हाइलाइट्स

आर्द्रता के अलग-अलग स्‍तर के कारण ही हमें घर के बाहर ज्‍यादा गर्मी महसूस होती है.
कम आर्द्रता हमारे गले व मुंह में खराश और आंखों में शुष्‍कता का कारण बन सकती है.

आर्द्रता और गर्मी: गर्मी के मौसम में जब भी बारिश होती है तो कुछ देर बाद उमस बढ़ जाती है. इससे हालत ज्‍यादा खराब होने लगती है. दरअसल, उमस बढ़ने से पसीना ज्‍यादा आने लगता है. मौसम विज्ञानी ऐसे हालात में कहते हैं कि हवा में आर्द्रता की मात्रा बढ़ गई है. आर्द्रता हवा में नमी के स्‍तर को कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, तापमान आर्द्रता को प्रभावित करता है. तापमान जितना ज्‍यादा होगा, हवा में नमी उतनी ही ज्‍यादा हो सकती है. यह दूसरे तरीके से भी काम करता है. आर्द्रता के अलग-अलग स्तरों के कारण हमें एक ही तापमान का अलग-अलग अनुभव होता है.

आर्द्रता के अलग-अलग स्‍तर के कारण ही हमें घर के बाहर ज्‍यादा गर्मी महसूस होती है. यहां यह जानना जरूरी है कि आपके घर की नमी आपके आराम को कैसे प्रभावित कर रही है और आप इसे अपनी जरूरत के मुताबिक कैसे बदल सकते हैं? हवा में मौजूद नमी की छोटी बूंदें गर्मी को रोके रखने में बेहतर तरीके से मदद करती हैं. इसलिए सर्दियों में जब तापमान गिरता है तो हमें ज्‍यादा ठंड लगने लगती है. दरअसल, सर्दियों के दिनों में उमस कम होने से भी ठंड ज्‍यादा लगती है. पानी की कम बूंदों के साथ आपके घर के अंदर की गर्मी ज्‍यादा तेजी से बाहर की हवा में चली जाती है.

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उमस बढ़ने पर क्‍यों आता है ज्‍यादा पसीना?
गर्मियों में सर्दियों के उलटा होता है. उच्च आर्द्रता का स्तर हमें अधिक गर्मी का अहसास करा सकता है. इसका एक और कारण है. बहुत ज्‍यादा गर्मी होने पर हमारा शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए पसीना निकालता है. हमारा पसीना वाष्पित होता है तो अपने साथ हमारे शरीर की गर्मी को अलग कर देता है. हालांकि, जब हवा में बहुत अधिक नमी होती है, तो हमारा पसीना तेजी से वाष्पित नहीं हो पाता है. इसीलिए हमारा शरीर बहुत ज्‍यादा उमस होने पर प्रभावी ढंग से ठंडा नहीं हो पाता है. वहीं, तेजी से वाष्पित नहीं होने के कारण पसीना शरीर पर काफी देर तक रहता है और हमें चिपचिपी गर्मी का अहसास होता है.

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उमस बढ़ने पर हमारा पसीना तेजी से वाष्पित नहीं हो पाता है. इसलिए चिपचिपी गर्मी का अहसास होता है.

घर में आर्द्रता का स्‍तर कितना रहना चाहिए
अब सवाल ये उठता है कि अगर आर्द्रता घर के अंदर भी गर्मी के अहसास को प्रभावित करती है तो कौन सा आर्द्रता स्तर सबसे अच्छा है? हेल्‍थ कनाडा के मुताबिक, आपके घर में आदर्श सापेक्षिक आर्द्रता का स्तर सर्दियों में 30 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए. वहीं, गर्मियों में घर के अंदर सापेक्षिक आर्द्रता का स्‍तर 55 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. यह संतुलन आम तौर पर आपको और आपके परिवार को घर के अंदर सबसे अधिक आरामदायक माहौल उपलब्‍ध कराएगा. आर्द्रता का यह स्तर हमारे श्‍वसन तंत्र के आराम के लिए भी अहम है. आर्द्रता का बहुत कम स्तर गले, मुंह में खराश और आंखों में शुष्कता का कारण बन सकता है.

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घर में कैसे बरकरार रखें आदर्श आर्द्रता स्‍तर
उच्च आर्द्रता यानी बहुत ज्‍यादा उमस से घर के कोनों में फंगस बढ़ सकती है. ऐसे में अगर आप श्‍वसन तत्र संवेदनशील व्यक्तिय हैं तो आपके फेफड़ों में जलन पैदा हो सकती है. अगर आपको श्‍वसन संक्रमण है, तो बहुत अधिक या कम आर्द्रता आपकी सेहत को बदतर बना सकती है. अब सवाल ये उठता है कि घर के भीतर आदर्श आर्द्रता को कैसे बनाए रखा जाए. इसके लिए आप घर के अंदर डीह्यूमिडिफायर या ह्यूमिडिफायर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं. आपको अपने बाथरूम या रसोई से अतिरिक्त नमी को दूर करने के लिए पंखे की भी जरूरत पड़ सकती है. बता दें कि रसोई और बाथरूम आपके घर में नमी यानी उमस को बढ़ा सकते हैं.

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गर्मियों में घर के अंदर सापेक्षिक आर्द्रता का स्‍तर 55 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए.

कब करनी चाहिए उमस के स्‍तर की पड़ताल
आप पूरे साल ह्यूमिडिफायर या डीह्यूमिडिफायर नहीं चला सकते हैं. आपको वसंत के मौसम में अपने घर की आर्द्रता के स्तर की जांच जरूर करनी चाहिए. इस दौरान आर्द्रता का स्‍तर बढ़ने लगता है. इसके बाद पतझड़ में जब आर्द्रता कम होने लगती है तब भी आपको घर के अंदर इसके स्‍तर की पड़ताल करनी चाहिए. वहीं, बेहतर होगा कि आप पूरे साल अपने घर के अंदर आर्द्रता के स्तर की निगरानी करें. इससे सुनिश्चित होगा कि आर्द्रता को संतुलित रखने के आपके प्रयास सही दिशा में काम कर रहे हैं. आपके घर में नमी का स्तर आपके आराम के स्तर को प्रभावित कर सकता है. अगर आर्द्रता का स्‍तर सही रहेगा तो आप घर में बेहतर महसूस करेंगे.

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