मोटापा और मधुमेह: भारत में लगभग हर घर में मोटे या बढ़ी हुई तोंद वाले लोग देखने को मिल जाएंगे. आज देश में 135 मिलियन लोग ओवरवेट, ओबेसिटी या पेट के मोटापे की गिरफ्त में हैं. यह सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में और भी ज्यादा देखने को मिल रहा है लेकिन यही मोटापा अगर आपको डायबिटीज जैसी कभी न खत्म होने वाली बीमारी दे रहा हो तो यह डरने वाली बात है. भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं, जबकि इससे भी ज्यादा संख्या में डायबिटिक होने की कगार पर खड़े हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज होने की एक बड़ी वजह सेंट्रल ओबेसिटी यानि पेट पर चढ़ी हुई चर्बी है जिसकी तरफ लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है. आप भी मोटे पेट के शिकार हैं तो कई रिसर्च और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित ये रिपोर्ट आपको चौंका सकती है.
ओबेसिटी और डायबिटीज का कनेक्शन काफी गहरा है. इसको लेकर हुईं सैकड़ों रिसर्च के एनालिसिस पर आधारित रिपोर्ट कहती है कि सामान्य मोटापा भी बीमारियों की जड़ है लेकिन पूरे शरीर के मुकाबले पेट पर बढ़ी चर्बी खासतौर पर शुगर लेवल को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है. भारत में डायबिटीज के सबसे ज्यादा मामलों के पीछे भी पेट पर बढ़ा मोटापा एक बड़ी वजह बनकर सामने आ रहा है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड गुरु तेग बहादुर अस्पताल में सेंटर ऑफ डायबिटीज, एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म के हेड प्रोफेसर एस.वी. मधु News18hindi से बातचीत में बताते हैं कि आमतौर पर भारतीयों में खाना खाने के बाद फैट पूरे शरीर के बजाय सिर्फ पेट के आसपास जम जाता है जो शरीर में इंसुलिन के संतुलन को बिगाड़ देता है. आंतों, त्वचा के नीचे और एक्टोपिक फैट यानि लिवर मांसपेशियों, अग्न्याशय आदि के पास फैट जमा होने कुछ प्रोटीन ज्यादा मात्रा में बनने लगते हैं जो इंसुलिन के लिए दीवार का काम करते हैं और उसको बनने से रोकते हैं, इसकी वजह से ग्लूकोज का लेवल खून में बढ़ जाता है और ब्लड शुगर हाई यानि डायबिटीज की समस्या हो जाती है.
दिल्ली में हर तीसरा व्यक्ति डायबिटिक
प्रोफेसर एसवी मधु और उनकी टीम द्वारा ईस्ट दिल्ली में 470 घरों के 1317 लोगों पर ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT) आधारित एक सर्वे में काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इसमें पाया गया कि दिल्ली का हर तीसरा व्यक्ति डायबिटिक है. वहीं इस स्टडी में ये भी देखने को मिला है कि डायबिटीज से जूझ रहे लोग साथ ही साथ मोटापे या पेट के मोटापे से भी ग्रस्त हैं. सर्वे के अनुसार 18.3 फीसदी लोगों में डायबिटीज पाई गई है. जिसमें 10.8 फीसदी पहले से बीमारी के बारे में जानते हैं वहीं 7.5 फीसदी हाल ही में डायबिटिक हुए लोग हैं. डब्ल्यूएचओ के क्राइटेरिया के अनुसार 21 फीसदी लोग प्री-डायबिटिक हैं, जबकि एडीए के क्राइटेरिया के अनुसार 39.5 फीसदी लोग यानि तिहाई से भी ज्यादा जनसंख्या प्री-डायबिटिक है. इस तरह 35.77 फीसदी के साथ हर तीसरा व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है.
