पटना. दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को अब कांग्रेस (Congress) का समर्थन मिल गया है. कांग्रेस के इस रुख में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी भूमिका निभाई है. दरअसल पहले दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर अलग-अलग रुख रखे हुए थीं, लेकिन इन दोनों नेताओं ने दोनों दलों को एक मंच पर लाने में बड़ी भूमिका निभाई. पहले नीतीश कुमार जिन्‍होंने विपक्ष को एक साथ लाने का फैसला किया और दूसरी ममता बनर्जी, जिन्होंने अहम मोड़ पर इस मुद्दे को तूल दिया.

दरअसल, कांग्रेस नेता अजय माकन समेत दिल्ली के अन्य नेताओं के तीखे विरोध के बाद पार्टी इस अध्यादेश को लेकर उहापोह में थी. उधर दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर कांग्रेस ने दिल्‍ली अध्‍यादेश को लेकर उसका साथ नहीं दिया तो वे विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं होंगे. वहीं कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी अभी इस मुद्दे पर विचार कर रही है और सही वक्त पर अपना रुख स्पष्ट करेगी. लेकिन मानसून सत्र शुरू होने से कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी ने संकेत दिया कि वह कांग्रेस की ओर से स्‍पष्‍ट बयान का इंतजार कर रही है.

अरविंद केजरीवाल ने साधी थी चुप्‍पी
अब सूत्रों ने बताया कि जब खड़गे ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को 17 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के लिए आमंत्रित करने के लिए फोन किया, जिसकी मेजबानी कांग्रेस कर रही है, तो केजरीवाल ने कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने कांग्रेस हाई कमान को समझाया कि अगर अपना रुख स्‍पष्‍ट नहीं किया तो आम आदमी पार्टी का सहयोग मिलना मुश्किल हो जाएगा.

दिल्‍ली-पंजाब से नहीं मिलेगा समर्थन तो…
इसके ठीक बाद नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेतृत्व को समझाया कि जब तक वे अपना रुख स्पष्ट नहीं करते, तब तक विपक्षी दीवार में दिल्ली-पंजाब का स्‍थान खाली रह जाएगा. इसके बाद  कांग्रेस सहमत हो गई थी, लेकिन आखिरी समय में एक अड़चन आ गई. भ्रष्टाचार के एक मामले में भगवंत मान सरकार द्वारा आप शासित पंजाब में कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी से मामला फिर उलझ गया था.

दूसरी बैठक में कांग्रेस ने अध्‍यादेश के समर्थन नहीं करने का फैसला किया था
पंजाब के पूर्व मंत्री ओपी सोनी की गिरफ्तारी, मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बीच हुई थी. शनिवार को कांग्रेस नेतृत्व ने फिर से बैठक की और फैसला किया कि वे अध्यादेश का समर्थन नहीं करेंगे. लेकिन पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने इसकी जानकारी नहीं दी. सूत्रों ने बताया कि जैसे ही आप ने भी सख्त रुख दिखाया तो ममता बनर्जी ने फिर तुरंत खड़गे को फोन किया.

अब आप ने किया ऐलान की बेंगलुरू की बैठक में होगी शामिल
इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने रविवार को दिल्ली के अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख साफ कर दिया है और अपना विरोध दर्ज कराने की घोषणा की है. वहीं कांग्रेस के इस ऐलान के बाद AAP ने भी ऐलान किया कि वह 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होगी. आप से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने पार्टी की आंतरिक बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हम कांग्रेस पार्टी की इस घोषणा का स्वागत करते हैं. इसके साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि आम आदमी पार्टी विपक्षी दलों की बैठक में भाग लेगी.’

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