नई दिल्ली. क्या आपको 90 के दशक की वह सिंगर याद है, जो बिल्कुल लड़कों की तरह दिखाई देती हैं और लड़कों की ही कपड़े पहनकर गाना गाया करती हैं. उनके गानों में ऐसा जादू हुआ करता था कि लोग खुद ब खुद झूमकर नाचने के लिए मजबूर हो जाया करते थे. उस दौर में उनके प्राइवेट एल्बम जितने मशहूर हुए उतने तो किसी सुपरस्टार के एल्बम भी मशहूर नहीं हो सकी. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि इतनी मधुर आवाज अचानक से गायब हो गई. क्या आपको पता है कि उनकी एक जिद्द उनको खुद गुमनाम कर दिया. बात कर रहे हैं 90 के दशक का बेमिसाल सिंगर फाल्गुनी पाठक की.

उस दौर में फाल्गुनी पाठक का नाम जो नहीं जानता था, वह उन्हें लड़का ही बताता था. जब लोग उनका नाम जानें तब उन्हें पहचाना कि ये लड़का नहीं बल्कि लड़की हैं. क्यों फाल्गुनी लड़कों जैसा लुक रखती है? 90 के दशक में जिस सिंगर ने भारत ही नहीं विदेश में भी पहचान बना ली, वो अचानक से गुमनाम क्यों हो गईं और आज वह किस हाल ही में है. बात गरबा क्वीन फाल्गुनी पाठक की…

4 बहनों में सबसे छोटी हैं फाल्गुनी
90 के दशक में यूं तो कई सिंगर आए, लेकिन जो धूम फाल्गुनी पाठक के गानों ने मचाई. वह कोई नहीं मचा सका. फाल्गुनी गुजराती हैं, लेकिन उनका जन्म मुंबई में हुई. 2 मार्च 1969 उन्होंने जन्म दिया. फाल्गुनी पाठक लड़कों जैसा लोग क्यों रखती हैं? चलिए ये राज भी खोल ही देते हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो  फाल्गुनी के जन्म से पहले उनकी 4 बहनें हो चुकी थीं, जब फाल्गुनी जन्म लेने वाली थीं, तब उनके माता-पिता को यह उम्मीद थी इस बार बेटा ही जन्म लेगा. उनकी चारों बहनों की भी यही ख्वाहिश थी कि इस बार भाई उन्हें मिल जाए, लेकिन इस बार फाल्गुनी ने जन्म लिया और उनकी चारों बहनों ने उन्हें भाई ही मान लिया.

90 के दशक की गरबा क्वीन फाल्गुनी पाठक ने क्यों नहीं की शादी, जानें उनके लड़कपन वाले लुक का राज, अब अचानक हो गईं गुमनाम

फाल्गुनी को संगीत का शौक बचपन से ही था.

लड़को जैसा लुक का जानते हैं राज?
फाल्गुनी पाठक की बहनों ने हमेशा उनका लुक लड़को की तरह ही रखा. उनके बाल, उनके कपड़े सब लड़को जैसे. जब कभी फाल्गुनी के बाल थोड़े से बड़े हो जाते थे तो बहनें उन्हें नाई की दुकान में ले जाती और बाल कटा के छोटे-छोटे करा देती. वह कभी फ्रॉक पहनतीं तो फ्रॉक की जगह उन्हें शर्ट पैंट पहना देती. बस बचपन से जो शुरू हुआ वो अब आदत पड़ गई थी. जब सिंगर बड़ी हुईं तो वैसे की वैसे ही रहीं. इसी वजह से वह हमेशा लड़कों जैसी लुक में दिखाई देती है.

गायकी की दुनिया में कैसे आईं फाल्गुनी
अब आपको बताते हैं कि साधारण परिवार की है लड़की गायकी की दुनिया में कैसे आ गई. दरअसल, फाल्गुनी को संगीत का शौक बचपन से ही था. 5 साल की उम्र में जहां सारे बच्चे अपने खिलौनों से करते वहीं फाल्गुनी रेडियो पर लता मंगेशकर और आशा भोसले के गाने सुना करतीं. धीरे-धीरे यह गीत-संगीत उनके मन में की ऐसा रच बस गया और उन्होंने गाना भी शुरू कर दिया. उनकी मां ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया बचपन से ही वह अपनी बेटी को गुजराती लोकगीत सिखाया करती थीं. नवरात्रि आती तो उन्हें गरबा सिखा देती. बस बेटी ने अपने शौक को ही कैरियर बनाने का फैसला कर लिया.

पिता को पसंद नहीं था बेटी का गाना बजाना
मां को फाल्गुनी का गाना बजाना पसंद था, लेकिन पिता को उनका गाना बजाना समझ नहीं आता था. वह 9 साल की थी तब एक बार वह घरवालों को बिना बताए स्टेज पर चली गईं. वह 15 अगस्त का दिन था और स्टेज पर जाकर उन्होंने गाना गाया ‘लैला मैं लैला’. पिता को जैसे ही यह बात पता चली तो उन्होंने बहुत गुस्सा किया और इस बात को लेकर फाल्गुनी ने डांट ही नहीं पिटाई तक खाई थी.

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फाल्गुनी के पिता को समझ नहीं आता था बेटी का गाना-बजाना.

अलका याग्निक के साथ रिकॉर्ड किया था पहला गाना
वैसे पिता की नाराजगी भी उनका शौक काम नहीं कर पाई को 10-11 साल की हुईं तो उन्हें एक बड़ा मौका मिला. एक गुजराती फिल्ममेकर ने उन्हें अपनी फिल्म में गीत गाने का मौका दिया. उन्होंने अपना पहला गाना उस दौर की मशहूर गायिका अलका याग्निक के साथ रिकॉर्ड किया था.

