नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के कार्यान्वयन पर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा कि क्या मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए कोई योजना बनाई गई है. जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिए.

बता दें कि याचिका में मांग की गई है कि सूखे शौचालय एक्ट, 1993 और मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने, मैला ढोने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की गई है. बेंच ने कहा कि कोर्ट ने पहले भी मैला ढोने को लेकर निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने ये भी पूछा है कि राज्यों में सीवर की सफाई के लिए नगर पालिकाओं द्वारा कौन से उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं?

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी ये सभी लोग इसमें लगे हुए है, इनके पुनर्वास के बारे में सरकार के पास क्या प्लान है. कोर्ट ने कहा कि आप 5 से 10 लाख रुपये का मुआवजा दे सकते है. क्या वे किसी अन्य किसी प्रकार के रोजगार में लग जाते है? क्या इस विषय में सरकार पास कोई योजना है?

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उठाए गए कदमों के बारे में पूछा
हालकि कोर्ट ने पहले केंद्र सरकार को मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत मैनुअल स्कैवेंजर्स के रोजगार को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने केंद्र से 11 एससीसी 224 में रिपोर्ट किए गए 2014 के फैसले, सफाई कर्मचारी आंदोलन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य में जारी दिशानिर्देशों के अनुसरण में उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा था.

क्या कहा ASG ऐश्वर्या भाटी ने
मामले की सुनवाई के समय केंद्र सरकार की वकील ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को केंद्र द्वारा अपनाए गए व्यावहारिक तरीकों और हाथ से मैला ढोने वालों की पहचान के सर्वेक्षण के लिए समयसीमा के बारे में बताया. एएसजी ने अदालत को यह भी बताया कि अदालत के निर्देशों के अनुसार केंद्रीय निगरानी समिति की बैठक 5 जुलाई को बैठक हुई.

एनसीएसके ने दिए क्या आंकड़े
सीवेज सफाई के दौरान होने वाली मौतों को रियल टाइम ट्रैक करने पर भी जानकारी मांगी है. साथ ही यह भी पूछा है कि पीड़ितों को संबंधित अथॉरिटीज द्वारा मुआवजे और पुनर्वास की क्या व्यवस्था की जाती है. कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने बताया कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) की 2019-20 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 18 राज्यों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 20 अगस्त, 2019 तक 42,303 लोग मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में काम कर रहे हैं.

एनसीएसके ने कहा-एक सर्वेक्षण की आवश्यकता
एनसीएसके एक गैर-वैधानिक निकाय है जो 2013 अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करता है, शिकायतों की जांच करता है, अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देता है और गैर-कार्यान्वयन पर ध्यान देता है. हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए डेटा पहली आवश्यकता है. आयोग ने कहा कि हाथ से मैला ढोने का काम जारी रखने वाले लोगों का राष्ट्रीय स्तर का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. आयोग की रिपोर्ट ने अपने निष्कर्षों में कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक जिले में हाथ से मैला ढोने वालों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण की आवश्यकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को सुनवाई करेगा.

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