नई दिल्‍ली. राजधानी के सबसे बड़े अस्‍पताल ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली के आसपास प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है. एक से एक गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए दूर-दराज से आ रहे मरीजों को इससे नुकसान हो रहा है. यही वजह है कि अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल ने एम्‍स और उसके आसपास के प्रदूषण को कम करने और यहां की एयर क्‍वालिटी को सुधारने के निर्देश दिए हैं.

एनजीटी ने इस इलाके में प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल उपाय करने के लिए कहा है ताकि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा संभव हो सके. एनजीटी का यह ऐतिहासिक फैसला एम्स आने वाले मरीजों और आसपास के निवासियों के लिए राहतभरा भी है जो इस क्षेत्र में प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित हैं.

बता दें कि एम्स के आसपास बढ़ते प्रदूषण की गंभीर समस्‍या को देखते हुए ट्रिब्यूनल का फैसला दायर की गई एक याचिका पर आधारित था जिसमें एम्स के आसपास हवा और पानी की बिगड़ती गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया था. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है, जिससे रोगियों की भलाई के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा हो गया है.

याचिका के जवाब में, एनजीटी ने मामले का संज्ञान लिया और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), एम्स सहित अधिकारियों को निर्देश दिया और अन्य हितधारकों को एम्स और उसके आसपास प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है. इसके अलावा अधिकारियों को समयबद्ध तरीके से अपनी सिफारिशों को लागू करने, वाहन उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियों और औद्योगिक प्रदूषण जैसे विभिन्न स्रोतों से प्रदूषण को कम करने के लिए एक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है.

एम्‍स को अपने अंदर करना होगा ये काम
इसके अलावा, एम्स को अपने परिसर के अंदर पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए एक महीने में एक पर्यावरणीय कार्य योजना विकसित करने का भी निर्देश दिया गया है. एनजीटी ने मरीजों, परिचारकों और कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही इलेक्ट्रिक शटल सेवा की क्षमता बढ़ाने के लिए भी कहा है. वहीं एम्‍स ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद और आसपास के प्रमुख सार्वजनिक परिवहन लैंडिंग बिंदुओं तक अपनी शटल सेवाओं का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की है. एम्स ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह मरीजों, कर्मचारियों और आगंतुकों की सुरक्षा के लिए परिसर के अंदर सबसे स्वच्छ वातावरण बनाए रखने और संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय में उपचारात्मक उपायों के लिए अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए प्रतिबद्ध है.

एनजीटी ने ‘एम्स को निर्देश दिया कि अपने परिसर के भीतर सुरक्षा और यातायात संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए यदि उपलब्ध हो तो सीआईएसएफ सहित उपयुक्त सुरक्षा बल की तैनाती का पता लगाएं. एम्स अपने बड़े मरीजों, उनके परिचारकों, कर्मचारियों और आगंतुकों के परिसर के भीतर आने-जाने के कारण होने वाली अत्यधिक भीड़ और यातायात की समस्या से निपटने के लिए इंट्राम्यूरल वाहनों की आवाजाही को सुव्यवस्थित कर रहा है और अपने मुख्य मार्गों पर अनधिकृत प्रवेश और पार्किंग पर अंकुश लगा रहा है.

एम्‍स में पेड़ लगाना हुआ शुरू
एम्स ने पहले ही अपने परिसरों में 10000 पेड़ लगाने की शुरुआत कर दी है और इसके मास्टर प्लान में इसे 21वीं सदी के लिए तैयार परिसर बनाने के लिए हरित पहल की परिकल्पना की गई है. एनजीटी का यह फैसला न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति उसकी चिंता को भी उजागर करता है. अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देकर, ट्रिब्यूनल ने एक कड़ा संदेश दिया है कि प्रदूषण और पर्यावरणीय गिरावट की कीमत पर नागरिकों की भलाई से समझौता नहीं किया जा सकता है.

टैग: एम्स, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली, एम्स निदेशक

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