2012 में कनाडा में बनी एक वेब सीरीज ‘वर्टिगे’ का तमिल में एडेप्टेशन किया गया और बनायी वेब सीरीज ‘फॉल’. इस सीरीज के पहले तीन एपिसोड हाल ही में डिज्नी+ हॉटस्टार पर रिलीज़ किये गए हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म जहां बिंज वॉचिंग के लिए जाने जाते थे अब वे धीरे-धीरे फिर से टेलीविज़न वाला ट्रेंड लाने की कोशिश कर रहे हैं, हर हफ्ते एक एपिसोड रिलीज़ कर के. ये प्रयोग है. शायद सफल हो या शायद न हो क्योंकि अब सभी को ओटीटी पर पूरी सीरीज एक साथ देखने की आदत सी पड़ गयी है. खैर, फॉल के पहले तीन एपिसोड आपको अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं और आप बचे हुए एपिसोड की राह देखने लगते हैं शायद, हर हफ्ते एक एपिसोड रिलीज़ करने वाला फार्मूला भी चल जाएगा.

कहानी एक लड़की दिव्या (अंजलि) की है, जो अपने स्पोर्ट्स सेंटर में ऊपर के माले पर रहती है. एक दिन अचानक वो अपने फ्लैट की बालकनी से गिर जाती है और कोमा में चली जाती है. उसके बाद शुरू होता है एक ऐसा खेल जो दर्शक सुलझाना चाहते हैं. दिव्या का बड़ा भाई रोहित (एसपी चरण), उसकी छोटी बहन माया (नमिता कृष्णमूर्ति), दिव्या का एक पुराना प्रेमी डेनियल (संतोष प्रताप) के साथ कुछ और लोग मिलकर दिव्या की जायदाद हथियाना चाहते हैं. दिव्या के माता पिता और उसकी सहेली को यकीन होता है कि किसी ने दिव्या को बालकनी से धक्का दे दिया था. दिव्या जब कोमा से बाहर आती है तो उसे कुछ भी याद नहीं होता. पुराने एल्बम और कागज़ात की मदद से वो अपनी मेमोरी वापस पाने की कोशिश करती है. इसके बाद क्या होता है ये आगे के एपिसोड में दिखाया जाएगा और राज़ से पर्दा उठेगा.

सबसे बढ़िया बात इस सीरीज की ये लगी कि इसमें अति-नाटकीयता से बचा गया है. सब कुछ सामान्य सा ही लगता है सिवाय डेनियल के कुछ दृश्यों के. डायलॉग भी फ़िल्मी नहीं हैं इसलिए कथानक पर विश्वास होने लगता है. वर्टिगे ने स्टोरी, स्क्रीनप्ले, डायरेक्शन इत्यादि के लिए कई पुरस्कार जीते हैं लेकिन फॉल से ये उम्मीद करना थोड़ी बेमानी होगी क्योंकि इस सीरीज की सहजता ही इसकी दुश्मन है. सरल और सीधी, एक लाइन में चलती कहानी में फ्लैशबैक से रोमांच पैदा किया जाता है, वो फॉल में आ नहीं पाया है. निर्देशक संतोष रामास्वामी मूलतः सिनेमेटोग्राफर हैं लेकिंन उनकी फ्रेम्स बहुत ही कच्ची लगी हैं. एक भी शॉट अद्भुत की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. ज़्यादातर सीन तो ऐसे हैं मानों कैमरा कोई नौसीखिया चला रहा है. राइटिंग में ज़्यादा काम नहीं किया गया है. करुंधी राजेश और सिद्धार्थ ने मिलकर पटकथा लिखी है लेकिन इसमें कोई ऐसा दृश्य या हाई पॉइंट नहीं क्रिएट किया गया है कि देखने वाले को चौंका दे.

अंजलि का अभिनय अच्छा है. कुछ ही दिन पहले उनकी एक और वेब सीरीज झांसी रिलीज़ हुई थी जो कि बीच में जा कर लड़खड़ा गयी थी. फॉल के साथ ऐसा नहीं होता क्योंकि ये एक ऑफिशियल रीमेक है और लेखक-निर्देशक ने कुछ बदलाव लाने की कोशिश भी नहीं की है. हालांकि अंजलि अपने चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन लाने की कोशिश नहीं करती हैं इसलिए कुछ दृश्य फ्लैट लगने लगते है. उन से बेहतर उनकी छोटी बहन के रोल में नमिता ने काम किया है. सुप्रसिद्ध गायक एसपी बालासुब्रमण्यम के सुपुत्र और तमिल सिनेमा/ वेब सीरीज के एक्टर- प्रोड्यूसर और गायक एसपी चरण ने बड़े भाई रोहित की भूमिका निभाई है. रोल तो अच्छा है ही, चरण ने अभिनय भी बहुत अच्छा किया है. बाकी कलाकार भी ठीक ही काम कर रहे हैं.

फॉल के पहले तीन एपिसोड ने अच्छी उम्मीद जगाई है. अपशब्दों का प्रयोग सीमित है और एकाध जगह छोड़ दिया जाए तो अश्लीलता भी कम ही है फिर भी क्राइम की कहानी है तो देखते समय थोड़ा ध्यान रखना पड़ेगा. हालांकि हिंदी फिल्मों में इस से ज़्यादा वयस्क कंटेंट परोसा जा रहा है. इस सीरीज को देख सकते हैं लेकिन सभी 6 एपिसोड रिलीज़ हो जाने दीजिये क्योंकि बीच में रुकने का मतलब है तारतम्य से मुक्ति पाना और वो सीरीज के लिए ठीक नहीं है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

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