हाइलाइट्स

बारिश के मौसम में फंगल और बैक्‍टीरियल इन्‍फेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है.
मानसून के दौरान हरी पत्‍तेदार सब्जियां भी फायदे के बजाय नुकसान करती हैं.

बरसात के मौसम के लिए भोजन: मानसून आ चुका है. ऐसे में बारिश की खुशी में चाय-पकोड़े या पकवानों का लुत्‍फ उठाना कौन नहीं चाहता. हालांकि कुछ लोग सेहत के प्रति सावधान होकर पकवान आदि खाने से तौबा कर लेते हैं और सब्‍जी, जूस, फल, सलाद आदि वाली हेल्‍दी डाइट को न केवल खुद लेते हैं बल्कि औरों को भी लेने की सलाह देते हैं. लेकिन दिलचस्‍प बात है कि जिसे आप हेल्‍दी डाइट समझकर खा रहे हैं, बारिश के मौसम में वह फूड आपको बीमार भी कर सकता है. स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो जो फूड अन्‍य मौसमों में बेहद स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक और सुपाच्‍य है, वह बारिश के मौसम में संक्रमण और बीमारियों का कारण बन सकता है.

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्‍ली में डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में सीनियर रे‍जिडेंट डॉ. मनाली अग्रवाल कहती हैं कि मानसून के दौरान, वातावरण में उच्च नमी और आर्द्रता के कारण भोजन दूषित हो जाता है. इस दौरान विभिन्न बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के विकास को बढ़ावा देने के लिए सबसे अनुकूल तापमान होता है.

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बरसात में इन रोगों का है खतरा
ध्‍यान रहे कि इस मौसम में भोजन से संबंधित खाद्य विषाक्तता यानि फूड पॉइजनिंग, साल्मोनेला, ई कोलाई, रोटावायरस और कृमि संक्रमण जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाला गैस्ट्रोएंटेराइटिस. मच्छर जनित रोग भी होने की संभावना होती है जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि. इसके अलावा दाद, खाज-खुजली जैसे फंगल त्वचा संक्रमण भी आमतौर पर मानसून के दौरान देखे जाते हैं.

बरसात के मौसम में ये 5 फूड कर सकते हैं बीमार

. हरी पत्तेदार सब्जियां- भले ही पत्तेदार सब्जियां आपके शरीर के लिए अत्यधिक पौष्टिक व हेल्‍दी होती हैं. कायदे से आपके रोजाना के आहार का अभिन्न अंग होनी चाहिए लेकिन इनके फायदेमंद होने के बावजूद आपको मानसून के दौरान कुछ हफ्तों तक इन्हें खाने से बचना चाहिए. गर्मी और मानसून का गर्म और उमस भरा मौसम हरी पत्तेदार सब्जियों को कुछ ही समय में खराब कर देता है. हवा में नमी के कारण पालक और पत्तागोभी जैसी सब्जियां कीटाणुओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं. ऐसे में जरूरी है कि रोजाना भोजन में ताजी मौसमी सब्जियों का चयन करें और सुनिश्चित करें कि उन्हें ठीक से पकाया जाए.

. मशरूम- मशरूम एक हेल्‍दी फूड है लेकिन नमी से भरे वातावरण के कारण मानसून के दौरान मशरूम में बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण का सबसे अधिक खतरा होता है. मशरूम मिट्टी के करीब होते हैं और नम हवा बैक्टीरिया के पनपने के लिए आदर्श वातावरण बनाती है. ऐसे में मशरूम खाने से बीमार पड़ने की संभावना तेज हो जाती है.

. जूस और पेय पदार्थ- जूस पीना सेहत के लिए जरूरी है. वहीं गर्मी और उमस भरे मौसम में तो जूस से तुरंत राहत भी मिलती है लेकिन ध्‍यान रहे कि बरसात के मौसम में इससे परेशानी भी हो सकती है. स्ट्रीट वेंडर आमतौर पर फलों को पहले ही काटकर रख देते हैं. ऐसे में थोड़ी देर के बाद उनमें बैक्टीरिया पनपने लगता है और इन फलों को बैक्‍टीरिया के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बना देता है. इसके बजाय आप चाहें तो घर पर फलों ताजा जूस बना सकते हैं या नारियल पानी, जलजीरा और नींबू पानी का विकल्प चुन सकते हैं.

. सी फूड्स- समुद्री भोजन जैसे मछली, झींगा या अन्‍य सी फूड्स से संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. समुद्री भोजन संक्रमण का एक सक्रिय वाहक हो सकता है जो सी फूड्स की उचित धुलाई और पकाने के बाद भी बना रह सकता है. कोशिश करें कि मानसून के दौरान चिकन और अन्य नॉन-वेज व्यंजनों से दूर रह पाएं और कुछ दिनों के लिए समुद्री भोजन से तो जरूर ही बचने की कोशिश करें.

. जंक फूड और बाहर का खाना- बारिश के मौसम में कई प्रकार के कीड़े-मकोड़े पनपने लगते हैं, जो कि रसोई के आसपास भी मौजूद रहते हैं. ऐसे में घर में तो खाना पकाते वक्‍त इन चीजों का ध्‍यान रखा जाता है लेकिन बाहर बने खाने या स्‍ट्रीट फूड्स को बनाते वक्‍त संभव है कि साफ-सफाई को लेकर विशेष सावधानी न बरती जाए. इसके साथ ही संक्रमित या गंदा पानी, सड़ी-गली सब्जियां आदि के इस्‍तेमाल होने का भी खतरा रहता है, लिहाजा बाहर के खाने से परहेज करें. घर पर सादा खाना बनाकर खाएं. इस मौसम में जंक फूड या फास्‍ट फूड भी न खाएं, मैदा से बने ये फूड बैक्‍टीरियल इन्‍फेक्‍शन का बड़ा कारण बन सकते हैं.

कैसे करें बचाव
.कच्‍ची या अधपकी सब्जियां खाने से बचें.
. मानसून में स्‍ट्रीट फूड न खाएं.
. पूरी आस्‍तीन के कपड़े पहनें.
. मच्‍छरों से बचने का उपाय करें.
. आसपास साफ-सफाई रखें.
. अपने आसपास पानी न जमने दें.
. पर्सनल हाइजीन का ध्‍यान रखें ताकि आपकी उंगलियों के बीच में नाक के आसपास, ऐसी जगहों पर जहां पसीना इकठ्ठा होता है वहां फंगल इन्‍फेक्‍शन न हो.

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