आयरलैंड की लेखिका एना बर्न्स को उनके उपन्यास ‘मिल्कमैन’ के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर अवॉर्ड-2018 से सम्मानित किया गया था. इस उपन्यास में उत्तरी आयरलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक युवती की शादीशुदा व्यक्ति से प्रेमालाप की आपबीती लिखी गई है, जिसे लोगों के बीच खासा पसंद किया गया. यह उपन्यास उस युवती की दर्दभरी दास्तान के एक मोकम्मल दस्तावेज जैसा है, जो ताकतवर प्रेमी के हाथों शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित होती रहती है. जिन दिनों इस किताब को बुकर मिला था, उन दिनों क्वामे एंथनी एपिया ने कहा था, “मैंने इससे पहले ऐसी कहानी नहीं पढ़ी थी. एना बर्न्स अपने लेखन के द्वारा परंपरागत सोच को चुनौती देती हैं.” आपको बता दें, कि पुरस्कार विजेता तय करने वालों में से एक अध्यक्ष क्वामे एंथनी एपिया भी थे.

उपन्यास मिल्कमैन की कहानी निष्ठुरता, यौन अतिक्रमण के प्रतिरोध की व्यथा-कथा है, जिसे सम्मानित लेखिका एना बर्न्स ने व्यंग्य मिश्रित हास्य से बुना है. इसे अपने ही खिलाफ बंटे समाज की पृष्ठभूमि में रचा गया है. बर्न्स ने अपनी इस किताब में प्रेमिका के दर्द का बखूबी अहसास कराया है. एक अनाम शहर की पृष्ठभूमि में लिखे ‘मिल्कमैन’ में एना बर्न्स ने बताने की कोशिश की है, कि युद्ध से जूझ रहे शहर में किसी महिला पर कितना खतरनाक और जटिल प्रभाव पड़ता है. इस किताब की सबसे खास बात ये है, कि इसमें पात्रों के नाम की बजाय पदनाम यानी कि डेजिग्नेशन दिए गए हैं. जिस पर एना ने कहा था, “उनके उपन्यास में नाम नहीं हैं. शुरुआती दिनों में मैंने कुछ समय तक नामों को लेकर कोशिश की, लेकिन उपन्यास में यह ठीक नहीं लगा. ऐसा करने पर कहानी भारी-भरकम और बेजान हो जाती. यह उपन्यास केवल नामों को ही नहीं बताता है, बल्कि यह ताकत और वातावरण से निकलकर पाठकों को एक अलग ही दुनिया से रूबरू करवाता है.”

उपन्यास ‘मिल्कमैन’ 1970 के समय काल में उत्तरी आयरलैंड में रहने वाली एक 18 वर्षीय लड़की के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें लड़की एक रहस्यमयी और उम्र में उससे कहीं बड़े एक व्यक्ति से संबंध बनाने के लिए मजबूर होती है. ये मनोविज्ञान की बारीकियों को पकड़ने वाला एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसे उत्तर आयरलैंड में हो रही समस्याओं के दौरान स्थापित किया गया है, जिन दिनों आयरलैंड में राजनीतिक समस्याएं बेहद चिंताजनक थीं. कहानी में एक अधिकारी है जिसे मिल्कमैन नाम से संबोधित किया गया है. वह अपने से कम उम्र की लड़की में रुचि लेता और उसे अपनी कार में बिठाता और घूमाता है. अफवाहें फैलती हैं कि लड़की मिल्कमैन के साथ अवैध संबंध रख रही है, जो उसके माता-पिता और व्यापक समुदाय के संबंधों को कमजोर करता है. ये अफवाहें बढ़ती हैं जब लड़की अपने दूसरे पुरुष मित्र के साथ भी अपने संबंध जारी रखती है और जिसके साथ वह एक साल से डेटिंग कर रही होती है, लेकिन किसी भी तरह के कमिटमेंट से बचती है. कहानी में मिल्कमैन का दबाव लड़की पर बढ़ता जाता है और वो उसे धमकिया देने लगता है, डराने लगता है, कि यदि उसने अपने पुरुष मित्र के साथ अपने संबंध खत्म नहीं किए तो वो उस लड़के को भी नुक्सान पहुंचाएगा. लड़की डर जाती है, खुद को समेटती है और अपने पुरुष मित्र से अपनी दोस्ती खत्म कर लेती है. अपने दोस्तों के समझाने के बावजूद भी वह मिल्कमैन से अपने संबंधों को खत्म नहीं कर पाती. उसके साथ एक अजीब तरह का द्वंद और डर चलता है. उसे ज़हर दिए जाने की भी कोशिश की जाती है, लड़की गंभीर रूप से बिमार होती है, लेकिन बच जाती है. मिल्कमैन की वजह से लड़की की छवि अपने समाज में बिगड़ती चली जाती है. लड़की अपने पुरुष मित्र से फोन पर ही संबंधों को खत्म कर लेती है, क्योंकि वो किसी और से प्रेम करने लगता है. ना चाहते हुए भी उसे वापिस मिल्कमैन के पास लौटना पड़ता है. जिस शाम मिल्कमैन लड़की के साथ अगली शाम अच्छा वक्त गुज़ारने का वादा करता है, ब्रिटिश सुरक्षा बलों द्वारा मिल्कमैन को मार दिया जाता है. लड़की पर भी कई तरह के जानलेवा हमले होते हैं, लेकिन थोड़े समय बाद उसका जीवन सामान्य अवस्था में पहुंच जाता है. कहानी इस तरह पढ़ने में बेहद सामान्य लगेगी, लेकिन बर्न्स से जिस तरह कहानी में पात्रों और घटनाओं को लिखा है, उसमें एक गहरी रिसर्च दिखाई पड़ती है. एक कम उम्र की लड़की किस तरह वो सबकुछ करने पर मजबूर होती है, जो वो नहीं करना चाहती और जो उसे पसंद होता है, वो उसके अधिकार में नहीं होता. वो खामोशी से अपने आसपास सबकुछ होते हुए देखती है और होने देती है. बहुत बड़े तूफान के बाद खुद को सामान्य करने की स्थिति में भी पहुंच जाती है. ये सच है, कि इससे पहले ऐसी कोई कहानी नहीं लिखी गई. कहानी में घटनाओं का वर्णन और चरित्रों का चित्रण इतना गहरा जान पड़ता है, जिसके लिए पात्रों को यदि कोई नाम नहीं दिया गया तो उससे कोई खास फरक पड़ता नहीं है. उपन्यास अंत तक बांधे रखता है. एक सुखांत अंत की बजाय कहानी का अंत बहुत ही शांत और रियलिस्टिक लगता है, जहां कहीं कोई शोर कोई बवाल नहीं, बल्कि सिर्फ शांति होती है.

