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बंद होने वाला था राजश्री प्रोडक्शन! इस एक्ट्रेस के कहने पर RK बड़जात्या ने लिया 1 फैसला, फिर बनाई हिट भोजपुरी फिल्म

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मुंबई। राजश्री प्रोडक्शन (Rajshri Production) की शुरुआत ताराचंद बड़जात्या ने साल 1947 में की थी. इस प्रोडक्शन हाउस के तहत ‘दोस्ती’, ‘अंखियों के झरोखे से’, ‘सारांश’, ‘मैंने प्यार किया’, ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसे सुपरहिट पारिवारिक फिल्में दीं. लेकिन साल 1980 का दशक की शुरुआत में राजश्री प्रोडक्शन के लिए खास नहीं रहा. राजकुमार बड़जात्या राजश्री प्रोडक्शन की कमान संभाले हुए थे. राजकुमार बड़जात्या एक फिल्म के लिए एक्ट्रेस की तलाश कर रहे थे. वह एक नए चेहरे की तलाश कर रहे थे. तब उन्हें साधना सिंह मिलीं. साधना सिंह ने फिल्म के लिए ऑडिशन दिया.

ऑडिशन से पहले साधना सिंह (Sadhna Singh) की फोटो सचिन पिलगांवकर को दिखाई गई. सचिन फोटो देखकर खुश हुए क्योंकि वह पहले से ही उन्हें जानते थे. वह साधना की बहन के साथ काम कर चुके थे. साधना की बड़ी बहन ने ‘पायल की झनकार’ समेत कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है. साधना ने बताया कि जब वह पहली बार राजकुमार बड़जात्या से मिलीं, तब उन्होंने उनसे कई डायलॉग्स बुलवाए.

साधना सिंह ने ‘नदिया के पार’ बनने का किस्सा शेयर किया. (यूट्यूब वीडियोग्रैब)

गले तक कर्ज में डूबा हुआ था राजश्री प्रोडक्शन

साधना सिंह ने कहा, “हमने फिल्म की शूटिंग की तैयारियां करनी शुरू कर दी थी. लेकिन अचानक खबर आई की राजश्री बंद हो रहा है. जितनी भी फिल्में बन रही हैं, सब बंद हो रही है. वह उस वक्त गले तक कर्जे में थे. उन्होंने फैसला लिया कि सब प्रोडक्शन को बंद कर रहे हैं. जिसको जो करना है करें. जब मुझे पता चला कि सब फिल्में बंद हो रही है. सब कुछ बंद रहा है. तो मैं उनसे मिलने गईं.”

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राजकुमार बड़जात्या के दिल को छू गई साधना सिंह की बात

साधना सिंह ने कहा, “मैंने कहा- आप सब फिल्में बंद कर रहे हैं राज बाबू. तो वो बोलें- करनी पड़ेंगी. मजबूरी है हमारी. मैंने कहा- मेरी भी फिल्म बंद कर देंगे क्या आप? और मैं वापस चली जाऊं क्या? फिर उन्होंने कहा- जिस तरह इस लड़की ने बोला ना दिल में लग गई मेरी. फिर उन्होंने ‘नदिया के पार’ बनाने का फैसला किया.” ‘नदिया के पार’ साल 1982 की सुपरहिट फिल्मों से एक थी.

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राजकुमार बड़जात्या के लिए भगवान की तरह थी ‘नदिया के पार’

साधना सिंह ने कहा कि राजकुमार बड़जात्या ‘नदिया के पार’ बनने का किस्सा सबको बुला-बुलाकर सुनाते थे. उन्होंने कहा, “राजकुमार बड़जात्या ‘नदिया के पार’ को भगवान की तरह मानते थे. फिल्म प्रोडक्शन हाउस को इतना ऊपर लेकर आ गई कि उन्होंने सोचा भी नहीं था.”

टैग: Bhojpuri film

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