हाइलाइट्स

राजस्थान में एसीबी की बड़ी कार्रवाई
आरपीएससी की परीक्षा में पास करवाने के लिए ली थी घूस
एसीबी ने सीकर और जयपुर में की ताबड़तोड़ ये बड़ी कार्रवाई

विष्णु शर्मा.

जयपुर. राजस्थान में एसीबी (ACB) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा प्रहार करते हुए घुमंतू बोर्ड के पूर्व चेयरमैन गोपाल केसावत समेत चार लोगों को साढ़े सात लाख रुपये की रिश्वत लेत हुए गिरफ्तार किया गया है. केसावत को घुमंतू बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रहते हुए राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था. एसीबी की इस कार्रवाई के बाद हड़कंप मच गया। आरोपी परिवादी से साढ़े 18 लाख रुपये एक दिन पहले ही वसूल चुके थे. रिश्वत की यह राशि आरपीएससी की ओर से आयोजित की गई ईओ भर्ती परीक्षा को लेकर ली गई थी.

एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई. प्रियदर्शी ने बताया कि रिश्वत की यह राशि राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर की ओर से आयोजित ईओ की भर्ती के नाम पर मांगी गई थी. आरोपियों ने इसके लिए 40 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी. इस संबंध में परिवादी ने सीकर एसीबी में शिकायत में दर्ज करवाई थी. शिकायत प्राप्त होने के बाद ब्यूरो ने जब इसकी सत्यता जांची तो वह सही पाई गई. ब्यूरो के सत्यापन में 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने की बात प्रमाणित हो गई.

पहले सीकर और फिर जयपुर में हुई कार्रवाई
इस पर ब्यूरो ने बाद में आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए अपना पुख्ता जाल बिछाया. उसके बाद सीकर और जयपुर एसीबी ने मिलकर इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया. ब्यूरो की टीम ने शुक्रवार रात को सीकर में दलाल अनिल कुमार धरेन्द्र और ब्रह्मप्रकाश को साढ़े 18 लाख रुपये लेते हुए दबोचा लिया था. उसके बाद उसी रात दलाल रविन्द्र को साढ़े सात लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया था. मामले की कड़ी से कड़ी खुलने के बाद एसीबी की टीम ने शनिवार को पूर्व राज्यमंत्री गोपाल केशावत को भी गिरफ्तार कर लिया.

ओएमआर शीट बदलवाने के नाम पर ली थी रिश्वत
आरोपियों ने रिश्वत की यह राशि आरपीएससी की ओर से आयोजित अधिशाषी अधिकारी भर्ती परीक्षा में पास करवाने और ओएमआर शीट बदलवाने के नाम पर ली थी. एसीबी की इस कार्रवाई के बाद सूबे की राजनीति भी गरमा गई. उल्लेखनीय है कि राजस्थान में इससे पहले शिक्षक भर्ती पेपर लीकर के मामले में काफी हंगामा हो चुका है. उस मामले में एसओजी ने आरपीएससी के सदस्य को गिरफ्तार किया था. शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में गहलोत सरकार अभी भी चौतरफा घिरी हुई है. अब इस नए मामले से प्रदेश की राजनीति और भी गरमाने के आसार हैं.

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