हाइलाइट्स

बेहद खास है उदयपुर का यह शिवालय
बेदला गांव में स्थित है यह खास शिव मंदिर
शिव मंदिर की देखभाल इलाके के बच्चों के हाथ में है

उदयपुर. शिव आराधना के पवित्र महीने सावन (Sawan) की शुरुआत हो चुकी है. मान्यता है कि इस महीने में मन से पूजा करने पर देवाधिदेव महादेव की विशेष कृपा बरसती है. इसी श्रृंखला में आज हम आपको महादेव के ऐसे मंदिर की कहानी से रू-ब-रू करवा रहे हैं जो श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र है. यह श्रद्धा के साथ नैतिकता, सामाजिक शिक्षा और सामाजिक समरसता की कहानी को भी दर्शाता है. यह मंदिर राजस्थान के उदयपुर शहर के पास बेदला गांव में स्थित है. इस मंदिर का मुख्य पुजारी महज 14 साल का बालक हर्षुल है.

बेदला गांव के अस्पताल चौक में स्थित प्रकटेश्वर महादेव का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की ओर से महादेव को जलाभिषेक और दुधाभिषेक अर्पण कर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. आशुतोष भगवान शिव से जुड़े सभी स्थल यूं तो बड़े ही चमत्कारी और अलौकिक हैं, लेकिन प्रकटेश्वर महादेव का यह मंदिर अपने अनूठे सामाजिक मूल्यों को लेकर हर जगह काफी प्रसिद्धि पा रहा है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग वर्ष 1998 में नागपंचमी के दिन बेदला नदी में खुदाई के दौरान प्राकट्य हुआ था. इसके बाद हिंदू संगठनों और गांव के श्रद्धालुओं ने इसको इस सार्वजनिक चबूतरे पर स्थापित कर दिया.

14 साल का बच्चा हर्षुल शर्मा है मंदिर का मुख्य पुजारी
इस मंदिर की खासियत है की इसकी सार संभाल नन्हे मुन्ने बच्चों के हाथों से होती है. मंदिर के पुजारी हर्षुल शर्मा स्कूल जाने से पूर्व सुबह जल्दी और शाम को मंदिर में पूजा अर्चना तथा आरती का जिम्मा संभालते हैं. हर्षुल के इस पुनीत कार्य में मोहल्ले के करीब एक दर्जन बच्चे पारंपरिक परिधान में मंदिर से जुड़े सभी कार्य कलापो में कंधे से कंधा मिलाकर हाथ बढ़ाते हैं. आसपास के रहने वाले वरिष्ठ लोग और मंदिर समिति के सदस्य सिर्फ अर्थ से जुड़ी व्यवस्था देखते हैं. बाकि महादेव की पूजा, आकर्षक श्रृंगार, मंदिर की साफ सफाई और रखरखाव मोहल्ले के शिव के नन्हें भक्तों के जिम्मे हैं.

नैतिक, सामाजिक और राष्ट्र शिक्षा पर भी दिया जाता है पूरा ध्यान
मंदिर से जुड़े युवा शिक्षक आदित्य सेन बताते है कि महादेव की सेवा पूजा के अलावा मंदिर में मोहल्लों के इन नौनिहालों के व्यक्तित्व को तराशने के लिए समय समय पर सामाजिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती है. ताकि राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव इन बच्चों में बचपन से ही विकसित हो सके. इसके तहत देश को विश्वगुरु बनाने की यात्रा में साक्षी रहे महापुरुषों के जीवन से भी इनको समय समय पर अवगत कराया जाता है.

भारत माता के जयकारों के साथ होती है महादेव की आरती
राष्ट्रप्रेम की सोच पर इस मंदिर की आरती की शुरुआत भारत माता की जय के साथ होती है. मंदिर के मुख्य पुजारी रहे मनोज शर्मा ने बताया की बच्चों की शिक्षा के साथ उनकी राष्ट्र शिक्षा होना आवश्यक है. इसी बात को ध्यान में रख उन्हें हर देवी देवताओं के जयकारों के साथ भारत माता की जय के लिए प्रेरित किया गया है. मंदिर की प्रतिष्ठा की के 3-4 महीने बाद मनोज शर्मा ने अपने बच्चे हर्षुल को पूजा पाठ की जिम्मेदारी सौंप दी. तब से हर्षुल का हाथ बंटाने के लिए ये नौनिहाल आगे आए हैं.

सामाजिक समरसता का प्रतीक है महादेव का यह अनूठा मंदिर
प्रत्येक सोमवार को मोहल्ले और आसपास के अलग अलग घरों से प्रसाद लाकर महादेव को चढ़ाया है. अलग अलग परिवार इसका इंतजार करते हैं और अपनी बारी आने पर अपने परिवार के साथ प्रसाद चढ़ाकर वितरित करते हैं. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि छोटे परिवारों के चलते बच्चे अभी से पूरे मोहल्ले को अपना परिवार समझने लग जाए. स्थानीय लोग बताते हैं कि एकल परिवार और एकला चालों रे की प्रवृत्ति के चलते हमारे सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का लगातार पतन हो रहा है. इस बात को ध्यान में रखकर कई नवाचारों और कवायदों को इस मंदिर से जोड़ रखा है.

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