दंत चिकित्सा आयोग विधेयक: संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. इसमें हर बार की तरह कई विधेयकों पर चर्चा भी होगी. इन्हीं में से एक विधेयक है द नेशनल डेंटल कमीशन बिल. सरकार ने इस बिल को भी संसद सत्र में चर्चा के लिए लिस्ट किया है. वहीं खास बात है कि इस बिल के पारित होने के बाद भारत में लंबे समय से काम कर रही डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और इसकी जगह पर एक नया कमीशन बनाया जाएगा. लिहाजा इस बिल में क्या खास है और इसका भविष्य में किसे फायदा मिलने जा रहा है यह जानना जरूरी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 5 लाख डॉक्टरों की कमी है. इनमें सभी प्रकार के मेडिकल प्रेक्टिशनर्स के अलावा डेंटिस्ट भी शामिल हैं. वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसदीय समिति की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट बताती है कि फिलहाल देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी 400 के आसपास है लेकिन इसके बावजूद इस कमी को पूरा करने के लिए करीब 1 हजार कॉलेजों की जरूरत है.
बता दें कि संसद में चर्चा के लिए शामिल किया गया द नेशनल डेंटल कमीशन बिल पारित होने के बाद देश में चिकित्सा व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है. इस बारे में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डॉ. अनिल चांदना कहते हैं कि इस बिल में कई चीजें ऐसी लाई जा रही हैं जो फायदेमंद हो सकती हैं.
ये 10 चीजें हैं बिल में खास
. इस बिल में भारत की दंत चिकित्सा की शिक्षा को ग्लोबल स्टेंडड के लिहाज से तैयार करने के अलावा अफोर्डेबल क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने की रूपरेखा बनाई गई है.
. इस बिल का उद्धेश्य डेंटिस्ट्री और डेंटिस्टों के बीच में तालमेल बनाने के साथ ही इन्हें रेगुलेट करने की व्यवस्था करना है.
. बिल में तीन स्वायत्त बोर्ड होंगे. इनमें एक यूजी एंड पीजी, डेंटल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड, एथिक्स एंड डेंटल रजिस्ट्रेशन बोर्ड के अलावा एक डेंटल एडवाइजरी काउंसिल और स्टेट डेंटल काउंसिल बनाने का प्रस्ताव है.
. डेंटल काउंसिल आफ इंडिया को हटाकर डेंटल कमीशन बनाने की कवायद होगी और यह आयोग 33 सदस्यीय होगा. जिसमें 1 चेयरपर्सन, 8 एक्स ऑफिस मेंबर्स और 24 पार्ट टाइम सदस्य होंगे. कमीशन या बोर्ड के सभी सदस्यों का कार्यकाल चार साल होगा.
. डेंटिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए यूनिफॉर्म एक्जिट टेस्ट.
. प्राइवेट डेंटल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों पर फी स्ट्रक्चर को रेगुलेट करने की व्यवस्था.
. एक सर्च कम सिलेक्शन कमेटी का गठन किया जाएगा. जिसके अध्यक्ष और सचिव का चुनाव कैबिनेट सेक्रेटरी के द्वारा किया जाएगा.
.70 साल या उससे ऊपर की उम्र होने पर सदस्यों को पदमुक्त कर दिया जाएगा या फिर इस उम्र में पद नहीं प्रदान किया जाएगा.
. इस विधेयक में देश में हाई क्वालिटी की ओरल हेल्थकेयर प्रदान करने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं.
.एक्सीडेंट के मामलों में भी डेंटिस्ट्री या डेंटल हेल्थकेयर को तत्काल जोड़ने की प्रकिया पर भी इस बिल में प्रावधान किया गया है.
काउंसिल के बजाय होगा कमीशन
डॉ. चांदना कहते हैं कि इस बिल में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया को हटाकर नेशनल डेंटल कमीशन लाने की बात कही जा रही है, यह आयोग देश में चल रहे अन्य आयोगों की तरह ही एक संवैधानिक बॉडी होगी जो डेंटिस्ट्री के सभी मुद्दों को देखेगी. जिस प्रकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नेशनल मेडिकल कमीशन बनाया है, उसी तरह अब नेशनल डेंटल कमीशन को बनाने की कवायद की जा रही है. उम्मीद है कि कमीशन दंत चिकित्सा में बेहतरीन बदलाव लेकर आएगा.
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टैग: स्वास्थ्य समाचार, जीवन शैली
पहले प्रकाशित : 19 जुलाई, 2023, शाम 5:50 बजे IST
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