मुंबईः बॉलीवुड एक्टर्स और उनके इंडस्ट्री में आने के पहले की कहानी के बारे में हर कोई जानना चाहता है. क्योंकि, बॉलीवुड में पहचान बना पाना बेहद मुश्किल माना जाता है. वजह है इंडस्ट्री में कॉम्पटीशन और अगर इसमें कोई एक्टर आउटसाइडर है तो उसे फिल्मी परिवारों से आने वाले एक्टर्स की तुलना में काम के लिए ज्यादा पापड़ बेलने पड़ते हैं. शाहरुख खान से लेकर अनिल कपूर तक की स्ट्रगल स्टोरी के बारे में तो आप जानते होंगे, लेकिन क्या आप विपिन शर्मा (Vipin Sharma) के संघर्ष की कहानी जानते हैं. वही विपिन शर्मा, जिन्होंने आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ में ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी) के पिता नंदकिशोर अवस्थ का किरदार निभाया था. एक सख्त पिता, जिसका बेटा डिस्लेक्सिया से पीड़ित होता है और वह अपने बेटे की परेशानियों को समझ नहीं पाता.
‘तारे जमीन पर’ में नंदकिशोर अवस्थी का किरदार विपिन शर्मा ने निभाया था, जिन्होंने इंडस्ट्री में एंट्री तो बहुत पहले कर ली थी, लेकिन कुछ खास काम ना मिलने पर उन्होंने इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया. विपिन ने मिर्च मसाला (1987) और हीरो हीरालाल (1988) जैसी फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया था और एक्टर बनने की चाह में लंबे समय तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक्टिव रहे.
विपिन शर्मा की कहानी बाकि के बॉलीवुड स्टार्स से काफी अलग है. क्योंकि, जहां लोग एक मौके के लिए तरसते हैं, वहीं दो बड़ी फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर चुके विपिन शर्मा को खुद पर ही भरोसा नहीं था. उन्हें इस बात का भरोसा नहीं था कि वह एक्टर बन सकते हैं. विपिन अचानक ही अपना अच्छा-खासा करियर छोड़कर कनाडा चले गए और यहां छोटे-मोटे काम करने लगे. वह करीब 12 साल तक कनाडा में लाइट, कैमरा से दूर रहे, लेकिन फिर उन्होंने वो फिल्म देखी, जिसने उनकी किस्मत ही बदल दी.
ये फिल्म थी इरफान खान स्टारर ‘मकबूल’ (2003). इरफान खान के साथ विपिन शर्मा की काफी अच्छी दोस्ती थी और जब अभिनेता ने उन्हें अपनी फिल्म दिखाई तो विपिन के अंदर मौजूद एक्टिंग का जज्बा फिर जाग उठा और फिर विपिन कनाडा से मुंबई लौट आए. यहां आने के बाद उन्होंने फिर फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाई और सफल भी हुए. आमिर खान की ‘तारे जमीन पर’ में सख्त पिता नंदकिशोर अवस्थी का रोल निभाकर उन्होंने सबको अपनी एक्टिंग का दीवाना बना दिया.
विपिन का जन्म मुंबई के स्लम एरिया में हुआ था. जहां वह पले-बढ़े वहां लाइट भी नहीं होती थी. उन्होंने अपने कमरे में तब पहली बार लाइट देखी, जब उन्होंने एनएसडी ज्वॉइन की और होस्टल में रहने लगे. इसके बाद उन्होंने अपने गुजारे कि लिए कई तरह के काम किए. सिनेमाहॉल के बाहर टिकट तक बेंचे. फिर फिल्मी दुनिया का रुख किया और दो फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया. लेकिन अपने पर भरोसा ना होने के चलते वह कनाडा चले गए.
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पहले प्रकाशित : 07 जुलाई, 2023, 11:10 पूर्वाह्न IST