रोंगटे: आपने कई रियल्‍टी शोज में देखा होगा कि प्रतिभागी की परफॉर्मेंस देखकर लोग कहते हैं कि उनके रोंगटे खड़े हो गए. कई बार जब किसी अंधेरी गली में कोई चीज आपके पैर को छूकर गुजर जाती है तो आपको पूरे शरीर में झुरझुरी सी महसूस होती है. वहीं, गर्मियों के मौसम में जब आप कड़ाके की धूप से अचानक एसी रूम में पहुंचते हैं तो आपको गूजबम्‍प्‍स का अहसास होता है. सर्दियों में अगर आप रजाई में बैठे हों और बाहर से आकर कोई आपको ठंडे हाथ लगा दे तो भी कुछ ऐसा ही अनुभव होता है.

क्‍या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है? इस बारे में विज्ञान क्‍या कहता है? गूसबंप्स या रोंगटे खड़े होने की प्रक्रिया पाइलोइरेक्शन के कारण होती है. इसमें इंसान के शरीर के रोएं कुछ देर के अपने आप खड़े हो जाते हैं. इस दौरान आपकी त्‍वचा कुछ सिकुड़ जाती है. इससे बालों की जड़ों के पास उभार बन जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पाइलोइरेक्टर मसल्स इंसान के रोएं के पास जुड़ी होती है, जो सिकुड़ती हैं और रोएं खड़े हो जाते हैं. पाइलोइरेक्शन सिंपथेटिक नर्वस सिस्टम द्वारा निर्देशित स्वैच्छिक प्रतिक्रिया है.

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रोंगटे खड़े होना इंसानों के लिए मददगार कैसे
पाइलोइरेक्शन ठंड, भय या चौंकाने वाले अनुभव से होती है. अमेरिका के न्‍यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कीथ रोच के मुताबिक, गूजबम्‍प्‍स इंसानों के लिए मददगार भी होते हैं. रोच ने कहा कि इंसानों के उतने रोएं नहीं होते, जितने ज्यादा बाल जानवरों या कुछ स्तनधारी प्राणियों के होते हैं. फिर भी रोएं खड़े होने की प्रक्रिया के दौरान पाइलोइरेक्‍टर मसल्‍स फूल जाती हैं. इससे ठंड का अहसास कम होता है. वहीं, ये एक स्‍वाभाविक शारीरिक प्रतिक्रिया है. इसकी वजह से अचानक होने वाली घटनाओं का शरीर के दूसरे नाजुक अंगों पर दबाव कम पड़ता है.

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गूसबंप्स या रोंगटे खड़े होने की प्रक्रिया पाइलोइरेक्शन के कारण होती है.

गूजबम्‍प्‍स जानवरों के लिए काफी फायदेमंद
प्रोफेसर कीथ रीच कहते हैं कि गूसबंप्स जानवरों के लिए बहुत ज्‍यादा मददगार होते हैं. उनके मुताबिक, गूजबम्‍प्‍स के दौरान मसल कॉन्ट्रैक्ट होने से उनके बाल फूलकर खड़े हो जाते हैं. ऐसे में जब ठंडी जगहों पर रहने वाले जानवरों के रोएं खड़े होते हैं, तो उनके बालों के बीच हवा भर जाती है. इससे उन्हें ठंड का अहसास काफी कम होता है. वहीं, दूसरा फायदा ये होता है कि हमले की स्थिति में बाल फूलने के कारण जानवर वास्‍तविक आकार से बड़े नजर आते हैं. इससे दूसरे जानवरों के लिए डर की स्थिति पैदा हो जाती है.

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आवाज सुनकर क्यों खड़े होते हैं रोंगटे
प्रोफेसर रोच का कहना है कि इंसानों को होने वाले गूजबम्‍प्‍स का आवाज और दृश्‍य से गहरा संबंध है. फिल्मों में कई बार जब आप अप्रत्‍याशित सीन देखते हैं तो आपको गूजबम्‍प्‍स होने लगता है. वहीं, जब कोई आपकी उम्‍मीद से बेहतर गाता है तो भी आपके रोएं खड़े हो जाते हैं. इसका कारण आपका उस सीन से भावनात्‍मक तौर पर जुड़ जाना है. साउंड से रोंगटे खड़े होने के लिए इंसानी दिमाग का एक भाग जिम्‍मेदार होता है, जिसे इमोशनल ब्रेन कहते हैं. ये तब सक्रिय हो जाता है, जब इंसान कुछ अप्रत्‍याशित ध्‍वनि सुनता है.

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दिमाग का खास हिस्‍सा ‘इमोशनल ब्रेन’ खतरे जैसी ध्‍वनि पर प्रतिक्रिया देता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

खतरे का अहसास होने पर गूजबम्‍प्‍स
कई बार दिमाग का खास हिस्‍सा ‘इमोशनल ब्रेन’ खतरे जैसी ध्‍वनि पर भी प्रतिक्रिया देता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं. दिमाग को लगता है कि ये कोई सामान्‍य आवाज नहीं है बल्कि कोई क्रिया है, जिससे खतरा हो सकता है. ऐसे में जब तेज साउंड या साउंड में बदलाव होता है तो रोएं खड़े हो जाते हैं. जब ज्यादा हाई नोट लगते हैं, तो भी रोएं खड़े हो जाते हैं. हालांकि, इसमें कुछ ही देर बाद दिमाग प्रोसेस कर लेता है कि वो साउंड म्यूजिक है और फिर रोएं बैठ जाते हैं.

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