हाइलाइट्स

यशस्वी जायसवाल ने अपने डेब्यू टेस्ट में 171 रन की पारी खेली
क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए 10 साल में घर छोड़ा था

नई दिल्ली. 10 साल की उम्र में अगर किसी बच्चे से माता-पिता कुछ वक्त के लिए भी अलग हो जाएं तो वो बैचेन हो उठता है. लेकिन इसी उम्र में उसने क्रिकेटर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया था और मायानगरी यानी मुंबई आ गया था. कहानी इतनी सी नहीं है. एक-दो दिन नहीं, कई साल टेंट में गुजारे. कभी बारिश ने रातों की नींद हराम की तो कभी गर्मी ने सुकून और चैन छीना लेकिन इतने पर भी हौसला कभी नहीं टूटा. अपनी टेंट में बैठकर दूर जलती स्टेडियम की लाइट से अपने क्रिकेटर बनने की उम्मीदों को परवान चढ़ाता रहा.

इसी जिद और जुनून के दम पर सफलता की सीढ़ियां चढ़ता हुआ टीम इंडिया तक पहुंचा और 21 साल की उम्र में अपने पहले मैच में ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो बड़े-बड़े दिग्गज नहीं कर पाए. अब तो आप समझ गए होंगे कि ये कहानी किसकी है. 21 साल के यशस्वी जायसवाल ने इंटरनेशनल क्रिकेट की पहली पारी में जो कारनामा किया, वो ये इतना बताने के लिए काफी है आखिर क्यों इस खिलाड़ी को लेकर इतनी चर्चा हो रही थी. अपनी इस पारी से यशस्वी ने साबित कर दिया कि वो भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं.

यशस्वी ने 10 साल परिवार के साथ दीवाली नहीं मनाई
यशस्वी जायसवाल भले ही डेब्यू टेस्ट में दोहरा शतक नहीं ठोक पाए लेकिन 171 रन की पारी भी इस बात का सबूत है वो बड़े मंच के खिलाड़ी हैं. आज भले ही हर तरफ उनके नाम की चर्चा हो रही है और उन्हें फ्यूचर स्टार माना जा रहा लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इस खिलाड़ी ने अपना बचपन एक तरह से कुर्बान कर दिया. जिस उम्र में बच्चा माता-पिता से अपनी हर जिद पूरी करवाता है, उसी उम्र में यशस्वी ने पिता की जिद और अपने सपने को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया. इतना भर ही नहीं, यशस्वी ने अपनी जिंदगी को रोशन करने के लिए एक-दो नहीं, बल्कि 10 साल परिवार के साथ रोशनी का पर्व यानी दीवाली तक नहीं मनाई. एक 10 साल के बच्चे के लिए दीवाली के क्या मायने हैं, इसपर बहुत ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है.

हर बच्चा दीवाली का सालभर इंतजार करता है. कोई कहीं भी रहे दीवाली पर घर पहुंचने की कोशिश करता है लेकिन 10 साल की उम्र होने के बावजूद…यशस्वी क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए अपने परिवार के साथ दीवाली नहीं मना पाए. कई बार इसे लेकर उन्होंने अपने जज्बात बयां किए. यशस्वी जायसवाल ने इसे लेकर सालों पहले इंस्टाग्राम पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट शेयर किया था, जिसमें उन्होंने परिवार के साथ दीवाली न मना पाने का जिक्र भी किया था.

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पिता का सपना पूरा करने के लिए क्रिकेटर बने
इसी मैसेज में उन्होंने माता-पिता के त्याग, बलिदान और उनके प्यार का जिक्र किया था. यशस्वी ने लिखा था, “मैं वहां पहुंचने की कोशिश कर रहा, जहां जाना चाहता हूं. आपके शब्द मुझे हर पल हार न मानने के लिए प्रेरित करते हैं और आपका ये कहना कि मत घबराओ तुम ये कर सकते हो, मुझमें नया जोश भर देता है. मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि आपने मुझे क्रिकेट खेलने का ये सपना दिखाया. ये आपका(पिता) सपना था, जिसे पूरा करने के लिए मैंने खेलना शुरू किया.”

इसी संघर्ष, बलिदान और तपस्या का ही नतीजा है कि आज 21 साल के इस बैटर के लिए दुनिया कह रही यशस्वी भव:

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