नई दिल्ली: हमारे धरातल के नीचे तापमान बढ़ रहा है जिससे भूमिगत जलवायु परिवर्तन की अवधारणा को बल मिल रहा है लेकिन हमारा बुनियादी ढांचा इस हिसाब से तैयार नहीं किया गया है. वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी. दुनिया भर के कई शहरी क्षेत्रों में इमारतों और भूमिगत परिवहन से निरंतर गर्मी निकलती देखी जा सकती है, जिससे जमीन खतरनाक रफ्तार से गर्म होती है. अनुसंधानकर्ताओं ने यह तापमान वृद्धि प्रति दशक 0.1 से 2.5 डिग्री सेल्सियस मापी है.

जमीन के गर्म होने से उसका विरूपण होता है जिसमें विस्तार और संकुचन दोनों शामिल होते हैं. इससे इमारत की नींव और आसपास की जमीन अत्यधिक हिल जाती है और कभी-कभी इसमें दरार पड़ जाती हैं, जिससे संरचनाओं के दीर्घकालिक कामकाज और टिकाऊपन पर असर पड़ता है.

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नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर और ‘कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग’ पत्रिका में प्रकाशित अमेरिकी अध्ययन के प्रमुख एलेसेंड्रो रोटा लोरिया ने कहा, ‘‘तापमान में बदलाव के परिणामस्वरूप जमीन खराब हो रही है, और कोई भी मौजूदा नागरिक संरचना या बुनियादी ढांचा इन बदलावों के बारे में सोचकर डिजाइन नहीं किया गया है.’’

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शोधकर्ताओं ने शिकागो के सेंसर-प्राप्त तापमान के आंकड़ों पर ‘सिमुलेशन’ का उपयोग करके पाया कि गर्म तापमान के कारण जमीन में 12 मिलीमीटर (मिमी) तक विस्तार हुआ और (इमारत के वजन के नीचे) 8 मिमी तक संकुचन और धंसाव हुआ.

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