हाइलाइट्स

उत्तर भारत में मूसलाधार बारिश एक साथ एक्टिव हुईं 2 बारिश प्रणालियों का नतीजा.
मॉनसून और एक पश्चिमी विक्षोभ के संगम ने ढाया कहर.
दोनों वेदर सिस्टम एक साथ सक्रिय हुए थे, तो 2013 में उत्तराखंड में हुई भीषण तबाही.

नई दिल्ली. पिछले दो दिनों से उत्तर भारत में हो रही मूसलाधार बारिश (Torrential Rain) का सबसे बड़ा कारण एक ही साथ एक्टिव हो गईं दो बारिश प्रणालियों (Weather Systems)- मॉनसून (Monsoon) और एक पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के घातक संगम का नतीजा है. इसी तरह जब दोनों वेदर सिस्टम एक साथ सक्रिय हुए थे, तो 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ (Flood) की घातक तबाही हुई थी. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गर्म होती दुनिया में बहुत ज्यादा बारिश और बाढ़ की संभावना बढ़ती जा रही है. इस बीच उत्तर में हुई भारी बारिश से राष्ट्रव्यापी मानसून में बारिश की कमी दूर हो गई और 1 जून के बाद पहली बार मॉनसून सीजन में कुल बारिश की मात्रा 2 फीसदी ज्यादा दर्ज की गई.

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि ‘पिछले दो दिनों में उत्तर भारत पर दो मौसम प्रणालियां सक्रिय रही हैं. पश्चिमी विक्षोभ से जुड़ी एक ट्रफ रेखा राजस्थान से उत्तरी अरब सागर तक फैली हुई थी. साथ ही मजबूत मानसून की स्थिति के कारण बंगाल की खाड़ी से हवाएं भी उत्तर तक पहुंच रही थीं. इन दो प्रणालियों के संगम का नतीजा ही था कि शनिवार को जम्मू-कश्मीर के आसपास और रविवार को हिमाचल प्रदेश के आसपास जमकर बारिश हुई. इन क्षेत्रों को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से नमी मिली, जिसके कारण बहुत भारी बारिश हुई.’ महापात्र ने कहा कि ‘पहाड़ों में ऐसे दो-वेदर सिस्टम के संगम से बहुत अधिक बारिश होती है क्योंकि हवाएं पहाड़ियों से टकराती हैं और ऊपर उठती हैं, जिससे भारी बारिश होती है.’

इन दो मौसम प्रणालियों का इस तरह जुड़ना असामान्य नहीं है और ये विशेष रूप से उत्तर पश्चिम भारत की पहाड़ियों में चरम मौसम की घटनाओं से जुड़ी हुई है. इसी तरह 2013 के मध्य जून में एक पश्चिमी विक्षोभ ने बंगाल की खाड़ी से आने वाली कम दबाव प्रणाली से उत्तर की ओर नमी खींच ली थी. इसके कारण न केवल मॉनसून पूरे देश में रिकॉर्ड समय में 16 जून तक पहुंच गया, बल्कि केदारनाथ में बादल फटने सहित उत्तराखंड में प्रलयंकारी बारिश भी हुई. बाढ़ और भूस्खलन से 5 हजार से अधिक लोग मारे गए और 5 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए.

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गौरतलब है कि रविवार को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और दिल्ली में भारी बारिश के कारण निचले इलाकों में जलभराव के हालात पैदा हो गए. जिसके बाद अधिकारी तुरंत हरकत में आए और सबसे ज्यादा प्रभावित जगहों पर कार्रवाई में जुट गए. कई इलाकों में स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया, जबकि पंजाब के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश के कारण सेना को अलर्ट पर रखा गया है. अधिकारियों ने कहा कि भारी मानसूनी बारिश के कारण सड़कों पर ट्रैफिक ठप हो गया और उड़ानों में देरी हुई.

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