नई दिल्ली. टीम इंडिया के पूर्व कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) शुक्रवार को 42 वर्ष के हो गए. गेंद पर निर्ममता से प्रहार करने वाले MSD को जब टी20 वर्ल्‍डकप-2007 से पहले भारतीय टीम की बागडोर सौंपी गई तो किसी ने कल्‍पना नहीं की थी कि सिलेक्‍टर्स का यह फैसला भारतीय क्रिकेट को नई दिशा देने वाला साबित होगा.धोनी आज भारत के सबसे सफल कप्‍तान हैं. मुश्‍किल परिस्थितियों में भी शांत बने रहना और किसी प्‍लेयर्स से उनका सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन कराने के उनके कौशल की पूरी दुनिया कायल रही. इसी खूबी की वजह से इस विकेटकीपर बल्‍लेबाज को ‘कैप्‍टन कूल’का नाम मिला. कप्‍तान के तौर पर धोनी जोखिम लेने से कभी नहीं डरे.

उन्‍होंने कई बार ऐसे फैसले लिए, जो गलत साबित होने पर उनकी हर तरफ आलोचना का कारण बन सकते थे. लेकिन इसके बावजूद वे ऐसे फैसले लेने से हिचके नहीं. बाद में यही फैसले धोनी के लिए मास्‍टर स्‍ट्रोक साबित हुए. कप्‍तान के तौर पर धोनी के प्रमुख फैसलों पर डालते हैं नजर..

सचिन, राहुल और गांगुली की टी20 से विदाई
टी20 वर्ल्‍डकप 2007 के पहले धोनी को कप्‍तानी सौंपी गई थी. कप्‍तानी सौंपी जाने के दौरान ही उन्‍होंने सिलेक्‍टर्स को साफ संदेश दे दिया था कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे प्‍लेयर अब टी20 के फ्रेम में ‘फिट’ नहीं होते और उन्‍हें युवा-तेजतर्रार प्‍लेयर्स की जरूरत है. जाहिर है, इस तरह का निर्णय लेना बेहद जोखिमभरा था क्‍योंकि यह यह ‘तिकड़ी’ भारतीय टीम की ‘बैकबोन’ थी. धोनी पर भरोसा कर सिलेक्‍टर ने उन्‍हें युवा टीम दी और इसमें 2007 का टी20 वर्ल्‍डकप जीतकर इतिहास रच दिया.

सुपर ओवर वाले मैच में स्पिनरों पर दांव लगाना
टी20 वर्ल्‍डकप-2007 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच पहला मुकाबला रोमांचक उतार-चढ़ाव के बाद ‘टाई’रहा. इस कारण फैसला सुपर ओवर में गया. धोनी जानते थे कि धीमी गति होने के कारण स्पिनरों की गेंदों के विकेट को हिट करने की ज्‍यादा संभावना होती है. ऐसे में उन्‍होंने वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और नॉन रेगुलर बॉलर रॉबिन उथप्‍पा को बॉल फेंकने का मौका दिया. यह फैसला ‘क्लिक’ कर गया,तीनों बॉलर विकेट को हिट करने में सफल रहे और भारत मैच जीत गया.

टी20 वर्ल्‍डकप-2007 में जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर देना
टी 20 वर्ल्‍डकप 2007 का फाइनल चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्‍तान के बीच खेला गया. मैच में धोनी ने नएनवेले जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर फेंकने का मौका दिया जबकि प्रमुख बॉलर हरभजन सिंह का ओवर भी बाकी थी. कैप्‍टन कूल ने इस बात को ध्‍यान में रखा कि आखिरी ओवर में स्पिनरों के ‘पिटने’ की ज्‍यादा आशंका होती है.वैसे भी इस मैच में मिस्‍बाह उल हक ने हरभजन की गेंदों पर काफी प्रहार किए थे. जोगिंदर को आखिरी ओवर देने का निर्णय काम कर गया. शुरुआती कुछ गेंदें वाइड फेंकने और छक्‍का खाने के बावजूद उन्‍होंने मिस्‍बाह को आउट कर भारत को जीत दिलाई.

रोहित शर्मा से वनडे में ओपनिंग कराना
रोहित शर्मा मिडिल ऑर्डर के बैटर थे लेकिन गेंद को हिट करने की क्षमता के कारण उन्‍हें धोनी ने वनडे में पारी शुरू करने की जिम्‍मेदारी सौंपी. इस बेहतरीन फैसला रहा और रोहित शर्मा-शिखर धवन की प्रारंभिक जोड़ी ने विपक्षी बॉलरों की जमकर खबर ली और टीम की कई जीतों में अहम रोल निभाया.

चैंपियंस ट्रॉफी 2013 फाइनल में ईशांत से 18वां ओवर कराना
चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा से पारी का 18वां ओवर कराना धोनी का बहुत बड़ा फैसला रहा. ईशांत ने इस ओवर में इंग्‍लैंड के दोनों सेट बैट्समैन मोर्गन और बोपारा को आउट कर हार रहे मैच का रुख भारत के पक्ष में मोड़ दिया. बारिश के कारण भारत-इंग्‍लैंड का यह मैच 20-20 ओवर का कर दिया गया था. धोनी ने ईशांत को 18वें ओवर में तब गेंदबाजी सौंपी थी जब इससे पिछले ओवर में वे बेहद महंगे साबित हुए थे. भारत ने इंग्‍लैंड को हराकर चैंपियन ट्रॉफी खिताब जीता था.

त्रिकोणीय सीरीज में प्रवीण कुमार से पहला ओवर कराना
वर्ष 2008 में ऑस्‍ट्रेलिया में हुई कॉमन वेल्‍थ बैंक त्रिकोणीय सीरीज का फाइनल भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच हुआ. उसम समय की भारतीय टीम में ईशांत शर्मा और इरफान पठान जैसे अनुभवी बॉलर थे लेकिन धोनी ने प्रवीण कुमार से बॉलिंग की शुरुआत कराई. वे जानते थे कि गेंद स्विंग कराने की क्षमता के कारण प्रवीण, ऑस्‍ट्रेलियाई बैटरों की कठिन परीक्षा लेंगे. यह फैसला बेहतरीन रहा. पहले फाइनल में प्रवीण ने दो और दूसरे फाइनल में चार विकेट लिए. भारतीय टीम को त्रिकोणीय सीरीज जिताने में प्रवीण कुमार की अहम भूमिका रही.

टैग: क्रिकेट, Mahendra Singh Dhoni, म स धोनी, टीम इंडिया

Source link

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *