नई दिल्ली. संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है. वहीं विपक्ष के तेवरों को देखते हुए साफ लग रहा है कि ये सत्र बेहद हंगामेदार रहेगा. उधर सरकार की कोशिश है कि तमाम मुद्दों पर विपक्ष के साथ सहमति बनाकर संसद को चलाया जा सके.

संसद के मानसून सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए कल बिज़नेस एडवाइज़री कमेटी की मीटिंग हुई और फिर इसके बाद सर्वदलीय बैठक और एनडीए फ़्लोर लीडर्स की मीटिंग हुई. सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने मुद्दों को सरकार के सामने रखा. इस दौरान विपक्ष की तरफ से मणिपुर हिंसा, मंहगाई और दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे को उठाया गया. विपक्ष की इन मांगों पर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार चाहती है कि सदन सुचारू रूप से चले. वह हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार हैं

सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार
प्रह्लाद जोशी ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हमने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें 34 दलों के 44 नेताओं ने हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ महत्वपूर्ण सुझाव आए. ये सुझाव विपक्षी दलों से भी आए और सहयोगी दलों से भी मिले.

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा, ‘सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने मणिपुर की स्थिति का मुद्दा भी उठाया और सरकार से इस पर चर्चा कराने की मांग की. जब भी लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति समय तय करते हैं, हम चर्चा कराने को तैयार हैं. जो भी मुद्दे होंगे, हम नियमों एवं प्रक्रियाओं के तहत चर्चा कराने को तैयार है.’

मानसून सत्र में पेश किए ये अहम विधेयक
जोशी ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान सरकार के पास 31 ‘विधायी विषय’ हैं. इनमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 शामिल है. इसके अलावा डाक सेवाएं विधेयक 2023, डिजिटल व्यक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2023, प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और आवश्यक संशोधन विधेयक 2023, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निधि और बैंक विधेयक 2023 भी सूची में शामिल हैं.

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इस सत्र के दौरान जैवविविधता संशोधन विधेयक 2022 और बहु राज्य सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022 को चर्चा एवं पारित किये जाने के लिए पेश किया जा सकता है.

बता दें कि मानसून सत्र का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब एक दिन पहले ही 26 विपक्षी दलों ने इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) का गठन किया, ताकि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनौती दी जा सके.

ऐसे में संसद के इस सत्र के दौरान दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन अध्यादेश और इससे संबंधित विधेयक का मुद्दा प्रमुखता से उठेगा, जिस पर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार होने के आसार हैं. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली में नौकरशाहों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण से जुड़े इस अध्यादेश का विरोध कर रही है जिसे केंद्र सरकार ने मई में जारी किया था.

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