Home World क्यों विवाद बन गई है जापान की फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से पानी...

क्यों विवाद बन गई है जापान की फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से पानी छोड़ने की योजना?

53
0
Advertisement

हाइलाइट्स

जापान में 2011 में आई सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को भारी नुकसान हुआ था.
जापान संयंत्र को बंद करने के लिए इसका पानी प्रशांत महासागर में फेंकने चाहता है.
लेकिन प्रशांत महासागर से जुड़े कई देशों को इससे नुकासन की आशंका है.

जापान में एक परमाणा संयंत्र पिछले 12 साल से बंद है और उसका खराब बचा हुआ पानी फेंकने की जरूरत है. जापान ने इस पानी को प्रशांत महासागर में फेंकने के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से अनुमति भी हासिल कर ली है. उन्हें इस प्रस्ताव को लेकर सुरक्षा संबंधी आशंकाएं हैं. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एंजेसी का कहना है कि इसका लोगों और पर्यावरण पर नहीं के बराबर ही रेडियोधर्मी प्रभाव करेगा. लेकिन जापान के इस प्रस्ताव की मंजूरी के बाद भी इसका विरोध हो रहा है जिसमें चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देश सहित कई पर्यावरण समर्थक भी विरोध कर रहे हैं. लेकिन क्या ये आशंकाएं कमजोर हैं या ऊर्जा एजेंसी का बयान गलत है यह एक सवाल है

हाल ही में मिली है अनुमति
जापान को अंतरारष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से यह अनुमति इसी महीने मिली है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एंजेसी के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहना है कि एजेंसी की निर्धारित स्थल पर लगातार उपस्थिति रही है और आगे भी रहेगी. इतना ही नहीं एजेंसी लगातार इस योजना की समीक्षा और आंकलन भी करती रहेगी.

एक भूकंप और सुनामी
उन्होंने  योजना की अंतिम रिपोर्ट  जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशीदा को देते हुए कहा कि यह पूरी तरह से विस्तृत निष्पक्ष, उद्देश्यात्मक, वैज्ञानिक तौर से मजबूत आंकलन है. लेकिन इस अनुमादोन और जापान के प्रस्ताव को चीन, दक्षिण कोरिया और अन्य प्रशांत द्विपीय देश विरोध कर रहे हैं. 2011 में 9.0 मात्रा का भूकंप आने से पैदा हुई सुनामी के कारण फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र के  तीन रिएक्टर पर असर हुआ था.

Advertisement

कौन सा पानी है ये
इस सुनामी से संयंत्र की बिजली और कूलिंग सिस्टम को नुकसान हुआ था. लेकिन यह रूस के चर्नोबिल परमाणु संयत्र दुर्घटना के बाद से दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा बन गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुतबिक बहुत सारा पानी नष्ट हुए तीन रिएक्टर के कूलिंग सिस्टम से निकला है तो वहीं बाकी बारिश और जमीने नीचे का पानी संक्रमित स्थल तक पहुंचने वाला पानी है.

2011 में आई सुनामी में फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के तीन रिएक्टर को नुकसान पहुंचा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

पानी बहाना क्यों है जरूरी
परमाणु संयत्र हर दिन 100 क्यूबिक मीटर का अपशिष्ट जल निकालता है. अभी स्थल पर करीब एक हजार टैंकों में 13 लाख क्यूबिक मीटर का पानी जमा हो चुका है और  उनकी क्षमता 2024 तक खत्म हो जाएगी. ऐसे में इससे पहले पानी की मात्रा बढ़े और संयंत्र के हालात बेकाबू जापान को ये पानी कहीं ना कहीं छोड़ना पड़ेगा जिससे कि परमाणु संयंत्र बंद किया जा सके.

यह भी पढ़ें: वो देश जहां जन्म के समय एक-दो साल ज्यादा होती है उम्र, पर अब ये बदल जाएगा

किस तरह का पानी है ये
इस पानी को कैसे फेंका जाएगा यह भी कोई सामान्य सा काम  नहीं है. संक्रमत पानी रिएक्टर की ईंधन की छड़ों के सम्पर्क में आने के बाद डिस्टिलेशन प्रक्रिया के बाद निकला है. टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी (टीईपीसीओ) इस संक्रमित पानी को आइसोटोप से मुक्त करने के लिए छानने का काम कर रीह है. बीबीसी के मुताबिक अब फेकने के लिए बचे पानी में केवल कार्बन 14 और हाइड्रोजन् का रेडियोधर्मी आइसोटोप ट्रीटियम बचा है जिसे पानी से अलग करना बहुत मुश्किल है.

विश्व, पर्यावरण, जापान, विज्ञान, अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा, फुकुशिमा, फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, परमाणु, परमाणु ऊर्जा संयंत्र का अपशिष्ट जल, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, प्रशांत महासागर, चीन, दक्षिण कोरिया,

फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के कूलिंग सिस्टम से जमा हो रहे पानी की क्षमता अब पूरी होने वाली है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

कैसे छोड़ा जाएगा इसे
टीईपीसीओ इस पानी को फेंकने से पहले बहुत डाइल्यूट कर देगी जिससे पानी में ट्रीटियम की मात्रा एक नियमाक सीमा से कम हो जाएगी. वहीं जापान का कहना है कि उपचारित पानी को पाइपलाइन  के जरिए संयंत्र स्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर प्रशांत महासागर में छोड़ा जाएगा और इस प्रक्रिया में पानी के संयंत्र से निकलने के बाद दशकों का समय लग सकता है. दुनिया भर में इसी तरह से ट्रीटियम वाला पानी छोड़ा जाता है.

यह भी पढ़ें: चीन में अधिक वेतन की नौकरी छोड़ वेटर क्यों बन रहे हैं युवा?

जापान के इस कदम का कुछ देश और मछुआरे विरोध कर रहे हैं.  पेरु मछली उद्योग के साथ ही जापानी मछलीपालन समुदाय के कुछ लोगों ने इस तरह से इस तरह के पानी के प्रशांत महासागर में छोड़े जाने पर चिंता जाहिर की है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी. बहुतों ने इस पर संदेह जताया है कि यह पानी संक्रमित नहीं है. ऐसे लोगों का दावा कि उन्हें कुछ सूत्रों से पता चला है कि उपाचर के बाद भी पानी रेडियोधर्मी तौर पर संक्रमित है. जापानी में फुकुशिमा की फिशिंग यूनियन भी सरकार के इस कदम का विरोध कर रही है. चीन और दक्षिण कोरिया ने इस पर चिंता जाहिर की है.

टैग: पर्यावरण, जापान, शोध करना, विज्ञान, दुनिया

(टैग्सटूट्रांसलेट)विश्व(टी)पर्यावरण(टी)जापान(टी)विज्ञान(टी)अनुसंधान(टी)परमाणु ऊर्जा(टी)फुकुशिमा(टी)फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र(टी)परमाणु(टी)परमाणु ऊर्जा संयंत्र का अपशिष्ट जल

Source link

Previous articleअक्षय कुमार हैं बड़े ‘खिलाड़ी’, 75,000 रुपये जब नहीं दे रहा था प्रोड्यूसर, निकाला जबदस्त पैंतरा और…
Next article‘इंडियन आइडल-2’ में नेहा कक्कड़ ही नहीं… इस एक्टर को भी किया गया था OUT, आज दोनों ही कर रहे बॉलीवुड पर राज

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here