पारामारिबो. सूरीनाम ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ येलो स्टार’ से सम्मानित किया. इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली मुर्मू पहली भारतीय हैं. मुर्मू को यह पुरस्कार सूरीनाम गणराज्य के उनके समकक्ष चंद्रिकाप्रसाद संतोखी ने प्रदान किया. सम्मान मिलने करने के बाद मुर्मू ने कहा कि यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि भारत के लोगों के लिए भी अत्यधिक महत्व रखता है.

राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, “मैं सूरीनाम के सर्वोच्च सम्मान ‘द ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ येलो स्टार’ हासिल करने के लिए बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं. यह सम्मान न केवल मेरे लिए, बल्कि भारत के 1.4 अरब लोगों के लिए भी बेहद खास है, जिनका मैं प्रतिनिधित्व करती हूं.’

उन्होंने यह पुरस्कार भारतीय-सूरीनाम समुदाय की ‘लगातार चली आ रही पीढ़ियों’ को समर्पित किया. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं यह सम्मान भारतीय-सूरीनाम समुदाय की परंपरागत पीढ़ियों को भी समर्पित करती हूं, जिन्होंने हमारे दोनों देशों के बीच भाईचारें के संबंधों को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.’

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सूरीनाम के अपने समकक्ष चंद्रिकाप्रसाद संतोखी से मुलाकात की और उन्होंने रक्षा, कृषि, सूचना-प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की. इस दौरान दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये.

पिछले साल जुलाई में पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को सूरीनाम पहुंचीं मुर्मू का संतोखी ने यहां राष्ट्रपति भवन में गर्मजोशी से स्वागत किया. राष्ट्रपति मुर्मू ने संतोखी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की.

राष्ट्रपति मुर्मू और राष्ट्रपति संतोखी ने एक कार्यक्रम में भी भाग लिया, जो दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र में भारतीयों के पहले समूह के आगमन पर आधारित था. उल्लेखनीय है कि 452 भारतीय मजदूरों को लेकर पहला जहाज पांच जून, 1873 को सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो पहुंचा था. इस जहाज पर सवार ज्यादातर मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे.

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