Why did Arvind Swamy quit film: यदि आप 20 साल की उम्र में मणिरत्नम (Mani Ratnam) की फिल्म में रजनीकांत और ममूटी (Rajinikanth and Mammootty) जैसे सिनेमा के दिग्गजों के साथ अपना फिल्मी करियर शुरू करते हैं, तो आप आगे एक अच्छी राह की उम्मीद करते हैं. और फिर, जब आपकी अगली कुछ रिलीज़ों में दो अखिल भारतीय हिट फिल्में शामिल हों, तो आपको उभरते हुए सुपरस्टार का टैग दे दिया जाता है. इसलिए, बहुत से लोग ये सोच भी नहीं सकते कि ऐसा अभिनेता 30 साल की उम्र से पहले बिजनेस पर फोकस करने के लिए फिल्में छोड़ देगा. लेकिन 90 के दशक के इस तमिल स्टार ने ऐसा ही किया और फिर फिल्मों में सफल वापसी से पहले एक बड़ा बिजनेस साम्राज्य खड़ा कर लिया. सुनकर आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच है. वो एक साउथ स्टार अरविंद स्वामी हैं जो एक दौर में सबके बीच पक्षाघात से जूझ रहे थे और इसलिए उन्होंने एक्टिंग छोड़ बिजनेस की ओर अपना रुख अख्तियार किया लेकिन सालों बाद फिर शानदार कमबैक किया.

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1991 में 20 साल की उम्र में अरविंद स्वामी ने मणिरत्नम की थलापति से अपनी फिल्म की शुरुआत की, जहां उन्होंने महाभारत के अर्जुन से प्रेरित एक किरदार निभाया था. उन्होंने रत्नम की दो बड़ी राष्ट्रीय हिट फिल्मों- 1992 में रोजा और 1995 में बॉम्बे में अभिनय किया. इन फिल्मों की न सिर्फ स्टोरी लाइन बल्कि गाने भी खूब पसंद किए गए. इन फिल्मों की सफलता ने उन्हें एक स्टार के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया. उनके स्टारडम और अभिनय की साख में तब ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई जब उन्होंने 1997 की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘मिनसारा कनावु’ (Minsaara Kanavu) में काजोल (Kajol) के साथ अभिनय किया था.

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इसके बाद अरविंद स्वामी ने ‘सात रंग के सपने’ (Saat Rang Ke Sapne) में जूही चावला (Juhi Chawla) के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की. उस दौरान, उन्हें तमिल सिनेमा में रजनीकांत और कमल हासन का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाने लगा था लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

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दरअसल, अरविंद स्वामी ने 30 साल की उम्र में ही अभिनय छोड़ दिया और वे पक्षाघात से जूझ रहे थे. 90 के दशक के अंत तक उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थीं. मुख्य अभिनेता के रूप में उनकी कुछ फिल्में छोड़ दी गईं, जिनमें ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) के साथ महेश भट्ट की फिल्म और अमिताभ बच्चन के साथ अनुपम खेर के निर्देशन वाली पहली फिल्म शामिल थी. फिर, उनकी दो फिल्मों के निर्माण में सालों लग गए.

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अपने गिरते करियर को देख अरविंद स्वामी ने 2000 के बाद फिल्मों में अभिनय करना बंद कर दिया था. इसके बाद उन्होंने अपने पिता के बिजनेस को संभालना शुरू कर दिया. उन्होंने वी डी स्वामी एंड कंपनी और बाद में इंटरप्रो ग्लोबल में काम करने पर ध्यान केंद्रित किया. वे 2000 के दशक की शुरुआत में ही एक सफल व्यवसायी बन चुके थे, 2005 में उन्होंने अपना अब तक का सबसे सफल उद्यम स्थापित किया.

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2005 में अरविंद स्वामी का एक्सीडेंट हो गया, जिसके कारण उनका पैर आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गया और इसके इलाज में लगभग 4-5 साल लग गए. उन्हें लंबे समय तक दर्द से जूझना पड़ा. आपको बता दें कि अपनी चोट से ठीक पहले, स्वामी ने भारत में पेरोल प्रोसेसिंग और अस्थायी स्टाफिंग में लगी कंपनी टैलेंट मैक्सिमस की स्थापना की थी. रॉकेटरीच जैसे कई मार्केट ट्रैकिंग पोर्टल के अनुसार, 2022 में टैलेंट मैक्सिमस का राजस्व यानी रेवेन्यू $418 मिलियन (3300 करोड़ रुपये) था. दर्द के बावजूद स्वामी कंपनी के संचालन में शामिल रहे.

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साल 2013 में अपने विश्राम के एक दशक से अधिक समय के बाद, स्वामी को उनके गुरु मणि रतम ने अपने प्रोजेक्ट कदल के साथ फिल्मों में लौटने के लिए मना लिया. अभिनेता ने फिर काम करना शुरू कर दिया लेकिन अपनी दूसरी पारी में वे बहुत सेलेक्टिव हो गए थे. इसके बाद 2021 में, उन्होंने बॉलीवुड में भी वापसी की, जब उन्होंने तमिल-हिंदी द्विभाषी थलाइवी में कंगना रनौत के साथ एमजी रामचंद्रन की भूमिका निभाई. स्वामी ने 2021 में नेटफ्लिक्स एंथोलॉजी नवरसा की कहानियों में से एक में अपने निर्देशन की शुरुआत भी की.

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अब स्वामी के पास एक नहीं बल्कि 3 प्रोजेक्ट्स हैं. आखिरी बार वे नागा चैतन्य की कस्टडी में नजर आई थीं लेकिन फिल्म ज्यादा नहीं चल सकी. वे अगली बार Naragasooran, Kallapart और Sathuranga Vettai 2में नजर आएंगे लेकिन फिलहाल इन फिल्मों को डिले कर दिया गया है.

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