हाइलाइट्स

वेट लॉस करने में लाल, हरी और पीली शिमला मिर्च अच्छा रोल निभाती हैं.
इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं.

डाइटिंग सीरीज के लिए महत्वपूर्ण बातें: डाइटिंग के दौरान आप सब्जियां तो कई तरह की खाते होंगे, लेकिन वेट लॉस के लिए क्या कभी शिमला मिर्च को अहमियत दी है? अगर नहीं, तो बता दें कि डाइटिंग के दौरान शिमला मिर्च खाने से वेट लॉस में शानदार फायदे मिलते हैं, इसलिए डाइटिंग में महत्वपूर्ण रोल निभाने वाली (Capsicum for dieting-series) कुछ खास चीजों की सीरीज के अंतर्गत, डाइटिंग में शिमला मिर्च के फायदों और इसकी मात्रा के बारे में बता रही हैं लखनऊ स्थित चरक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के आहार और पोषण विभाग की विभागाध्यक्ष डाइटीशियन डॉक्टर इंदुजा दीक्षित.

बता दें कि सीरीज के पिछले आर्टिकल में आपको डाइटिंग में कुछ सीड्स के इस्तेमाल के बारे में बताया गया था. आइए सीरीज के इस अंक में डॉक्टर इंदुजा दीक्षित से जानते हैं, डाइटिंग के दौरान शिमला मिर्च का सेवन किस तरह से और कितनी मात्रा में किया जा सकता है. साथ ही ये भी जानते हैं कि बेल पेपर किस तरीके से सेहत के लिए फायदेमंद हो सकती है.

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वेट लॉस में कैसे करती है मदद
ज्यादातर लोग आमतौर पर हरे रंग की शिमला मिर्च का सेवन करते हैं, जबकि ये लाल, पीले और नारंगी रंग में भी बाजार में मौजूद रहती है. शिमला मिर्च यानी बेल पेपर में कैप्ससीन नाम का एक तत्व पाया जाता, जो कि बॉडी का बीएमआर बढ़ा देता है. इसकी वजह से वेट लॉस करने में मदद मिलती है. इसके साथ ही शिमला मिर्च में प्रोटीन, विटामिन सी, फाइबर, विटामिन बी-6, मैगनीज़, वॉटर जैसी चीजें होती हैं. जो वेट लॉस करने में अच्छी भूमिका निभाती हैं. वैसे तो सभी कलर्स की शिमला मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं लेकिन इनकी मात्रा लाल बेल पेपर में कुछ ज्यादा पायी जाती है. इतना ही नहीं शिमला मिर्च में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं.

क्या हैं सेहत के लिए शिमला मिर्च के फायदे

वेट लॉस में अच्छी भूमिका निभाने के साथ ही, शिमला मिर्च फ्री रेडिकल्स से निजात दिलाने में भी कारगर है. जिसके चलते एजिंग डिले होती है और स्किन ग्लो करती है. इसके साथ ही शिमला मिर्च में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आर्थराइटिस की समस्या को बढ़ने नहीं देते हैं. बेल पेपर में मौजूद विटामिन सी की वजह से इम्यूनिटी बूस्ट होती है. खाने में मौजूद आयरन को अब्जॉर्ब करने में भी शिमला मिर्च मदद करती है, जिसके चलते एनीमिया की दिक्कत भी दूर होती है. इतना ही नहीं आंखों की सेहत के लिए भी कैप्सिकम बेहद फायदेमंद होती है. साथ ही शिमला मिर्च में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की वजह से पेट और खाने की नली का कैंसर होने का खतरा भी कम होता है. डाइबिटीज और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में भी शिमला मिर्च काफी मददगार है.

कैसे और कितनी मात्रा में कर सकते हैं डाइट में शामिल
शिमला मिर्च को आप अलग-अलग तरह की सब्जी और सूप के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं. लेकिन इसको कच्चा खाना डाइटिंग के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है. इसलिए सलाद में मिक्स करने के साथ ही केवल कच्ची मिर्च को प्याज या सलाद के तौर पर खाना ज्यादा बेहतर ऑप्शन होता है. दरअसल इसको कच्चा खाने से शिमला मिर्च में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट और पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि शिमला मिर्च का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए. तो आपको बता दें कि एक दिन में एक बड़े साइज की शिमला मिर्च का सेवन रोजाना किया जा सकता है.

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