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जापान एयरलाइंस कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए यात्रियों को कपड़े न ले जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है

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हाइलाइट्स

जापान एयरलाइन का मकसद यात्रियों के सामान के भार में कमी लाना है.
इस योजना से पर्यावरण को एक साथ बहुत सारे फायदे हो सकते हैं.
योजना सफल होने पर अन्य एयरलाइन कंपनियां भी इसे अपनाएंगी.

सफर में सामान जितना कम हो, सफर का मजा उतना ही ज्यादा होता है. लेकिन कई बार सफर में सामान के वजन की पाबंदी परेशान कर देती है. खास तौर पर जब आप लंबी यात्रा पर जा रहे हैं.  लेकिन फिर भी कम सामान वाले सफर का मजा ही कुछ और है. लेकिन अगर ऐसी व्यवस्था हो जाए कि आपको सामान ही ना ले जाना पड़े तो? जापान एयरलाइन ने ऐसा ही एक अनोखा प्रयास किया है  इसके लिए उसने एक ऐसे प्लान की पेशकश की है कि जो यात्रियों को अपना भारी सामान पीछे छोड़ने के लिए प्रेरित करता है. ऐसे में फिर यात्री क्या पहनेंगे तो इसका जवाब है, किराए के कपड़े.

यात्रियों को एक अच्छा विकल्प
जी हां, जापान की एयरलाइन ने ट्रेडिंग हाउस सुमितोमो कॉर्प के साथ मिलकर एक नया प्रयोग शुरू किया है. 5 जुलाई से  शुरु हुई इस योजना में यात्रियों को एक विकल्प दिया जा रहा है कि वे अपने देश में दूसरी जगह पर यात्रा के दौरान किराए के कपड़े पहन सकेंगे. इस नवाचार का मकसद यात्रियों को कुछ सहूलियतें भी देते हुए संधारणीय पर्यटन को प्रोत्साहित करना है.

केवल एक साल के लिए
ऐसा माना जा रहा है कि हर विमान से वजन कम करके ईंधन की खपत काफी हद तक बचाई जा सकती है और उससे अंततः कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम हो जाएगा.  फिलहाल यह सेवा अगस्त 2024 तक ही लागू की गई है. सुनने में अजीब लगता है कि बिना अपने कपड़ों के लोग सफर पर कैसे जाएंगे. लेकिन दूसरी तरफ उन्हें नए कपड़े पहनने का अनुभव भी मिल सकेगा यह विचार रोमांच पैदा करने वाला होगा.

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एनी वियर ऐनीवेयर स्कीम
यात्री अपने पसंद और साइडज के कपड़े मौसम की जरूरतों को ध्यान में रख कर चुन सकते हैं. इसके लिए उन्होंने जापान एयरलाइन के विमान में चढ़ने से पहले वेबसाइट पर कपड़े चुनने होंगे. “एनी वियर ऐनीवेयर” यानि कुछ भी पहनें कहीं भी, नाम की इस स्कीम में यात्रियों को केवल अपने अंतरवस्त्र और टूथब्रश जैसी जरूरी चीजों को ही अपने साथ रखना होगा.

इस स्कीम से यात्रियों के सामान के वजन में भारी कमी आ जाएगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

कितने कपड़े मिल सकेंगे
फाइनेशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यात्रियों को अपने साथ बड़े सूटकेस ले जाने की जरूरत नहीं होगी और  लोग अपने लिए दो हफ्ते के लिए आठ जोड़ी कपड़े एक महीने पहले चुन सकते हैं. वार्डरोब  में स्मॉल मीडियम और लार्ज तीन आकार के और स्मार्ट, स्मार्ट कैजुअल और मिक्स्ड श्रेणियों के कपड़े होंगे. उनके कपड़ों पर 2311 रुपयों से लेकर 4044 रुपयों तक का खर्चा आएगा.

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कैसे होगा प्रबंधन
ये कपड़े रीटेलर के अतिरिक्त सटॉक और पेरेंट कम्पनी के सेकेंड हैंड गार्मेंट से प्रदान किए जाएंगे. यात्रियों के चुने हुए कपड़े उनके पहुंचने से पहले ही उस होटल पर पहुंचा दिए जाएंगे जो यात्रियों ने बुक किए होंगे. और वापसी यात्रा शुरू होने से पहले ले लिए जाएंगे. इसके बाद कपड़ों को लॉन्ड्री भेज कर फिर से तैयार किया जाएगा कुछ खराबी होने पर नुकासन यात्री को भरना होगा.

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इस स्कीम से जापान में बेकार फिकने वाले कपड़ों में भी कमी आएगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

क्या होगा फायदा
इस साल भर के प्रयोग से यह जानने के लिए आंकड़े जमा किए जाएंगे कि सामान का भार करने से विमान का भार कितना कम हुआ. जापानी एयरलाइन का कहना है कि कोविड महामारी के बाद ज्यादा से ज्यादा लोगों के सफर करने से संधारणीय पर्यटन को प्रोत्साहित करने की मांग बढ़ी है. यात्री भी इस तरह के विकल्प चाहते हैं पर उनके पास विकल्प नहीं हैं. एनीवियर ऐनिवेयर वेबसाइट के मुताबिक सामान का भार 10 किलो कम होने से 7.5 किलो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होता है. योजना सफल होने पर इसे दूसरी विमानन कंपनियां भी अपना सकती हैं.

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लेकिन यह योजना पर्यावरण के कितने अनुकूल है यह कहना जल्दबाजी होगी. कम्पनियों को उम्मीद है कि इससे कपड़ों का बेकार होना बच जाएगा और लॉन्ड्रिंग और पैकिंग से निजात मिलने पर पानी का प्रदूषण और प्लास्टिक का उपयोग कम होगा. उड्डयन दुनिया के 2.5 फीसद कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का हिस्सेदार है.  अनुमान है कि यह उत्सर्जन 2005 की तुलना में 300 फीसद तक पहुंचने वाला है. उड्डयन उद्योग ने 2050 तक जीरो कार्बन हासिल करने का लक्ष्य रखा है.

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