‘मिल्कमैन’ का प्रकाशन फेबर एंड फेबर पब्लिशर द्वारा 17 मई 2018 में किया गया था. 2018 में ऐसा लगातार चौथे साल हुआ था कि किसी स्वतंत्र प्रकाशक ने मैन बुकर पुरस्कार जीता था. लंदन के गिल्डहॉल में एक रात्रिभोज में क्वामे एंथनी एपिया ने एना बर्न्स की जीत का ऐलान किया था. डचेज ऑफ कॉर्नवॉल कैमिला ने एना को एक ट्रॉफी और मैन ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ल्यूक हिल्स ने उन्हें 50,000 पाउंड की राशि भेंट की थी. एना को अपनी किताब का डिजाइनर बाउंड संस्करण और शॉर्टलिस्ट होने के लिए 2,500 पाउंड की अतिरिक्त धनराशि भी दी गई थी. वर्ष 1969 से दिया जाने वाला दुनिया का श्रेष्ठ ‘बुकर पुरस्कार’ साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों के बाद सबसे बड़ा लेखकीय सम्मान माना जाता है. यह पुरस्कार बुकर कंपनी एवं ब्रिटिश प्रकाशक संघ द्वारा संयुक्त रूप से हर साल दिया जाता है. यह पुरस्कार किसी एक कथाकृति के लिये राष्ट्रमंडल देशों के कथाकारों को केवल अंग्रेजी उपन्यासों के लिए दिया जाता है. पहला मैन बुकर पुरस्कार अल्बानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था. यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से अलग है. क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार हर दो साल में विश्व के किसी भी उपन्यासकार को दिया जाता है जबकि मैन बुकर पुरस्कार हर साल केवल राष्ट्रमंडल देशों के कथाकारों को मिलता है. अब तक अरुंधती राय के अलावा किरण देसाई (2006), अरबिंद अडिगा (2008) के अलावा भारतीय मूल के बी एस नायपाल (1971) और सलमान रश्दी (1981) को भी यह पुरस्कार मिल चुका है. गौरतलब है कि अपने पहले उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए 22 साल पहले प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार ‘मैन बुकर’ पाने वाली लेखिका अरुंधति रॉय अपने उपन्यास ‘मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ के लिए भी इस पुरस्कार की सूची में सबसे आगे रहीं थीं.

2007 में “लिटिल कन्स्ट्रक्शंस” के बाद ‘मिल्कमैन’ बर्न्स का पहला उपन्यास था. मिल्कमैन को जितनी तारीफें मिली उतनी इस पर बातें भी की गईं, लेकिन बर्न्स उपन्यास के माध्यम से जो कहना चाहती थीं उसे कहने में वह पूरी तरह से सफल रहीं और यही वजह थी, कि उपन्यास ने बुकर जीता. उपन्यास ने फिक्शन के लिए 2018 नेशनल बुक क्रिटिक्स सर्कल पुरस्कार भी जीता, साथ ही 2020 में इंटरनेशनल डबलिन लिटररी पुरस्कार भी इन्हें दिया गया. 2019 के अनुसार, इस उपन्यास की बिक्री 540,000 से अधिक प्रतिलिपियों में हुई है. एना साल 1987 से लंदन में रह रही हैं. उनकी पहली किताब ‘नो बोंस’ थी. उनके बाकी उपन्यासों में ‘लिटिल कंस्ट्रक्शंस’ और ‘मोस्टली हीरोज’ हैं. पाठकों के बीच वह अपनी अद्भुत लेखन शैली के लिए जानी जाती हैं. यह पुरस्कार जीतने वाली वह पहली उत्तरी आइरिश लेखिका थीं. साल 2011 में एना ने विनिफ्रेड होल्टी मेमोरियल प्राइज जीता था. वह 2002 में ऑरेंज प्राइज में फिक्शन के लिए शॉर्टलिस्टेड भी हुई थीं. एना ने डेजी जॉनसन (27) की किताब ‘एवरीथिंग अंडर’, रॉबिन रॉबर्टसन की ‘दि लॉन्ग टेक’, एसी एडुग्यन की ‘वॉशिंगटन ब्लैक’, रैशेल कुशनर की ‘दि मार्स रूम’ और रिचर्ड पॉवर्स की ‘दि ओवरस्टोरी’ को पीछे छोड़ते हुए ‘मिल्कमैन’ के लिए पुरस्कार जीता था.

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