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रविंद्र को फांसी की सजा हुई थी लेकिन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा कम करके उम्रकैद कर दी. साल 2001 में उनकी दिल के दौरा पड़ने से मौत हो गई. रविंद्र द्वारा लिखी गई चिट्ठी को पढ़ते हुए उनके भाई ने बताया कि उनके भाई (रविंद्र कौशिक) ने लिखा, ‘क्या भारत जैसे बड़े देश के लिए कुर्बानी देने वालों को यही मिलता है? मालूम हो कि उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कुछ नहीं किया, बस उनको उनके हाल पर यूं ही छोड़ दिया था.