सर्कस मूवी समीक्षा: न‍िर्देशक रोह‍ित शेट्टी की ‘मल्‍टी-एक्‍टर’ फिल्‍म ‘सर्कस’ आज स‍िनेमाघरों में र‍िलीज हो चुकी है. रणवीर स‍िंह और वरुण शर्मा के डबल रोल वाली इस फिल्‍म में पूजा हेगड़े, जैकलीन, संजय म‍िश्रा, स‍िद्धार्थ यादव, ट‍िक्‍कू तलसान‍िया, मुकेश त‍िवारी जैसे कई कलाकार नजर आ रहे हैं. जुड़वा भाइयों या बहनों की कहानी ह‍िंदी स‍िनेमा के सबसे द‍िलचस्‍प सब्‍जेट्स में से एक है. खासकर 60 और 70 के दशक में तो ऐसी कहान‍ियां खूब देखने को म‍िलती हैं. मजेदार बात है कि 2022 के क्र‍िसमस पर रोह‍ित शेट्टी 60 के युग को द‍िखाने वाली ऐसी ही कहानी लाए हैं, ज‍िसमें जुड़वा भाई हैं. पर क्‍या ये फिल्‍म आज के दौर में आपका मनोरंजन कर पाएगी, आइए आपको बताते हैं.

कहानी- फिल्‍म की कहाीन शुरू होती है जमनादास अनाथालय से जहां दो जुड़वां बच्‍चे हैं, ज‍िन्‍हें दो अलग-अलग शहरों में गोद ल‍िया जाता है. एक की परवरिश ऊटी में ज‍बकि दूसरे की बेंगलुरू में होती है. ऊटी वाले रॉय (रणवीर स‍िंह) और जॉय (वरुण शर्मा) सर्कस चलाते हैं और ये रणवीर स‍िंह ‘इलेक्‍ट्र‍िक मैन’ है, ज‍िसे करंट नहीं लगता. जबकि वहीं दूसरे भाइयों की जोड़ी बेंगलुरू में है. दोनों रॉय के बीच कनेक्‍शन है ‘करेंट’ का. यानी जब सर्कस में काम करने वाला रॉय यानी इलेक्‍ट्र‍िक मैन शो करता है तब बेंगलुरू में रहने वाले रॉय को करेंट लगता है. अब ये दोनों भाई कैसे मि‍लते हैं, क्‍या करते हैं बस यही कहानी है इस फिल्‍म की.

60 के युग की कहानी, बननी भी तभी चाहिए थी
सबसे पहले कंटेंट पर बात करें तो रोह‍ित शेट्टी 100 करोड़ क्‍लब में सबसे ज्‍यादा फिल्‍में देने वाले न‍िर्देशक हैं, लेकिन इस बार उनका तीर निशाने के आसपास भी नहीं पहुंचा है. इस फिल्‍म की कहानी बेहद बोरिंग और घ‍िसी-प‍िटी है. ये फिल्‍म 60 के ऐरा को द‍िखाती है और यकीन मान‍िए, बस उसी दौर के कंटेंट की ही है. नयापन, ट्व‍िस्‍ट जैसे चीजों की उम्‍मीद आप इस फिल्‍म से मत कीज‍िएगा. शुरू से लेकर आखिर तक, कहीं भी आपको ये नहीं लगेगा कि ‘अब आगे क्‍या होगा.’ बल्‍कि कई सीन देखकर ये फील‍िंग आएगी, ‘अब आगे तो बढ़ाओ यार…’ दरअसल रोहि‍त शेट्टी से ज‍िस स्‍तर के ह्यूमर की उम्‍मीद की जाती है, उस स्‍तर पर ‘सर्कस’ कहीं नहीं ठहरती.

रणवीर सोंघ, जैकलीन

‘सर्कस’ में रणवीर के साथ जैकलीन भी नजर आएंगी. (फोटो साभार: Youtube/Grab)

रोह‍ित शेट्टी ‘ऑल द बेस्‍ट’, ‘गोलमाल’ जैसी कॉमेडी फिल्‍में बना चुके हैं और उनके इस ‘सर्कस’ में आपको इन्‍हीं फिल्‍मों के सारे पुराने क‍िरदारों की ख‍िचड़ी नजर आएगी. लीड हीरो-हीरोइनों को छोड़ दें तो बार-बार हर क‍िरदार देख आपको उनकी पुरानी ही फिल्‍में याद आएंगी. सोच‍िए, संजय म‍िश्रा उस स्‍तर के कलाकार हैं जो बुरी से बुरी फिल्‍म में भी अपने अंदाज से जान फूंक दें, लेकिन इस फिल्‍म में वो भी डायलॉग इतना धीरे और र‍िपीट अंदाज में बोलते हैं कि इर‍िटेट करते हैं.

कहानी की बोर‍ियत और पुराने क‍िरदार आपको कहीं भी कुछ नया कर हंसा नहीं पाएंगे. वहीं लीड एक्‍टर रणवीर स‍िंह भी इस मसाला फिल्‍म में उभर कर कुछ कमाल नहीं कर पाए. हालांकि सबसे अच्‍छी बात ये है कि इस फिल्‍म में रणवीर स‍िंह कहीं भी ओवर द टॉप नहीं गए हैं, जो वो आसानी से जा सकते थे. वहीं पूजा हेगड़े और जैकलीन अपने-अपने क‍िरदार में काफी खूबसूरत लगी हैं. इस पूरी फिल्‍म में अगर सबसे मजेदार और हंसाने में सफल कोई रहा है तो वह हैं एक्‍टर स‍िद्धार्थ जाधव, ज‍िनका हर सीन मजेदार रहा है.

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‘सर्कस’ वो फिल्‍म है, ज‍िसे आप अगर थ‍िएटर में जाकर नहीं देखेंगे तो कुछ भी म‍िस नहीं करेंगे. इस फिल्‍म पर पैसा और समय वेस्‍ट करना बेकार है. मेरी मानिए तो थोड़ा इंतजार कर लीज‍िए, टीवी या ओटीटी पर आ ही जाएगी, तब देख लीज‍िएगा. मेरी तरफ से इस फिल्‍म को 2 स्टार (वो भी स‍िद्धार्थ जाधव और रणवीर स‍िंह के ल‍िए).

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

टैग: सर्कस, रणवीर सिंह, रोहित शेट्टी

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