वैज्ञानिक नाम कैसिया टोरा है. यह एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है. तरोटा की नई पत्तियों का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. यह पौष्टिक और वातनाशक है ऐसा कहां जाता है.

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रोग प्रतिरोधक क्षमता और आहारीय फाइबर के साथ-साथ सभी प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वों के लिए जंगली सब्जियां खाएं. जंगली सब्जियां स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिक फायदेमंद होती हैं. तरोटा एक जंगली सब्जी है जो बरसात के मौसम में उगती है. यह सब्जी अक्टूबर से दिसंबर के बीच फूलती है.

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यह सब्जी देखने में मेथी की सब्जी जैसी लगती है. यह सब्जी स्वाद में थोड़ी कड़वी होती है. लेकिन यह सभी त्वचा रोगों में कारगर है. यह जंगली सब्जी पाचक होने के कारण श्रावण मास में इसका सेवन किया जाता है ऐसी जानकारी विशेषज्ञों ने दी है.

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सबसे पहले पत्तों को अलग-अलग काट लें. इस कटी हुई सब्जी को पानी में अच्छी तरह उबाल लें. इसमें से सारा पानी निकाल कर सादे पानी से धो लें. इससे सब्जी का कड़वापन दूर हो जाएगा. इस सब्जी में अपनी पसंद के अनुसार प्याज डालें.

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गरम तेल में आप प्याज, लाल या हरी मिर्च का इस्तेमाल कर सकते हैं. प्याज और मिर्च थोड़ा पक जाने पर हल्दी और मिर्च डाल दीजिये. इसमें उबली हुई तरोटा सब्जियां डालें. इसे मेथी की सब्जी की तरह पकने दें. अब तरोटा सब्जी खाने के लिए तैयार है.

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