कविताओं के माध्यम से ही कोई बच्चा बाहर के संसार को जानता है. मां के बाद कविता ही बच्चों की वो शिक्षिका होती है जो उन्हें हमारे शरीर, प्रकृति और दुनियादारी से परिचित कराती हैं. अब समय बदल गया है नहीं तो बड़ी-बड़ी से बातें, श्लोक और गणित की गणनाएं बच्चे गाकर ही सीखते थे. गीत-कविताओं के माध्यम से सीखी गई चीजें ताउम्र याद रहती हैं.

हमारे साहित्यकारों ने बाल साहित्य की दुनिया में सबसे ज्यादा रचनाएं कविताएं ही हैं. लाखों किलोमीटर दूर आसमान में चमकते चंदा मामा से बातें करनी हों या फिर घर में ही रूठी हुई दादी अम्मा को मनाना, सभी कुछ तो गीत-कविताओं के माध्यम से हुआ करता था.

प्रसिद्ध बाल साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने बच्चों के साहित्य का अद्भुत संसार रचा है. शायद ही कोई होगा जिसका वास्ता बचपन में उनकी कविताओं से ना पड़ा हो. रुद्रादित्य प्रकाशन से ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी बाल गीत कोश’ प्रकाशित हुआ है. इस बाल गीत कोश को उनके पुत्र डॉ. विनोद माहेश्वरी और प्रसिद्ध गीतकार तथा भाषाविद् डॉ. ओम निश्चल ने संपादन किया है.

‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी बाल गीत कोश’ में बच्चों की लगभग हर विषय पर कविताएं दी गई हैं. इसमें सबसे अच्छा हिस्सा है- बच्चों की हिंदी के महीने, दिशाएं और दिनों के बारे में जानकारी देना. आजकल की पढ़ाई में बच्चे हिंदी गिनती, महीने और दिनों से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में निश्चित ही द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की ये कविताएं बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के ज्ञान में भी इजाफा करेंगी. प्रस्तुत हैं उनकी कुछ कविताएं-

चार दिशाएं

उगता सूरज जिधर सामने
उधर खड़े हो मुंह करके तुम।
ठीक सामने पूरब होता
और पीठ पीछे है पश्चिम
बायीं ओर दिशा उत्तर की
दायीं ओर तुम्हारे दक्षिण।
चार दिशाएं होती हैं यो-
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण।

हिंदी महीने चैत-बैशाख के बारे में नए बच्चे तो क्या बड़ों की जानकारी भी लगातार क्षीण पड़ती जा रही है. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की बारह महीने बाल कविता में हिंदी महीनों के बारे में बड़े ही रोचक ढंग से बताया गया है-

बारह महीने

चैत, बैसाख, जेठ, आषाढ़,
सावन, भादों और कुआर।
कातिक, अगहन, पूष औ माघ
फागुन, ये हैं बारह माह।

सात दिन

हफ्ते में दिन होते सात
आओ, गिनो हमारे साथ
रविवार, सोमवार, मंगलवार,
बुध, गुरु, शुक्र और शनिवार।

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अंग्रेजी महीनों के नाम याद कराने के लिए द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने एक शानदार कविता रची है- बारह माह. इस कविता का एक और खास बात यह है कि महीनों के नाम के साथ-साथ इसमें किस महीने में कितने दिन होते हैं, इसके बारे में बड़े ही रोचक ढंग से बताया गया है. तो बच्चों के साथ आप भी याद करें- बारह माह

तीस दिनों के महीने अप्रैल,
जून, सितम्बर और नवम्बर!
होते हैं इकतीस दिनों के
मई, जुलाई और दिसम्बर।
मार्च, अगस्त, जनवरी, अक्टूबर
में भी होते इकतीस दिन।
सिर्फ फरवरी के महीने में
ही होते हैं अट्ठाइस दिन।
किंतु लोंद की साल फरवरी
होती है उनतीस दिनों की।
एक साल होता है गिन लो
यो मिल कर बारह महिनों का।
जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल,
मई, जून, जुलाई, अगस्त,
सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर
आओ करें इन्हें कंठस्थ।

‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी बाल गीत कोश’ में चार से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए बालगीतों का संकलन किया गया है. बाल साहित्य के अप्रतिम कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जन्म 1 दिसंबर, 1916 को आगरा जिले के रोहता गांव में हुआ था. खेती-किसानी से जुड़े परिवार के बाद भी तीन भाइयों में सबसे छोटे द्वारिका प्रसाद जी ने एमए और एलटी तक की शिक्षा ग्रहण की. शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग जुड़े और शिक्षा प्रसार अधिकारी, पाठ्य पुस्तक अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद में अतिरिक्त सचिव तथा प्राचार्य गवर्नमेंट सेंट्रल पेडागाजिकल इन्स्टीट्यूट इलाहाबाद के उपनिदेशक जैसे पदों पर रहते हुए सेवानिवृत हुए.

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