अहमदाबाद. गुजरात अपने नाश्तों के लिए बहुत चर्चित है. खाखरा, फाफड़ा से लेकर ढोकला तक… वहां के नाश्ते में इतनी विविधता है कि आप दंग रह जाएंगे और जहां गुजरात को घूमने में एक हफ्ता लगता है वहीं यहां के हर नाश्ते का ठीक से स्वाद लेने में आपको महीनों लग सकते हैं. लेकिन जहां नाश्ते में इतनी विविधता है, वहां लोगों के नाम में एक बात एक जैसी होती है. पुरुषों के नाम के साथ ‘भाई’ और  महिलाओं के नाम के साथ ‘बेन.

देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल से लेकर गुजरात की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तक, रिलायंस से संस्थापक धीरूभाई अंबानी से लेकर जाने माने वैज्ञानिक विक्रम साराभाई, या फिर किसी सामान्य गुजरात के निवासी तक… आपको नाम के साथ भाई या बेन जुड़ा हुआ मिलता है. गुजरात में लोगों के सम्मान के लिए उनके नाम के साथ भाई और बेन जोड़ने की पुरानी परंपरा रही है.

लेकिन अब यही परंपरा पासपोर्ट कार्यालय के लिए मुसीबत बन गया है. इन दिनों गुजरात के पासपोर्ट दफ्तर में लोग अपने नाम के साथ जुड़े भाई या बेन शब्द को हटवाने या इसे जुड़वाने को लेकर चक्कर लगा रहे हैं. वजह यह है कि उनके जन्म प्रमाण पत्र से लेकर स्कूल,कॉलेज, आधार से लेकर अन्य दस्तावेजों में कहीं भाई या बेन जुड़ा है, तो कहीं पर यह मौजूद नहीं है. इस वजह से जब उनके दस्तावेज वीजा चरण पर पहुंचते हैं तो वीजा मिलने में खासी दिक्कतें आती हैं.

पासपोर्ट दफ्तर में एक चौथाई आवेदन नाम बदलवाने से जुड़े हुए

गुजरात में भाई या बेन लगाना इतना सामान्य है कि हर दूसरे व्यक्ति के नाम के साथ यह जुड़ा हुआ मिल जाता है. लेकिन कई बार होता यह है कि कुछ दस्तावेजों में लोग अपनी तरफ से इसे नहीं लिखवाते हैं. इस तरह दस्तावेजों में भिन्नता आ जाती है, जिसकी वजह से विदेश जाने की प्रक्रिया में बहुत दिक्कत आती है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गुजरात के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी बताते हैं कि उनके पास रोजाना 4000 से ज्यादा आवेदन आते हैं, जिनमें से करीब एक चौथाई यानी 1000 से ज्यादा नाम बदलने, जन्म स्थान या जन्म तिथि में बदलाव से जुड़े होते हैं. इनमें से करीब 800, भाई, बेन को हटाने या जोड़ने से जुड़े होते हैं. क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारी भी कहते हैं कि यहां आम बोलचाल में इस तरह संबोधित करना एक स्वभाव है. हालांकि, लोगों के इसे नाम के साथ जोड़ देने से तब बाधाएं पैदा होती हैं, जब पासपोर्ट और वीज़ा के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों में समानता नहीं होती है.

शहरों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों के मामले

अब जब इस तरह के मामलों में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है. नाम में बदलाव का अधिकार अहमदाबाद, वड़ोदरा और राजकोट के पासपोर्ट कार्यालयों को भी दिया गया है. इससे पहले इसका अधिकार सिर्फ मुख्य कार्यालय के पास ही था. रिपोर्ट में सामने आया है कि भाई और बेन से जुड़े मामलों में शहरों की तुलना में अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.

पासपोर्ट के लिए कौन से दस्तावेज ज़रूरी

पासपोर्ट के लिए ज़रूरी दस्तावेजों में स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, आधार, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे फोटो आईडी कार्ड शामिल होते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक एक विज्ञापन एजेंसी मे काम करने वाले बताते हैं कि औसतन वह दो अखबारों में 20 विज्ञापन देते हैं. जिनमें से ज्यादातर नाम के साथ लगे भाई या बेन को हटाने से जुड़े होते हैं.

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