हाइलाइट्स
दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया के जितने भी मामले आते हैं, उनमें आधे मामले की वजह कूलर का ही पानी है.
मानसून का महीना मच्छरों की ब्रीडिंग के लिए सबसे अनुकूल होता है.
एयर कूलर पानी बदलने का समय: गर्मी के दिनों में ज्यादातर शहरी घरों में कूलर लगे होते हैं. कूलर से तेज हवा के साथ पानी की बौछारें पड़ती रहती है. यह पानी कूलर के नीचे बने एक कंटेनर में जमा रहता है. पानी की मात्रा काफी होती है. जितना बड़ा कूलर होगा, उतना ही बड़ा पानी का कंटेनर होता है. लेकिन यही पानी का कंटेनर कई बीमारियों का घर भी बन जाता है. जैसे ही गर्मी आती है और डेंगू और चिकनगुनिया के मामले भी बढ़ जाते हैं. इसका प्रमुख कारण है इस मौसम में कूलर का इस्तेमाल ज्यादा होने लगता है और लोग कंटेनर के पानी को जल्दी-जल्दी नहीं बदलते हैं.
इस कारण डेंगू या चिकनगुनिया के लार्वा इसमें पनपने लगते हैं और बीमारियां फैलाते हैं. इन बीमारियों से लोग बीमार पड़ते हैं और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही मानव श्रम और अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान होता है. इससे अंततः समाज का भी नुकसान होता है.
डेंगू के आधे मामले कूलर की वजह से
ये दोनों बीमारियां वायरल डिजीज है जिसके अन्य भी कारण हो सकते हैं लेकिन शहरों में कूलर इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है. केंद्रीय हेल्थ मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज कूलर के पानी से होने वाली बीमारियों पर एक अध्ययन किया. अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया के जितने भी मामले आते हैं, उनमें आधे मामले की वजह कूलर का ही पानी है. यानी कूलर में जमा हो रहे पानी में मच्छर पनपते हैं और कूलर के कंटेनर में जमा हो चुके पानी में अपना लार्वा छोड़ते हैं, इससे मच्छरों की संख्या बढ़ती है. और यही मच्छर लोगों को काटते हैं.
वाटर टैंक में मच्छोरी की ब्रीडिंग
अध्ययन में पाया गया कि परंपरागत कूलर का वाटर टैंक खुला होता है जिसमें हर तरफ से मच्छर घुस जाता है. जमा हो चुके पानी में ब्रीडिंग करना मच्छरों के लिए बेहद अनुकूल है. यहीं से एडीज मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया फैलाते हैं. इसलिए परंपरागत कूलर के डिजाइन में एनआईसीडी ने गंभीर खामी पाई और इसकी जगह बंद वाटर कंटेनर वाले कूलर लेने की सलाह दी. हालांकि वास्तविकता यह है कि आज भी अधिकांश लोग ओपन कूलर का ही इस्तेमाल करते हैं जो मच्छरों के ब्रीडिंग के लिए बेहद अनुकूल जगह है.
पानी बदलने के साथ सफाई भी जरूरी
अब सवाल उठता है कि कूलर में पानी को कितने दिनों में बदलना चाहिए जिससे कि मच्छर यहां ब्रीडिंग नहीं कर सके. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज ने बताया है कि हर सप्ताह पानी बदलना चाहिए लेकिन सिर्फ पानी बदलने से काम नहीं चलेगा. हर सप्ताह कूलर के वाटर टैंक को साफ करना भी जरूरी है. एनआईसीडी के मुताबिक मानसून का महीना मच्छरों की ब्रीडिंग के लिए सबसे अनुकूल होता है. चूंकि इस मौसम में कभी-कभी कूलर बंद भी हो जाता है, इसलिए यह मच्छरों के ठहरे हुए पानी में पनपने का मौका देता है. कूलर के वाटर टैंक को साफ करने के लिए आप कई चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे आप मिट्टी के तेल के साफ कर सकते हैं. इसके साथ ही नींबू के रस में सिरके मिलाकर साफ किया जा सकता है. इसके अलावा डिटरजेंट, विनेगर, लुब्रिकेंट ऑयल आदि से भी साफ किया जा सकता है.
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पहले प्रकाशित : 26 जून, 2023, 4:51 अपराह्न IST