एक फैसले ने चमकाई किस्मत
बस यहीं से उनकी उड़ान शुरू हो गई. नवरात्रि और गरबा में गाकर तो वह मशहूर हो गई थीं, लेकिन अब वह पूरे देश में गूंजना चाहती थीं. सपना बड़ा था मगर उसे पूरा करने का हौसला उससे भी बड़ा था. फाल्गुनी पाठक ने कुछ दोस्तों के साथ एक बैंड बनाया नाम रखा ‘ता थैया’ इसी बैंड के साथ उन्होंने पूरे देश में गाना शुरू कर दिया लेकिन वह पहचान और वह शोहरत उन्हें नहीं मिल पा रही थी, जिसकी वह असली हकदार थीं. इसीलिए उन्होंने कुछ नया करने की सोची. दौर 90 का था उन दिनों प्राइवेट एल्बम्स की धूम काफी थी. हर कोई सिंगर अपनी प्राइवेट एल्बम निकाल रहा था. फाल्गुनी ने भी अपना प्राइवेट एल्बम निकालने की योजना बनाई, लेकिन उन्हें नहीं पता था. उनका यह फैसला क्या रंग दिखाने वाला है. साल 1996-97 में वह जुट गईं अपनी पहली एल्बम की तैयारी में. आखिरकार साल 1998 में कड़ी मेहनत के बाद उनका पहला एल्बम बनके तैयार हो गया. रिया सेन के साथ आई एल्बम का नाम था ‘याद पिया की आने लगी’.

गानों से युवाओं के दिलों को धड़काया
एल्बम ने आते ही धूम मचा दी. लड़कियां ही नहीं लड़के भी उनकी आवाज की दीवाने हो गए. छोटी सी लड़की की आवाज ने बड़े-बड़े बॉलीवुड सिंगर को हैरान कर दिया था. रातों रात फाल्गुनी सिंगर सिंगिंग स्टार बन गईं. इसके ठीक 1 साल बाद उन्होंने फिर दूसरा एल्बम निकाला, नाम था ‘मैंने पायल है छनकाई’. फाल्गुनी ने एक बार फिर से युवाओं का दिल धड़का दिया. इसके बाद तीसरा ‘मेरी चूनर उड़ उड़ जाए’ के साथ उन्हें लोगों का प्यार और मिला. फाल्गुनी पाठक सीधे सफलता के सातवें आसमान पर पहुंच गईं. अब तो लोग उनके प्राइवेट एल्बम का इंतजार किया करते. 2 साल के इंतजार के बाद 2002 में उन्होंने एक और एल्बम रिलीज किया यह ‘किसने जादू किया’, युवा लवस्टोरी के बीच फाल्गुनी किए मीठी आवाज लोगों के सिर चढ़कर बोल रही थी. फाल्गुनी के गीतों की आंधी चल रही थी, लेकिन फिर अचानक से वह गायब हो गई.

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फाल्गुनी को बॉलीवुड से बहुत ऑफर्स आए.

एक जिद्द ने किया गुमनाम
क्या हुआ था उनके साथ कि वह अचानक ही गुमनाम हो गए चलिए यह भी आपको बता ही ही देते हैं. असल में उनकी गुमनामी की वजह उनकी एक जिद्द बनी, जिसकी वजह से वह गुमनाम हो गईं. हुआ ये कि फाल्गुनी पाठक अपने अच्छे दौर में मिले मौकों को गवा रही थी. जब उनका पहला एल्बम रिलीज हुआ तो उनकी आवाज लोगों को ही नहीं कई म्यूजिक डायरेक्टर्स को भी पसंद आई थी. वह फाल्गुनी के पास आते और बॉलीवुड में गाने के ऑफर देते, लेकिन वह सारे ऑफर को ठुकराती जा रही थीं.  उनकी आवाज में ऐसी खनक थी कि वह हिंदी फिल्मों की मशहूर गायिका बन सकती थीं, लेकिन दौर अच्छा चल रहा था  और प्राइवेट एल्बम का जमाना था. उन्हें नाम, इज्जत और शोहरत सब कुछ मिल रही थी. इसी वजह से वह बॉलीवुड में मिले उन मौकों को बस अपने एल्बम करने की जिद्द में खोती चली गईं. वैसे एक इंटरव्यू में फाल्गुनी ने बताया था की बॉलीवुड के गाने में डबल का मेहनत करनी पड़ती है. इसी वजह से वह हिंदी फिल्मों की सिंगर नहीं बनीं और उन्होंने बॉलीवुड को कभी सीरियसली नहीं लिया. धीरे-धीरे प्राइवेट एल्बम्स का दौर भी खत्म होता चला गया. इधर फाल्गुनी 2004 में अपना एल्बम ‘दिल झूम-झूम’ रिलीज किया. वह नहीं चला, बस दो-चार फिल्मों के लिए कभी-कभार एक- दो गीत गाए, लेकिन वह भी नहीं चले और अचानक से फाल्गुनी को एक जिद्द ने गुमनाम कर दिया.

अब क्या करती हैं फाल्गुनी
जो आवाज देश-दुनिया में मशहूर हो चुकी थी, अब वह सिर्फ गुजरात तक सिमट कर रह गई हैं. स्टेज शो से उन्होंने अपना करियर शुरू किया था और अब वह फिर से वही पहुंच गई हैं. वह नवरात्र, डांडिया नाइट्स और गरबा में गीत गाती हैं. नवरात्रों के दौरान उनकी डिमांड खूब रहती है. फाल्गुनी शादी भी नहीं की है.

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