बरसात में मोमोज का चस्का आंत को बना सकता है खतरनाक बीमारियों का ठिकाना, डॉक्टर ने बताया कारण

हाइलाइट्स

मोमोज के फ्लेवर को बढ़ाने के लिए अजीनोमोटो का इस्तेमाल किया जाता है, जो हानिकारक होता है.
बरसात के दिनों में कच्चे मोमोज में हानिकारक बैक्टीरिया के होने का खतरा ज्यादा रहता है.

मॉनसून में मोमोज के साइड इफेक्ट्स: हम सब जानते हैं कि बरसात में यत्र-तत्र-सर्वत्र कीड़े-मकौड़े से लेकर सूक्ष्म जीवाणुओं का प्रकोप बढ़ जाता है. हवा में नमी की मात्रा जैसे ही बढ़ती है, इन जीवाणुओं के पनपने के लिए अनुकूल माहौल मिल जाता है. जब इनकी संख्या तेजी से बढ़ने लगती है तो ये खाने-पीने की विभिन्न चीजों में चिपकने लगती है. चूंकि हम सब इसे खुली अंगों से देख नहीं पाते, इसलिए कुछ भी फूड सामने आता है, तो हम इसे सीधे खा जाते हैं. इस कारण हमें आंत संबंधित कई बीमारियां लग जाती हैं. हालांकि ये सूक्ष्म जीवाणु कई सारे फूड पर चिपके हुए रहते हैं लेकिन मोमोज इसके लिए पसंदीदा फूड है. इसलिए यदि आपको बरसात में मोमोज खाने का चश्का है तो संभल जाएं, क्योंकि इससे खतरनाक तरह के रोग आंतों में लग सकता है.

इसलिए बरसात में मोमोज नहीं खाना चाहिए
अपोलो अस्पताल, बेंगलुरु में चीफ क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. प्रियंका रोहतगी बताती हैं कि बारिश का मौसम इंफेक्शन डिजीज के बढ़ने के लिए अनुकूल समय होता है. इस मौसम में कॉलरा, टायफाइड, मलेरिया, डेंगू जैसी कई संक्रमण वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अगर खाने-पीने की चीजें बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाती है तो यह पेट में जाकर आंत से संबंधित कई बीमारियों को बढ़ा देते हैं. अगर खाने-पीने की चीजों को बढ़िया से साफ किया जाए तो खतरा कम हो जाता है लेकिन जिन चीजों को सही से पकाया नहीं जाता है उनमें बैक्टीरिया के जिंदा रहने की आशंका ज्यादा रहती है.

डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि मोमोज को स्टीम में पकाया जाता है. इसलिए मोमोज सही से पकता नहीं है. मोमोज कच्चा ही रह जाता है. मोमोज के कच्चा रहने के कारण न सिर्फ इसमें बैक्टीरिया लगने का जोखिम ज्यादा रहता है बल्कि फंगस और वायरस से भी संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में एक तो मोमोज से पहले ही खतरा कम नहीं रहता, दूसरा अगर यह कच्चा रह गया तो बरसात में इसमें बैक्टीरिया से संक्रमित होने का चांस भी बहुत बढ़ जाएगा. जब ये बैक्टीरिया आंत में जाएंगे तो गुड बैक्टीरिया को मारना शुरू कर देंगे और अंततः आंत की दीवाल में सूजन पैदा करेंगे. इसलिए कॉलरा, हेपटाइटिस, पेचिश सहित कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा.

कई अन्य बीमारियों का खतरा
कुछ महीने पहले ही आपने सुना होगा कि एक व्यक्ति की गले में मोमोज फंस गया जिसके कारण उसकी मौत हो गई. इसके बाद एम्स ने मोमोज को लेकर चेतावनी जारी की थी. डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि मोमोज का लगातार सेवन करने से कई तरह की परेशानियां एक साथ दिखने लगेंगी. उन्होंने कहा कि मोमोज को मैदा से बनाया जाता है. इसमें स्मूथ और लोच लाने के लिए मैदा को ब्लीज किया जाता है. ब्लीच में बैंजोएल पैरॉक्साइड जैसे हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. यह केमिकल पैंक्रियाज पर सीधा असर करता है जिससे ब्लड शुगर बढ़ सकता है. इसके अलावा मैदा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड है जिसमें फाइबर नहीं रहता. इसका ज्यादा सेवन करने से कॉन्स्टिपेशन की समस्या बढ़ जाती है. इससे पाइल्स का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. मोमोज के साथ चिली वाली चटनी दी जाती है जो हमेरॉयड में ब्लीडिंग को बढ़ाती है. मोमोज में नमक ज्यादा रहता है इससे हाई बीपी का खतरा रहता है.

कैंसर का भी जोखिम
डॉ. प्रियंका रोहतगी कहती हैं कि मोमोज के फ्लेवर को बढ़ाने के लिए अजीनोमोटो का इस्तेमाल किया जाता है. अजीनोमोटा मोनोसोडियम ग्लूटामाइन (MSG) केमिकल है. जब वैज्ञानिक कैंसर पर रिसर्च करते हैं तो चूहों में कैंसर पैदा करने के लिए एमएसजी केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. इससे समझा जा सकता है कि यह केमिकल कितना खतरनाक साबित हो सकता है.

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