नई दिल्ली. कांग्रेस ने रविवार को स्पष्ट किया कि वह दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश का ‘समर्थन नहीं’ करेगी. यह सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के पक्ष में एक बड़ा कदम है. अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, शिवसेना (उद्धव), जेडीयू, आरजेडी, जेएमएम, सीपीआई, सीपीआई (एम), एनसीपी, एसपी, टीआरएस और बीआरएस सहित पार्टियों का समर्थन हासिल किया है. वहीं आप ने कांग्रेस की घोषणा का स्वागत किया है.

बेंगलुरु में विपक्षी नेताओं की निर्धारित बैठक से एक दिन पहले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वे (आप) कल बैठक में शामिल होने जा रहे हैं. जहां तक अध्यादेश का सवाल है, हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है. हम इसका समर्थन नहीं करने जा रहे हैं.’ कांग्रेस ने ‘देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने या राज्यपालों के माध्यम से राज्य के मामलों में हस्तक्षेप’ करने के किसी भी प्रयास का समर्थन करने से इनकार कर दिया.

कांग्रेस की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए आप सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का स्पष्ट विरोध करने की घोषणा की है. यह एक सकारात्मक कदम है.

विपक्ष की बैठक में कर्नाटक पहुंचेंगे केजरीवाल
इसके साथ वेणुगोपाल ने उम्मीद जताई कि आम आदमी पार्टी अब बेंगलुरु में विपक्षी दलों की आगामी बैठक में भाग लेगी. कांग्रेस की घोषणा के बाद आप ने सोमवार को होने वाली विपक्ष की बैठक में शामिल होने की घोषणा की. 23 जून को पटना में अपनी शुरुआती सभा के दौरान, विपक्षी दलों ने सामूहिक रूप से 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एकजुट होने का संकल्प लिया था.

पटना की बैठक में सामने आए थे आप कांग्रेस के मतभेद
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विपक्ष की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया. हालांकि, बैठक के समापन पर आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आप नेता अनुपस्थित रहे, जो विपक्ष की एकता मोर्चे के भीतर दरार का संकेत माना जा रहा था.

आप के बयान में पार्टी ने कहा था कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से ‘काले अध्यादेश’ की निंदा नहीं करती और अपने सभी 31 राज्यसभा सांसदों से अध्यादेश का विरोध कराने की प्रतिबद्धता नहीं जताती, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए भविष्य में समान विचारधारा वाले अन्य दलों के साथ बैठकों में शामिल होने की चुनौती होगी, जहां कांग्रेस शामिल है.

दिल्ली अध्यादेश का समर्थन कर रही हैं 12 पार्टियां?
पटना में विपक्ष की बैठक के बाद एक बयान में आप ने कहा कि कुल 15 दलों में से 12 का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है. राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों ने स्पष्ट रूप से ‘काले अध्यादेश’ के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया है और राज्यसभा में इसका विरोध करने के अपने इरादे की घोषणा की है.

केजरीवाल सक्रिय रूप से राष्ट्रव्यापी अभियान में लगे हुए हैं, विभिन्न विपक्षी नेताओं, विपक्षी दलों के प्रमुखों के साथ-साथ तमिलनाडु, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी मिल रहे हैं. अब तक, अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, शिवसेना (उद्धव), जेडीयू, आरजेडी, जेएमएम, सीपीआई, सीपीआई (एम), एनसीपी, एसपी, टीआरएस और बीआरएस सहित पार्टियों का समर्थन हासिल किया है.

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