नई दिल्ली. Muskan Negi success story: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. कवि के ऐ लाइनें उन महान लोगों के लिए हैं जो कठिन परिश्रम के बाद सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं. आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम असिस्टेंट प्रोफेसर मुस्कान नेगी की सक्सेस स्टोरी पढ़ेंगे. जहां कॉलेज के दिनों में जिस राजकीय कन्या महाविद्यालय में एडमिशन के लिए मुस्कान को काफी संघर्ष करना पड़ा था उसी कॉलेज में आज मुस्कान नेगी असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.

मुस्कान, देख नहीं सकती हैं. बचपन से ही दृष्टिबाधिता की शिकार मुस्कान दुनिया के रंग भले ही नहीं देख सकती हों, लेकिन सफलता का जो रंग उन्होंने चखा है. उसकी हर कोई मिसाल देता है. मुस्कान ने अपनी प्रतिबद्धता, लगन और कड़ी मेहनत से इतिहास रचा है. मुस्कान को राजकीय कन्या महाविद्यालय में संगीत के सहायक प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया गया है.

हौसलों को पस्त नहीं कर सकी दृष्टिबाधिता
हिमाचल में शिमला के दूरदराज इलाके चिड़गांव के संदासली में मुस्कान का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. पिता जयचंद और अंबिका देवी के घर पर जन्मी मुस्कान बचपन से ही दृष्टिबाधित थी. माता-पिता और परिवार के सहयोग ने मुस्कान को कभी यह महसूस नहीं हुआ कि वह देख नहीं सकती हैं. मुस्कान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई कुल्लू से करने के बाद शिमला के पोर्टमोर स्कूल से 12वीं किया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है मुस्कान
मुस्कान देशभर के अलग-अलग हिस्सों में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी हैं. इसके अलावा अमेरिका में भी स्टेज परफॉर्मेंस दे चुकी हैं. मुस्कान नेगी को साल 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने बांड एंबेस्डर बनाया था.

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