हाइलाइट्स

स्वीडिश क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को एक मामले में दोषी पाए जाने पर हो सकती है जेल.
पुलिस द्वारा प्रदर्शन स्थल खाली करने के आदेश को मानने से कर दिया था इनकार.

स्टॉकहोम. स्वीडिश क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग पर पुलिस आदेश की अवेहलना करने का आरोप लगा है. दैनिक सिड्सवेंस्कन की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 19 जून को दक्षिणी शहर माल्मो में प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने ग्रेटा को जगह खाली करने का आदेश दिया था. लेकिन ग्रेटा अपने समर्थकों के साथ मौके पर प्रदर्शन करती रहीं. अगर पुलिस आदेश की अवहेलना करने के मामले में ग्रेटा दोषी पायी जाती हैं तो उनके ऊपर भारी जुर्माना लग सकता है या 6 महीने तक की जेल हो सकती है.

Fossil Fuel के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं ग्रेटा थनबर्ग
सिडस्वेंस्कन की रिपोर्ट के मुताबिक अभियोजक चार्लोट ओटोसन ने कहा, ‘आपको प्रदर्शन करने की आजादी है. लेकिन आपको इस तरह प्रदर्शन नहीं करना चाहिए कि यह दूसरों के लिए परेशानी का कारण बने.’ बता दें कि ग्रेटा थुनबर्ग जून में उस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं, जो एनवॉयरमेंट एक्टिविस्ट ग्रुप “ता टिलबाका फ्रैमटिडेन” (रिक्लेम द फ्यूचर) द्वारा आयोजित किया गया था. प्रदर्शनकारियों ने जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) के उपयोग के खिलाफ माल्मो बंदरगाह के एंट्री और एग्जिट द्वार को अवरुद्ध करने का प्रयास किया था.

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जुलाई के अंत में होगी मामले की अगली सुनवाई
वहीं इस पूरे मामले पर एक्टिविस्ट ग्रुप ने कहा, ‘हमारे भविष्य को बर्बाद करने वाली गतिविधियों को रोकने के बाद अब हम पर आपराधिक आरोप लगाए जा रहे हैं. जबकि असली अपराध उन दरवाजों के अंदर चल रहा है, जिन्हें हमने बंद कर दिया है.’ अभियोजक चार्लोट ओटेसेन ने सिड्सवेनस्कैन अखबार को बताया कि आरोप सिद्ध होने पर आम तौर पर जुर्माना लगाया जाता है. अखबार ने बताया कि माल्मो जिला अदालत में जुलाई के अंत में सुनवाई निर्धारित की गई है.

ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर किया था पोस्ट
घटना के दिन ग्रेटा थनबर्ग ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट भी शेयर किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि प्रदर्शनकारियों ने माल्मो बंदरगाह में तेल ट्रकों के लिए सड़क को बंद कर दिया है. पोस्ट शेयर करते हुए ग्रेटा ने लिखा, ‘जलवायु संकट पहले से ही अनगिनत लोगों के लिए जीवन और मृत्यु का सवाल है. हमने मूकदर्शन बने रहने का फैसला नहीं किया है और इसके बजाए हमने फॉसिल फ्यूल इंफ्रास्ट्रक्चर को रोक दिया है.

स्वीडिश संसद के सामने क्लाइमेट के लिए किया था स्कूल हड़ताल
जब ग्रेटा थुनबर्ग 15 साल की थीं तब उन्होंने स्वीडन की संसद के सामने “जलवायु के लिए स्कूल हड़ताल” शुरू की थी. उन्होंने फ्राइडेज फॉर फ्यूच आंदोलन की स्थापना की, जो बाद में एक वैश्विक घटना बन गई। युवा कार्यकर्ता ने जलवायु मुद्दों को ठीक से संबोधित नहीं करने के लिए सरकारों और राजनेताओं की नियमित रूप से निंदा की है.

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