नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी का जलस्तर सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंचने के साथ ही बाढ़ का पानी घरों, स्वास्थ्य केंद्रों, श्मशान घाट एवं आश्रय गृहों में घुस जाने से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और लोगों के लिए परेशानियां बहुत बढ़ गयी हैं. इस बाढ़ के बीच दिल्ली के सामने पेयजल की कमी की आशंका पैदा हो गयी है क्योंकि यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में तीन जलशोधन यंत्रों के बंद हो जाने से जलापूर्ति में 25 प्रतिशत की कमी करने का दिल्ली सरकार ने फैसला किया है. वजीराबाद स्थित जल शोधन संयंत्र का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पानी की ”गंभीर कमी” से निपटने के लिए आपूर्ति को तर्कसंगत बनाने की चेतावनी दी है.

कई जलशोधन संयंत्र हुए बंद, पानी की समस्या बढ़ी

नदी में जलस्तर 208.62 मीटर पर पहुंच गया है जो कल के जलस्तर से एक मीटर अधिक है. यमुना का जलस्तर इस बार 45 साल पहले के सबसे अधिक स्तर को भी पार कर गया है.उपराज्यपाल की अध्यक्षता में बाढ़ की स्थिति को लेकर हुई दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई और निर्णय लिया गया कि शहर में जल शोधन संयंत्रों के बंद होने से पानी की आपूर्ति को तर्कसंगत बनाया जाए. सचिवालय समेत दिल्ली में कई महत्वपूर्ण इलाकों में गुरुवार को पानी भर गया. प्रशासन बचाव एवं राहत प्रयासों को तेज करने की जुगत में लगे रहा. सचिवालय में मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों के कार्यालय हैं.

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