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Review ‘Delhi Crime season 2’: पहले सीजन से बिलकुल जुदा है ‘दिल्ली क्राइम सीजन 2’

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‘दिल्ली क्राइम सीजन 2’ की समीक्षा: 16 दिसंबर 2012, भारत के इतिहास के उन काले दिनों में गिना जाता है, जिसमें अपराध का भयावह और विकृत स्वरुप देश के सामने आया था, जिसने देश की मानसिक, सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों को चूर चूरकर दिया था. 22 साल की एक लड़की के साथ 6 लोगों द्वारा बलात्कार किया गया, उसके साथ मारपीट की गयी और उसे सड़क के किनारे फेंक दिया गया. इस जघन्य कांड की जांच में दिल्ली पुलिस की डीसीपी छाया शर्मा और उनके साथियों ने मिलकर बहुत कम समय में इस अपराध की हर कड़ी और हर अपराधी को ढूंढ निकाला.

निर्भया कांड के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में कोर्ट ने इसे “रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर” का दर्ज़ा देते हुए, अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई थी. एक अपराधी ने जेल में आत्महत्या कर ली और चार अपराधी फांसी चढ़ाये गए और एक अपराधी नाबालिग होने की वजह से बाल सुधार गृह में भेजा गया था. कनाडा के फिल्म निर्माता निर्देशक रिची मेहता ने इस पूरे अपराध पर एक वेब सीरीज बनायी थीं- दिल्ली क्राइम. सच को इतने करीब से दिखाने के मेहता के प्रयास को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए.

इस वेब सीरीज का दूसरा भाग लगभग साढ़े 3 साल बाद हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ किया गया है. पहले भाग और दूसरे भाग में सिवाय मुख्य किरदारों के कोई भी समानता नहीं है. कहानी अलग है, कथानक अलग है और निर्भया के केस से इसका कोई ताल्लुक नहीं है. यदि आप इसे पहले सीजन जैसा देखने की सोच रहे हैं तो ये वैसा बिलकुल नहीं है.

दिल्ली क्राइम सीजन 2 एक सामान्य क्राइम थ्रिलर की ही तरह है. पुलिस के सामने एक नया केस आता है जहां दिल्ली में दो दशकों बाद “चड्डी बनियान गिरोह” के सक्रिय होने की सम्भावना दिखाई देती है क्योंकि इस बार दिल्ली के पॉश इलाकों में रहने वाले रिटायर्ड और बूढ़े रहवासियों के घर में घुसकर लूटपाट और उसके बाद उन बूढ़ों की हथौड़े से हत्या करने की वारदात होती है. डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी अपने विश्वास पात्र टीम इंस्पेक्टर भूपिंदर (राजेश तैलंग), आइपीएस नीति सिंह (रसिका दुग्गल), सब इंस्पेक्टर जयराज (अनुराग अरोरा) और अन्य लोगों के साथ इस केस को सुलझाने में लग जाते हैं.

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5 एपिसोड लम्बे इस सीजन में वर्तिका कैसे अपराधियों को ढूंढती है और उन तक पहुंचती है वो किसी भी इन्वेस्टीगेशन स्टोरी की ही तरह है. चड्डी बनियान गिरोह दरअसल 90 के दशक में पूरे भारत में अपनी दहशत फैला रहा था. इस गिरोह में ज़्यादातर पारदी जाति के घुमक्कड़/ बंजारे होते थे जो 7-8 के समूह में आधी रात के बाद ऐसे घरों में घुसते थे जहां न्यूनतम सिक्योरिटी होती थी और घर में सिर्फ बूढ़े ही रहते थे. ये हमेशा कच्छे और बनियान में रहते थे, मुंह ढंका हुआ होता था और पूरे शरीर पर मिटटी या तेल लगाए होते थे ताकि किसी की पकड़ में आएं तो निकल सकें.

पहले सीजन में दिखाए गए असली चित्रण की वजह से ये सीरीज बहुत पसंद की गयी थी. ऐसा नहीं है कि भारत में रेप पहली बार हुआ था या रेप के बाद लड़की पर अत्याचार और मार पीट का ये पहला मामला था लेकिन उन दिनों भारत का परिदृश्य कुछ इस तरह का था कि देश की वर्तमान स्थिति के खिलाफ एक माहौल तैयार हो रहा था और राजनीति के चलते उस समय की सरकार के खिलाफ जनता में रोष का निर्माण किया जा रहा था. ऐसे में निर्भया रेप एक ज्वालामुखी बन कर फट पड़ा. देश के कोने कोने से इस घटना की भर्त्सना करते हुए कैंडल मार्च, धरने, ट्वीट और बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे.

इस केस का महत्त्व भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण अर्धविराम है. दिल्ली क्राइम का पहला सीजन इसीलिए जनमानस को छू गया था. दूसरा सीजन आने से पहले कई लेखों और इंटरव्यू के ज़रिये ये संकेत दिया जा रहा था कि ये पहले सीजन से बिलकुल अलग है और इसे एक फिक्शन शो की तरह देखा जाना चाहिए. दुर्भाग्य है कि इस बात पर भरोसा किसी को नहीं था और जब सीजन रिलीज़ हुआ तो ये बात सच निकली. दिल्ली क्राइम सीजन 2 एक सीक्वल के तौर पर निराशाजनक है लेकिन एक स्वतंत्र वेब सीरीज के तौर पर सटीक है.

दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर श्री नीरज कुमार ने अपनी ज़िंदगी के चंद महत्वपूर्ण केसेस पर एक किताब लिखी थी “खाकी फाइल्स”. इसमें साल 1991-92 में चड्डी बनियान गिरोह द्वारा किये गए अपराधों की और उन्हें पकड़ने के लिए श्री नीरज ने क्या क्या किया उसका ज़िक्र किया है, किताब के चैप्टर “मून गेज़र” में. दरअसल ये गिरोह ज़्यादातर वारदातों को तब अंजाम दिया करता था जब चांद आसमान में लगभग नहीं के बराबर दीखता था. इनकी तलाश में पुलिस को भी इन्हीं रातों को अपनी गश्त बढ़ानी पड़ती थी. इस चैप्टर की जानकारी के आधार पर 2017 की तमिल फिल्म थीरन अधिकाराम ओंदरु में पारदियों का परिचय दिया गया था. दिल्ली क्राइम सीजन 1 के रचयिता रिची मेहता ने नीरज से उनकी किताब के अधिकार खरीदे और फिर ये सीजन रचा, जिसके निर्देशन की ज़िम्मेदारी इस बार उन्होंने अमेरिकी निर्देशक तनुज चोपड़ा को दी है.

तनुज इसके पहले कुछ अंग्रेजी फिल्में निर्देशित कर चुके हैं. दिल्ली क्राइम सीजन 2 की पटकथा इसका दूसरा सशक्त पहलू है जो कि विदित बसोया, इंसिया मिर्ज़ा, संयुक्ता चावला शेख, शुभ्रा स्वरुप, मयंक तिवारी, और विदित त्रिपाठी ने मिल कर लिखी है. इस सीजन में शेफाली शाह एक बार फिर प्रभावी नज़र आयी हैं हालांकि इस बार उन पर फोकस कम है. पिछले बार डीसीपी वर्तिका की निजी ज़िंदगी को सामने लाया गया था इस बार राजेश तैलंग की बेटी और रसिका दुग्गल के पति की ज़िंदगी को भी इस सीरीज में जोड़ा गया है. राजेश तैलंग, अनुराग अरोरा (सब इंस्पेक्टर जयराज) और सिद्धार्थ भारद्वाज (एसएचओ सुभाष गुप्ता) ऐसे दमदार अभिनेता हैं कि वो विलन भी उतने ही खूंखार लगते हैं जितने प्यारे वो पॉजिटिव रोल में लगते हैं. अद्भुत खूबी है इन अभिनेताओं की.

डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी डेविड बोलेन का कैमरा एक ऐसा तनावपूर्ण माहौल पैदा करने में कामयाब हुआ है जो कि पूरी वेब सीरीज की थीम को ठहराव प्रदान करता है. डेविड ने इसके पहले दिल्ली पुलिस की महिलाकर्मियों पर बनी एक फिल्म “सोनी” की भी सिनेमेटोग्राफी की थी. संभवतः उसे देख कर ही उन्हें ये वेब सीरीज मिली हो. कमाल का काम है जहां दिल्ली की गलियों का अंधेरा भी अपने आप में एक किरदार है. काफी कमर्शियल फिल्में करने के बाद डिज्नी+हॉटस्टार की रूद्रा और अब दिल्ली क्राइम की एडिटर के तौर पर अन्तरा लाहिरी के हाथों की सफाई देखने लायक है. जहां पहले सीजन में दर्शकों को अपराध की पूरी जानकारी पाने की लालसा थी जिसके चलते उन्हें कुछ बेहतरीन किरदार मिले, इस सीजन में उन्हीं प्रिय किरदारों की ज़िंदगी किस तरह से पल पल बदलती रहती है, उसका विस्तृत चित्रण है. पुलिस किस तरह एक ऐसे अपराध की तहकीकात करती है जिसमें कोई भी सबूत नहीं नज़र आता, ये भी इस सीरीज में देखने लायक है. अच्छी पुलिस और भ्रष्ट पुलिस के बीच झूलती ये व्यवस्था कब किसी गरीब के खिलाफ खड़ी हो जाती है, इसका भी सुन्दर चित्रण है.

सच्चाई की रोशनी में नहाये सीजन 1 के अद्भुत प्रस्तुतीकरण के बाद दिल्ली क्राइम सीजन 2, बिलकुल ही नए तरीके से सामने आता है. एक ऐसी जगह ये सीजन रुका है जहां तीसरे सीजन की उम्मीद नज़र तो नहीं आती लेकिन दिल मानने को तैयार नहीं है. संभवतः सीरीज के रचयिता फिर एक लम्बा समय लेंगे एक नए सीजन को रचने में और जहां एक ओर नेटफ्लिक्स अधिकांश वेब सीरीज के नए सीजन नहीं बना रहा है, दिल्ली क्राइम के अगले सीजन की उम्मीद करना गलत नहीं है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

टैग: दिल्ली क्राइम, समीक्षा, वेब सीरीज

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