दिल्ली की नर्सों में सेंट्रल ओबेसिटी का स्तर खतरनाक
जीटीबी अस्पताल और दिल्ली यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी यूसीएमएस की ओर से दिल्ली में काम कर रहीं नर्सों पर एक क्लीनिकल रिसर्च की गई. डॉ. एसवी मधु बताते हैं कि इस रिसर्च में 290 नर्सेज और 206 सामान्य महिलाओं को शामिल किया गया. कई महीनों तक इन सभी के सिस्टेमेटिक एक्जामिनेशन के बाद सामने आया दिल्ली के अस्पतालों में काम रही सभी पांच में से 4 नर्स ओवरवेट या सेंट्रल ओबेसिटी की समस्या से जूझ रही हैं. यानि 82.7 फीसदी नर्सें मोटापे से ग्रस्त हैं. हालांकि डायबिटीज या प्री डायबिटीज की मौजूदगी सामान्य महिलाओं वाले ग्रुप में नर्सों के मुकाबले ज्यादा देखी गई. ऐसे में महिलाएं ओेबेसिटी और डायबिटीज दोनों ही स्तरों पर खतरनाक स्थिति में हैं.
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obesity causes diabetes: भारत में तोंद या पेट की चर्बी बढ़ने की समस्या तेजी से बढ़ रही है.
सामान्य मोटापे से ज्यादा क्यों खतरनाक है पेट का मोटापा
साल 2023 में आईसीएमआर-इंडिया डायबिटीज की स्टडी के मुताबिक भारत में सबसे तेजी से पेट की चर्बी बढ़ रही है. 31 राज्यों में 20 साल या उससे ऊपर के लोगों पर किए गए इस सर्वे के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इसके मुताबिक कई प्रकार की एनसीडी में सबसे तेजी से पेट का मोटापा बढ़ रहा है. यह न केवल डायबिटीज बल्कि हार्ट और लिवर के लिए भी खतरनाक है. इसके सर्वे के मुताबिक भारत में डायबिटीज के 11.4 फीसदी मरीज मौजूद हैं. वहीं प्री डायबिटीज से 15.3 फीसदी लोग जूझ रहे हैं. हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या 35.5 फीसदी है. सामान्य मोटापे से 28.6 फीसदी लोग ग्रस्त हैं और पेट का मोटापा 39·5 फीसदी लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है.
भारत में ये जीन भी है मोटापे की वजह
प्रो. मधु कहते हैं कि भारतीयों में यूरोपियन या अन्य देशों के मुकाबले खाना खाने के बाद फैट पूरे शरीर के बजाय पेट पर जमने की समस्या ज्यादा खतरनाक है. हालिया रिसर्च में सामने आया है कि एशियन इंडियन फेनोटाइप यानि कि TCF7L2 जीन की वजह से भारतीय लोगों का खानपान अन्य यूरोपियन देशों से अलग है, वहीं खाने-पीने के प्रभाव भी अलग-अलग हैं. अगर एक ही चीज को यूरोपियन और भारतीय लोगों को खिलाया जाए तो उसका असर दोनों पर अलग-अलग पड़ेगा. यही वजह है कि यूरोपियन लोगों में ओबेसिटी तो है लेकिन भारतीय लोगों में सेंट्रल ओबेसिटी तेजी से बढ़ रही है और संभवत: इसी वजह से भारत डायबिटीज के मरीजों की संख्या में पहले नंबर पर पहुंच चुका है.
सेंट्रल ओबेसिटी से बचना जरूरी
डॉ. एसवी मधु कहते हैं कि मोटापे को लेकर ये बात समझने की जरूरत है कि शरीर के सामान्य मोटापे के बजाय सेंट्रल मोटापा यानि पेट के आसपास चर्बी को न जमने देना बेहद जरूरी है. शरीर के किसी भी हिस्से में मोटापे के मुकाबले पेट के आसपास का फैट ज्यादा नुकसानदेह है और कई एनसीडीज की वजह है. एक अनुमान के मुताबिक मोटापा करीब 200 बीमारियां पैदा कर सकता है.
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पहले प्रकाशित : 18 जुलाई, 2023, 11:17 पूर्वाह्न IST