हाइलाइट्स

महिलाओं में मोटापा होने से हार्ट डिजीज, डायबिटीज, पीसीओएस आदि होने की संभावना बढ़ जाती है.
मोटापा कंट्रोल करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल, खानपान, एक्सरसाइज फॉलो करना जरूरी है.

महिलाओं में मोटापा श्रृंखला: आजकल अधिकतर लोग मोटापे से ग्रस्त हैं. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं. मोटापा एक गंभीर रोग है, जिसे कंट्रोल ना किया जाए तो कई अन्य बीमारियां को जन्म देता है. मोटापा होने पर इंसान के शरीर में फैट की मात्रा बहुत ज्‍यादा हो जाती है. यह एक मेडिकल समस्‍या है, क्‍योंकि इससे कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. इन बीमारियों में हार्ट डिजीज, डायबिटीज, हाई ब्‍लड प्रेशर और कुछ तरह के कैंसर भी शामिल हैं. फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल, वाशी, नवी मुंबई की लैप्रोस्‍कोपिक एंड बैरियाट्रिक सर्जरी की कंसलटेंट डॉ. शरद शर्मा से जानें महिलाओं में मोटापा के खतरे, कारण, बचाव आदि पर विस्तार से…

किसे करता है मोटापा अधिक प्रभावित?

मोटापा पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, महिलाओं को मोटापे की संभावना थोड़ी ज्‍यादा लगभग 40% तक होती है. ओबेसिटी के कारण महिलाओं को फर्टिलिटी, पीसीओएस और हॉर्मोन में बदलाव आदि से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं.

महिलाओं में मोटापे का कारण

सुस्‍त जीवनशैली: आजकल अधिकतर लोग डेस्‍क जॉब करने लगे हैं. साथ ही आधुनिक सुविधाएं मिलने के कारण महिलाओं के कई काम आसान भी हुए हैं, लेकिन इस वजह से वे फिजिकली एक्टिव कम रहती हैं. कुछ आलस में मेहनत कम करती हैं, लंबे समय तक बैठी रहती हैं. ये सब वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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अनहेल्दी डाइट: अनहेल्दी चीजों के सेवन, कैलोरी से भरपूर चीजें खाना, प्रोसेस्‍ड फूड्स लेना, शुगरी ड्रिंक पीना, ये सभी शुगर, अनहेल्दी फैट और सोडियम की उच्‍च मात्रा वाला होते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर का वजन बढ़ाने का काम करते हैं.

हॉर्मोनल कारण: गर्भावस्‍था, मेनोपॉज या कुछ बीमारियों के दौरान हॉर्मोन में बदलाव से महिलाओं का वजन बढ़ सकता है.

मनोवैज्ञानिक कारण: खान-पान के मामले में भावुक होना, स्ट्रेस, डिप्रेशन और दूसरे मनोवैज्ञानिक कारण खाने-पीने के व्‍यवहार को प्रभावित कर सकते हैं. इस वजह से भी कुछ महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हो जाती हैं.

अनुवांशिक कारण: अनुवांशिक कारण मेटाबॉलिज्म (चयापचय), फैट के भंडारण और भूख के रेगुलेशन को प्रभावित कर सकते हैं और वजन आसानी से बढ़ा सकते हैं.

दवाओं का सेवन: कुछ दवाएं जैसे कि एंटीडिप्रेसेन्‍ट्स, एंटीसाइकोटिक्‍स, कोर्टिकोस्‍टीरॉइड्स और कुछ गर्भ निरोधक गोलियां साइड एफेक्ट्स के तौर पर वजन बढ़ा सकती हैं.

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महिलाएं हो सकती हैं निम्न बीमारियों से ग्रस्त

टाइप 2 डायबिटीज: इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप-2 डायबिटीज होने में मोटापा जोखिम का एक महत्‍वपूर्ण कारक है. ज्‍यादा बॉडी फैट से इंसुलिन के काम में दखल हो सकता है, साथ ही ब्‍लड शुगर लेवल भी अधिक हो सकता है.

कार्डियोवैस्‍कुलर डिजीज: मोटापे से हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ता है, जैसे कि हाइपरटेंशन यानी हाई ब्‍लड प्रेशर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक्‍स. शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ने से आर्टरीज में प्‍लाक बनने लगता है, जिससे कार्डियोवैस्‍कुलर सिस्‍टम बाधित होता है.

स्‍लीप एप्निया: ज्‍यादा वजन से एयरवे सिकुड़ सकता है या फिर खराब हो सकता है, जिससे सोते समय सांस लेने में समस्या महसूस हो सकती है. इससे ऑब्‍स्‍ट्रक्टिव स्‍लीप एप्निया होता है.

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी): पीसीओडी एक हॉर्मोन से संबंधित बीमारी है, जो आमतौर पर मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को प्रभावित करती है. इससे पीरियड्स अनियमित हो सकती है. स्किन पर बालों की तेज वृद्धि हो सकती है. मुंहासे होने लगते हैं. हॉर्मोन में असंतुलन के चलते प्रजनन में कठिनाई आ सकती है.

कैंसर: मोटापे के कारण कई तरह के कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे ब्रेस्ट कैंसर, यूटेरिन कैंसर, ओवेरियन कैंसर, कोलोरेक्‍टल कैंसर और पैंक्रियाटिक कैंसर आदि. ज्‍यादा फैट से इनफ्‍लेमेटरी पदार्थ बनते हैं, जो कैंसर को बढ़ा सकते हैं.

ऑस्टियोआर्थराइटिस: ज्‍यादा वजन से जोड़ों में तनाव बढ़ जाता है, खासकर वजन सहने वाले हिस्‍सों, जैसे कि घुटनों और कूल्‍हों में. इससे जोड़ों में समस्या हो सकती है. ऑस्‍टियोआर्थराइटिस और स्‍थायी दर्द हो सकता है.

मानसिक सेहत संबंधित समस्याएं: मोटापा के कारण महिलाओं में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍याओं का जोखिम बढ़ सकता है जैसे डिप्रेशन, चिंता, स्ट्रेस आदि. बॉडी इमेज की चिंताएं और मनोवैज्ञानिक प्रभाव से यह स्थितियां बन सकती हैं.

मोटापे से कैसे निपटें?

मोटापा से निपटना आसान नहीं है. इसके लिए लाइफस्टाइल, खानपान आदि में बदलाव करना बहुत जरूरी है. जंक और प्रोसेस्‍ड फूड की आसानी से उपलब्‍धता, एक्‍सरसाइज के लिए समय ना निकालना, डाइट के मामले में जागरूकता की कमी आदि से मोटापा बढ़ सकता है. हालांकि, लोगों को स्‍वास्‍थ्‍यकर फैसलों के लिए सशक्‍त करना जरूरी है, ताकि वे सफल तरीके से मोटापे से निपट सकें और स्‍वस्‍थ जीवन जी सकें.

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