हाइलाइट्स

भारत में करीब 17.5 प्रतिशत लोग सारकोपेनिया से पीड़ित हैं.
जब ग्रिप में ताकत न लगे तो यह सारकोपेनिया है.

सैक्रोपेनिया लक्षण: किसी चीज को हाथों से पकड़ने या उस पर ग्रिप बनाने के लिए मांसपेशियों में ताकत का होना बहुत जरूरी है. लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ मांसपेशियों की ताकत में कमी आना स्वभाविक है. हालांकि आजकल कम उम्र से ही लोगों के मसल्स अपनी ताकत खोने लगते हैं और स्टेमिना में भी कमी आने लगती है. उम्र के साथ मसल्स मास (Muscles Mass) में लॉस सरकोपेनिया (Sarcopania) की बीमारी कहलाती है. सारकोपेनिया में मसल्स मास में कमी और स्टेमिना में कमी आने लगती है.

यह बहुत ही कष्टकारक बीमारी है जिसमें कोई भी काम करने में ताकत नहीं लगती है. आमतौर पर लोग यह समझते हैं कि हाथों या पैरों में ताकत का अभाव ज्यादा उम्र की निशानी है लेकिन इसे गलत तरीके से समझा जा रहा है. दरअसल, यदि आपकी फिजिकल एक्टिविटी कम होगी और लाइफस्टाइल खराब होगी तो 35-40 साल की उम्र से सारकोपेनिया की बीमारी लग जाएगी.

कई देशों में हुए अध्ययन में यह पाया गया है कि भारत में करीब 17.5 प्रतिशत लोग सारकोपेनिया से पीड़ित हैं. यानी इन लोगों को किसी चीज को पकड़ने में ताकत ही नहीं लगती. एबॉट न्यूट्रिशन के मेडिकल एंड साइंटिफिक ऑफिसर और बाल चिकत्सक डॉ. इरफान शेख ने बताया कि एशियाई देशों में भारत सारकोपेनिया के मामले में सबसे आगे हैं. डॉ. इरफान ने कहा कि मसल्स का खोना हमें यह बताता है कि हम समय से पहले कितने बुजुर्ग हो गए हैं.

क्या है सारकोपेनिया

डॉ. इरफान शेख ने बताया कि सारकोपेनिया में एडवांस स्टेज का मसल्स लॉस हो जाता है. यानी मांसपेशियों में से तेजी से द्रव्य निकलने लगता है. इससे मांसपेशियों में तेजी से ताकत और फंक्शन खत्म होने लगते हैं. हर वयस्क में हर 10 साल पर 8 प्रतिशत की दर से मसल्स मास कम होने लगता है लेकिन आजकल 40 साल आते-आते यह तेजी से नीचे आने लगे हैं और सारकोपेनिया से पीड़ित होने लगे हैं. भारत में स्थिति और खराब है. यहां हर तीन में से एक पुरुष और हर पांच में से एक महिलाएं सारकोपेनिया की शिकार हैं.

कैसे समझें कि सारकोपेनिया है

मसल्स में ताकत है या नहीं इसका बहुत ही सरल तरीके से पता लगाया जा सकता है. हाथों के ग्रिप से इसका आसानी से पता चल सकता है. इसके लिए बहुत कसा हुआ एक जार लीजिए जिसका ढक्कन बहुत मजबूती के साथ बंद है, अब इसे खोलने की कोशिश कीजिए. अगर यह आसानी से खुल जाए तो समझिए कि आपको सारकोपेनिया नहीं है लेकिन अगर इसे खोलने में मशक्कत करनी पड़ी तो समझिए सारकोपेनिया है. इसी तरह एक संतरे को लेकर पूरी ताकत से दबाएं, अगर इसमें भी मशक्कत करनी पड़े तो समझिए मसल्स मास तेजी से लॉस हो रहा है और सारकोपेनिया की बीमारी लग गई है. उसी तरह पंजा लड़ाकर, चीजों को उपर उठाकर, चेयर से जल्दी-जल्दी उठ-बैठ कर भी मांसपेशियों में ताकत का अंदाजा लगा सकते हैं.

कम उम्र में मांसपेशियों में दोबारा ताकत कैसे लाएं

1. नाश्ता स्किप न करें-भागदौड़ भरी जिंदगी में आजकल लोग नाश्ता खाना छोड़ रहे हैं. लेकिन ब्रेकफास्ट आपके शरीर की जरूरतों के लिए पोषक तत्वों का पावर हाउस है. आपको हर रोज नाश्ते में पौष्टिक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए. इसके लिए साबुत अनाज, अंडा, फल और डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करें.

2.फिजिकल एक्टिविटी
-शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय न रहना सारकोपेनिया की सबसे बड़ी वजह है. इसलिए यदि आप चाहते हैं कि जिंदगी भर आपकी मांसपेशियों में ताकत बनी रहे तो इसके लिए हर रोज नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी में खुद को व्यस्त रखा करें. हालांकि इसके लिए बहुत ज्यादा मेहनत की नहीं बल्कि सिंपल वॉकिंग, साइक्लिंग, स्विमिंग, जॉगिंग आदि करते रहिए. यदि किसी मेहनत वाले खेल जैसे कि फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस आदि में भाग लेते हैं तो यह और ज्यादा फायदेमंद है.

3.पोषक तत्व और सप्लीमेंट
-यदि आपको फूड के माध्यम से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पा रहा है तो आप सप्लीमेंट ले सकते हैं लेकिन इसके लिए यदि डॉक्टर की सलाह से लेंगे तो ज्यादा फायदे में रहेंगे. बाजार में कई तरह के सप्लीमेंट आते हैं जिसे लेना फायदेमंद रहेगा.

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