पुणे. सोनिया रोहरा ने अपना 35वां जन्मदिन मनाली की एक सरप्राइज ट्रिप के साथ मनाया. जिसकी योजना उनके पति लोकेश पंजाबी ने सावधानीपूर्वक बनाई थी, जो उनके बर्थडे को वास्तव में यादगार बनाना चाहते थे. बहरहाल जो एक खुशी का मौका था, वह जल्द ही एक दुखद अनुभव में बदल गया. हिमाचल प्रदेश में हुई भीषण बारिश (Himachal Rains) और उससे आई प्रलयंकारी बाढ़ (Himachal Floods) के दौरान ये दंपति लगभग तीन दिनों तक बिना किसी सुविधा के कुल्लू के एक गांव में फंसे रहे. एक मार्केटिंग एजेंसी में वरिष्ठ प्रबंधक सोनिया और पुणे में एक आईटी फर्म में प्रबंधक लोकेश 7 जुलाई को मनाली की यात्रा पर निकले थे.

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोकेश ने कहा कि ‘उनकी पत्नी का जन्मदिन 4 जुलाई को पड़ता है. मैंने उसके लिए देर से एक सरप्राइज ट्रिप की योजना बनाई. चूंकि उसे पहाड़ पसंद हैं, इसलिए मैंने कसोल और मनाली में होटल पहले से बुक कर लिए थे. हमने 8 जुलाई को तड़के करीब 4.20 बजे पुणे से उड़ान भरी और सुबह 6 बजे चंडीगढ़ पहुंचे. हमें चंडीगढ़ से कसोल और फिर आगे मनाली ले जाने के लिए कैब की व्यवस्था पहले ही कर दी गई थी.’ मगर उनका जोश जल्द ही फीका पड़ गया, क्योंकि कसोल पहुंचने से पहले ही तेज बारिश होने लगी.

बारिश ने रोका रास्ता
सोनिया ने पूरे वाकये को ताजा करते हुए कहा कि ‘जब हम शाम 6 बजे कसोल पहुंचे, तब तक भारी बारिश हो रही थी. हमें उम्मीद थी कि यह जल्द ही बंद हो जाएगी, जिससे हम मनाली की अपनी आगे की यात्रा जारी रख सकेंगे.’ 9 जुलाई को जैसे ही वे मणिकर्ण साहिब के रास्ते मनाली की ओर बढ़ने के लिए तैयार हुए, उन्हें पता चला कि मौसम खराब हो गया है. मणिकर्ण साहिब की ओर कुछ किलोमीटर आगे भारी बारिश के कारण गिरे हुए पेड़ से उनका रास्ता ठप हो गया. आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं होने के कारण उनको कुल्लू के रास्ते मनाली की ओर वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

कुल्लू के रास्ते पर गिर रहे थे चट्टान और पत्थर
इस जोड़े की साहसिक यात्रा कुल्लू मार्ग पर भूस्खलन (Landslides) के साथ शुरू हुई, जिसमें पहाड़ों से चट्टानें और पत्थर गिर रहे थे. इससे बिना डरे वे कुल्लू के माध्यम से आगे बढ़ने में कामयाब रहे. अपनी मंजिल से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर पथलीकुल पुल पर उनको रेड अलर्ट और बैरिकेड्स का सामना करना पड़ा. उनको वहीं से वापस लौटने को कहा गया. शाम होने लगी और भारी बारिश के कारण अंधेरा जल्दी छा गया. इस दंपति ने पास के डोभी गांव में होटल खोजना शुरू कर दिया. दो घंटे की खोज के बाद उनको एक ऐसा होटल मिला, जिसमें बिजली, पानी और इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी. होटल उफनती ब्यास नदी के करीब था. जोड़े ने कहा कि ‘हम सोने के लिए लेटे और हम ब्यास की धारा की भीषण गर्जना को साफ सुन सकते थे.’

बाकी दुनिया से पूरी तरह कट गए
10 जुलाई को उन्हें पता चला कि वहां कई और लोग भी फंसे हुए हैं. फोन सिग्नल में उतार-चढ़ाव, इंटरनेट न होने और समाचार के अपडेट के लिए बिजली नहीं होने के कारण वे बाकी दुनिया से अलग-थलग पड़ गए थे. केवल लगातार बारिश और उफनती ब्यास नदी उनकी दुर्दशा के गवाह थे. 11 जुलाई को, लोकेश को स्थानीय लोगों से पता चला कि हाईवे टूट गया है और मरम्मत में एक से दो हफ्ते लग सकते हैं. जोड़े के लिए होटल में लंबे समय तक रहना कठिन था, जो बहुत किराया वसूल रहा था. 12 जुलाई की दोपहर तक बारिश कम हो गई. भाग्य उन पर मेहरबान हुआ. जब उन्हें होटल में दो ऐसे शख्स मिले जो वहां से चले जाने को तैयार थे.

लिफ्ट लेकर पहुंचे चंडीगढ़
अपनी कार में मंडी जा रहे इन लोगों ने सोनिया और लोकेश को अपने साथ लिया. मंडी पहुंचने पर भाग्य ने फिर से उनका साथ दिया. चंडीगढ़ के रास्ते गुड़गांव जा रहे दो लोग उनकी मदद के लिए तैयार हो गए. जिनके साथ सोनिया और लोकेश मंडी से चंडीगढ़ तक पहुंचे. आखिरकार वे 13 जुलाई को लगभग 2 बजे चंडीगढ़ पहुंचे. जहां से उन्होंने उस दिन बाद में पुणे के लिए उड़ान पकड़ी. तमाम तकलीफों के बावजूद हिमालय की सुंदरता और लोगों की दयालुता ने दंपति के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी.

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