नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में सहायक भूमिका निभाकर रातोंरात स्टार बन गई थीं. इस फिल्म के बाद एक्ट्रेस कई अलग-अलग तरह के किरदारों में नजर आईं. अब हुमा कुरैशी की फिल्‍म ‘तरला’ 7 जुलाई यानी आज जी5 पर स्‍ट्रीम हो चुकी है. ये पद्मश्री सम्‍मान से सम्‍मान‍ित होम शेफ तरला दलाल की ज‍िंदगी पर बनी फिल्‍म है. अपनी इस पहली बायोपि‍क फिल्‍म पर बात करते हुए हुमा ने अपने बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन, अपने फिल्‍मी सफर, स्‍ट्रगल जैसे कई मुद्दों पर खुलकर बात की.

न्यूज18 नहीं से एक्सक्लूसिव बातचीत में हुमा ने बताया कि आखिर क्या खास बात देखकर उन्होंने इस किरदारों को निभाने का मन बनाया था. वह बताती हैं,’ मुझे इस तरह के किरदार निभाने में बहुत मजा आता है, जिनमें मुझे कुछ अलग करने का मौक मिले, जिनमें रेंज हो, इमोशंस हो और ह्यूमन ड्रामा हो, जैसे तरला के किरदार में काफी कुछ अलग है, पीयूष ने ये एक बहुत प्यारी सी कहानी लिखी है. फिर तरला जी की लाइफ ही इतनी अट्रेक्टिव है कि कौन उनके बारे में नहीं जानना चाहेगा, ये पहली ऐसी इंसान थी जिनकी अपनी कुकबुक थी, पद्मश्री भी मिला. तो शायद ही कोई हो जो उनकी बायोपिक में काम नहीं करना चाहेगा. ये सारी खूबियां देखते हुए मैंने ये किरदार एक्सेप्ट किया था. ‘

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ट्रांसफॉर्मेशन किसी भी किरदार के लिए कितना इंपॉर्टेंट हैं, आपका क्या कहना है, ‘ इस सवाल के जवाब में हुमा ने बताया, “मैं जब भी तरला के किरदार के लिए गेटअप लेती हूं तो अपने आप से ही अंदर कुछ ऐसा होता है कि कलाकार वैसे ही रिएक्ट करने लगता है. जैसे मोनिका में मैंने जैसे ही वो लाल ड्रेस पहना तो कुछ ऐसा हुआ कि अपने आप मैं उस किरदार में ढल गई. ये चीजे हर कलाकार को हेल्प करती हैं जैसे ही आप अपने लुक में आते हो चीजे अपने आप होने लगती है आप वैसे ही रिएक्ट करते हुए ढल जाते हो उस किरदार में. मैं अपने हर किरदार के लिए फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशल के लिए हमेशा तैयार रहती हूं.’

हुमा क़ुरैशी

हुमा कुरैशी ने छोटे छोटे किरदारों से अपने करियर की शुरुआत की थी, आज वह इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस है.

मैं काजोल बनना चाहती थी
ऐसे कितने ही स्टार्स है जिन्होंने किसी फिल्म को देखकर एक्टर बनने का मन बना लिया था. क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ है. आपको कब लगा था कि मुझे एक्ट्रेस बनाना है. पूछने पर हुमा बताती हैं, ‘ मैंने जब साल 1997 में फिल्म ‘गुप्त’ देखी तो मुझे लगा था कि मुझे काजोल बनना है. हंसते हुए बड़ी सहजता से हुमा ने इस सवाल का जवाब दिया.

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खुद को साबित करने का मेरा लक्ष्य था
आज भले ही हुमा कुरैशी का नाम इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेसेस में शुमार हैं. लेकिन करियर की शुरुआत हुमा ने साइड रोल निभाकर ही की थी. अपने संघर्ष के बारे में हुमा बताती हैं, ‘मैं जब बॉम्बे आई तो पेरेंट्स का काफी सपोर्ट था. मैं कुछ महीनों तक डैड से पैसे भी लेती थी. फिर मैं खुद को साबित करने के लिए एक्टिंग लाइन में आई थी तो मेरा खुद पर ही काफी प्रेशर था कि कुछ बन कर दिखाऊं खुद को साबित करूं.डैड का नाम ना खराब हो क्योंकि जिस तरह की पुराने ख्यालों वाले फैमिली से हम लोग आते हैं उनमें मेरे घर का मुझे हमेशा सपोर्ट मिला. उन्होंने मुझे हर तरह की आजादी दी. मुझे उन पर बहुत प्राउड है.

डैड की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं
किसी भी फिल्म के हिट होने पर आपका क्या रिएक्शन होता है, सबसे बड़ी खुशी आपको कब मिलती है? मैं कोई भी काम करती हूं सबसे पहले यही सोचती हूं कि डैड को ये काम कैसा लगेगा. उन्हें प्राउड होगा या नहीं. आज भी मैं ऐसा महसूस करती हूं. और सबसे बड़ी बात जब मेरी कोई फिल्म हिट होती है या मेरे किसी किरदार को सराहा जाता है तो डैड बहुत खुश होते हैं. मेरी पिछली फिल्म महारानी के लिए भी मेरे डैड मुझे कॉल करके कहते थे, पता है तेरी फिल्म मेरे उस दोस्त ने देखी, उसे ये फिल्म बहुत पसंद आई में बहुत खुश हूं. वो खुश जो उनको होती है ना मेरे लिए जिंदगी में उससे बड़ी कोई खुशी हो ही नहीं सकती.

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